नई दिल्ली: हाईकोर्ट में आठवीं कक्षा के बाद सैकड़ों बच्चों को स्कूल से निकालने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले पर विचार हो रहा है और नई सरकार इस पर फैसला लेगी. इस मामले पर अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.
केंद्र के इस हलफनामे के बाद चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले पर प्राथमिकता से फैसला लें क्योंकि इसमें निजी स्कूलों में पढ़नेवाले आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) बच्चों का करियर जुड़ा हुआ है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.
पिछले 9 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए राइट टू एजुकेशन (आरटीई) पर फैसला लें. याचिका वकील अशोक अग्रवाल ने दायर की है. अशोक अग्रवाल ने अपनी याचिका में आरटीई के तहत 12वीं तक के छात्रों को शामिल करने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि गैर सरकारी जमीन पर बने स्कूलों में बच्चों को 12वीं तक की शिक्षा उपलब्ध कराई जाए ताकि आरटीई के मूल उद्देश्य को पूरा किया जा सके.
याचिका में कहा गया है कि आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले सैकड़ों छात्रों को आठवीं के बाद स्कूल से निकाला जा रहा है. कई स्कूलों द्वारा 8वीं के आगे की पढ़ाई करने के लिए उन्हें फीस न जमा करने की स्थिति में स्कूल से निकालने की धमकी भी दी जा रही है. याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि अगर आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को गैर मान्यता प्राप्त स्कूल में पढ़ाई करने से रोका जाता है तो यह आरटीई के मूल उद्देश्य के खिलाफ होगा.