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Road to be made from Plastic: प्लास्टिक वेस्ट से बनी टाइल्स से बनेंगी सड़कें, सीएसआइआर-एनपीएल की पहल - Principal Scientist Dr Rajeev Kumar Singh

सीएसआईआर- एनपीएल (नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी) ने प्लास्टिक वेस्ट की मदद से टाइल्स तैयार की है, जिसका सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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Published : May 11, 2023, 7:00 PM IST

एनपीएल के डायरेक्टर प्रोफेसर वेणुगोपाल आचंता

नई दिल्ली: प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल आज पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है. अलग-अलग तरह के प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही उपजाऊ भूमि को बंजर कर रहे हैं. वहीं, नदियों का पानी भी पॉलिथीन और प्लास्टिक के कारण प्रदूषित हो रहा है. पॉलिथीन नदियों के बहाव में भी बाधा बन रही है. सीएसआईआर- एनपीएल (नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी) ने इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाया है.

एनपीएल ने प्लास्टिक की टाइल्स बनाई है, जिसका इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया जा सकेगा. इस तरह प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को कम करके उसका पर्यावरण के अनुकूल सही इस्तेमाल हो सकेगा. एनपीएल ने मल्टी लेयर प्लास्टिक से टाइल्स ब्लॉक बनाए हैं, जो सड़क बनाने के काम आएंगे. ये टाइल्स 20 टन का भार सहने में सक्षम हैं. 9 गुणा 6 सेंटीमीटर के टाइल्स ब्लॉक को आपस में जोड़कर इनसे सड़क बनाई जा सकती है.

सिविक एजेंसियों को सड़क तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगीः देश की अलग-अलग सिविक एजेंसियों में तालमेल न होने के कारण कभी बिजली या टेलीफोन का केबल डालने के लिए तो कभी सीवर या पानी की पाइप लाइन डालने के लिए सड़कों को तोड़ना पड़ता है. उसके बाद उन्हें बनाने में समय और धन की बर्बादी होती है.

इन टाइल्स ब्लॉक से अगर सड़क बनाई जाएगी तो यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी क्योंकि इन टाइल्स ब्लॉक को आसानी से हटाया जा सकता है. काम हो जाने के बाद इन्हें फिर से लगाया जा सकता है. यानी कि अब सिविक एजेंसियों को अपना काम करने के लिए सड़कों को तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बल्कि इन टाइल्स को रिमूव करके अपना काम कर सकते हैं.

इंडस्ट्री वेस्ट को भी कम किया जा सकेगाः एनपीएल के डायरेक्टर प्रोफेसर वेणुगोपाल आचंता ने बताया कि प्लास्टिक की टाइल्स को बनाने में न सिर्फ प्लास्टिक वेस्ट बल्कि इंडस्ट्रियल वेस्ट का भी सकारात्मक इस्तेमाल किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि मल्टी लेयर प्लास्टिक से टाइल्स बनाने के लिए उसमें एलुमिनियम इंडस्ट्री से निकलने वाले रेड मड का इस्तेमाल किया जाता है. रेड मड काफी भारी होता है. यह टाइल्स को मजबूती प्रदान करता है. प्लास्टिक से बनी टाइल्स फ्लैक्सिबल होने के साथ ही मजबूत होती है. इस पर फिसलन नहीं होती इसलिए छोटे बड़े सभी वाहन आराम से इस पर चल सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सिंगल यूज पॉलिथीन के इस्तेमाल पर रोक लग चुकी है. लेकिन चिप्स, नमकीन और पैकेज्ड फूड समेत बहुत से खाद्य पदार्थ अलग-अलग तरह के प्लास्टिक में पैक होकर आ रहे हैं. प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए उनको रिसाइकल करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि एनपीएल हल्की टाइल्स पहले ही बना चुका है.

उनके इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के लिए 7 स्टार्टअप को लाइसेंस दिया है जो अलग-अलग नगर निगमों के साथ मिलकर उनका उत्पादन कर रहे हैं. उन टाइल्स को लोग अपने घर में, लॉन में और फुटपाथ पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस भारी टाइल्स के लिए एलबी टेस्टिंग हो गई है. अब स्टाइल्स के एक स्क्वायर मीटर ब्लॉक के लिए टेस्टिंग की जाएगी. उसके लिए हम पार्टनर की तलाश कर रहे हैं क्योंकि उसमें प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत अधिक होती है.


एक टन प्लास्टिक से बनेंगी 15 लाख टाइल्सः इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे एनपीएल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर राजीव कुमार सिंह ने बताया की अभी वह कुछ कॉलोनियों से मल्टीलेयर प्लास्टिक एकत्र करवाते हैं और उससे टाइल्स बनाते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ इंडस्ट्रीज से वेस्ट प्लास्टिक लेकर भी वह उनसे टाइल्स बना रहे हैं. एक टन प्लास्टिक से 9 गुणा 6 सेंटीमीटर की 15 लाख टाइल्स बनाई जा सकती हैं. एक टाइल्स का वजन करीब 900 ग्राम होता है. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक और रेड मड के अलावा इसमें कई और चीजें मिलाई जाती हैं. पूरे मिश्रण में 40% प्लास्टिक होता है.

यह टाइल्स भारत के हर राज्य में हर मौसम के अनुकूल है. चाहे जितनी गर्मी हो सर्दी. यह टाइल्स न मुड़ेगी और न ही टूटेगी. डॉ. राजीव कुमार सिंह ने बताया कि प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है ताकि लोग प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें. इसके साथ ही प्लास्टिक वेस्ट को सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल करने के प्रति भी जागरूकता जरूरी है. उन्होंने बताया कि इन टाइल्स को सड़क बनाने में इस्तेमाल करने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है, इसके लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) की भी तकनीकी मदद ली जा रही है.

यह भी पढ़ेंः IT Raids Mankind Pharma : मैनकाइंड फार्मा के दिल्ली परिसरों पर आयकर छापेमारी, दो दिन पहले हुई थी लिस्टिंग





एनपीएल के डायरेक्टर प्रोफेसर वेणुगोपाल आचंता

नई दिल्ली: प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल आज पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है. अलग-अलग तरह के प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही उपजाऊ भूमि को बंजर कर रहे हैं. वहीं, नदियों का पानी भी पॉलिथीन और प्लास्टिक के कारण प्रदूषित हो रहा है. पॉलिथीन नदियों के बहाव में भी बाधा बन रही है. सीएसआईआर- एनपीएल (नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी) ने इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाया है.

एनपीएल ने प्लास्टिक की टाइल्स बनाई है, जिसका इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया जा सकेगा. इस तरह प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को कम करके उसका पर्यावरण के अनुकूल सही इस्तेमाल हो सकेगा. एनपीएल ने मल्टी लेयर प्लास्टिक से टाइल्स ब्लॉक बनाए हैं, जो सड़क बनाने के काम आएंगे. ये टाइल्स 20 टन का भार सहने में सक्षम हैं. 9 गुणा 6 सेंटीमीटर के टाइल्स ब्लॉक को आपस में जोड़कर इनसे सड़क बनाई जा सकती है.

सिविक एजेंसियों को सड़क तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगीः देश की अलग-अलग सिविक एजेंसियों में तालमेल न होने के कारण कभी बिजली या टेलीफोन का केबल डालने के लिए तो कभी सीवर या पानी की पाइप लाइन डालने के लिए सड़कों को तोड़ना पड़ता है. उसके बाद उन्हें बनाने में समय और धन की बर्बादी होती है.

इन टाइल्स ब्लॉक से अगर सड़क बनाई जाएगी तो यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी क्योंकि इन टाइल्स ब्लॉक को आसानी से हटाया जा सकता है. काम हो जाने के बाद इन्हें फिर से लगाया जा सकता है. यानी कि अब सिविक एजेंसियों को अपना काम करने के लिए सड़कों को तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बल्कि इन टाइल्स को रिमूव करके अपना काम कर सकते हैं.

इंडस्ट्री वेस्ट को भी कम किया जा सकेगाः एनपीएल के डायरेक्टर प्रोफेसर वेणुगोपाल आचंता ने बताया कि प्लास्टिक की टाइल्स को बनाने में न सिर्फ प्लास्टिक वेस्ट बल्कि इंडस्ट्रियल वेस्ट का भी सकारात्मक इस्तेमाल किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि मल्टी लेयर प्लास्टिक से टाइल्स बनाने के लिए उसमें एलुमिनियम इंडस्ट्री से निकलने वाले रेड मड का इस्तेमाल किया जाता है. रेड मड काफी भारी होता है. यह टाइल्स को मजबूती प्रदान करता है. प्लास्टिक से बनी टाइल्स फ्लैक्सिबल होने के साथ ही मजबूत होती है. इस पर फिसलन नहीं होती इसलिए छोटे बड़े सभी वाहन आराम से इस पर चल सकते हैं.

उन्होंने बताया कि सिंगल यूज पॉलिथीन के इस्तेमाल पर रोक लग चुकी है. लेकिन चिप्स, नमकीन और पैकेज्ड फूड समेत बहुत से खाद्य पदार्थ अलग-अलग तरह के प्लास्टिक में पैक होकर आ रहे हैं. प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए उनको रिसाइकल करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि एनपीएल हल्की टाइल्स पहले ही बना चुका है.

उनके इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के लिए 7 स्टार्टअप को लाइसेंस दिया है जो अलग-अलग नगर निगमों के साथ मिलकर उनका उत्पादन कर रहे हैं. उन टाइल्स को लोग अपने घर में, लॉन में और फुटपाथ पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस भारी टाइल्स के लिए एलबी टेस्टिंग हो गई है. अब स्टाइल्स के एक स्क्वायर मीटर ब्लॉक के लिए टेस्टिंग की जाएगी. उसके लिए हम पार्टनर की तलाश कर रहे हैं क्योंकि उसमें प्रोडक्शन कॉस्ट बहुत अधिक होती है.


एक टन प्लास्टिक से बनेंगी 15 लाख टाइल्सः इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे एनपीएल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर राजीव कुमार सिंह ने बताया की अभी वह कुछ कॉलोनियों से मल्टीलेयर प्लास्टिक एकत्र करवाते हैं और उससे टाइल्स बनाते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ इंडस्ट्रीज से वेस्ट प्लास्टिक लेकर भी वह उनसे टाइल्स बना रहे हैं. एक टन प्लास्टिक से 9 गुणा 6 सेंटीमीटर की 15 लाख टाइल्स बनाई जा सकती हैं. एक टाइल्स का वजन करीब 900 ग्राम होता है. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक और रेड मड के अलावा इसमें कई और चीजें मिलाई जाती हैं. पूरे मिश्रण में 40% प्लास्टिक होता है.

यह टाइल्स भारत के हर राज्य में हर मौसम के अनुकूल है. चाहे जितनी गर्मी हो सर्दी. यह टाइल्स न मुड़ेगी और न ही टूटेगी. डॉ. राजीव कुमार सिंह ने बताया कि प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है ताकि लोग प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें. इसके साथ ही प्लास्टिक वेस्ट को सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल करने के प्रति भी जागरूकता जरूरी है. उन्होंने बताया कि इन टाइल्स को सड़क बनाने में इस्तेमाल करने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है, इसके लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) की भी तकनीकी मदद ली जा रही है.

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