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डीडीसीए सेलेक्टर्स के लिए 60 साल के नियम पर विचार करने को तैयार : अतुल वासन

डीडीसीए की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के चयेरमैन अतुल वासन ने कहा, "मैंने 60 साल की आयु सीमा और पांच साल के पैमाने पर अपना पक्ष डीडीसीए प्रबंधन के सामने रख दिया है. सीएसी से वादा किया गया है कि हमारे सुझाव को रिव्यू किया जाएगा."

Atul Wassan
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Published : Dec 18, 2020, 8:16 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के चयनकर्ता और अलग-अलग टीमों के लिए 16 उम्मीदवारों के गुरुवार को इंटरव्यू हुए, लेकिन चयनकर्ताओं के लिए 60 साल की आयु सीमा का नियम गले की फांस बना हुआ है. यह नियम दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के संविधान में दर्ज नहीं लेकिन उसका एक अनुच्छेद कहता है कि संघ को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के संविधान का पालन करना चाहिए.

बीसीसीआई का संविधान लोढ़ा समिति कि सिफारिशों के आधार पर बना है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है. बीसीसीआई के नए संविधान में प्रशासकों की आयु सीमा 70 साल है और कार्यकाल की सीमा नौ साल है. लेकिन चयनकर्ताओं के लिए 60 साल की आयु सीमा का जिक्र न तो बीसीसीआई संविधान में है न ही डीडीसीए के संविधान में.

डीडीसीए की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के चयेरमैन अतुल वासन इस नियम से सहमत नहीं है जो सिर्फ चयनकर्ताओं पर लागू होता है, लेकिन प्रशिक्षकों पर नहीं जिन्हें शारीरिक तौर पर ज्यादा काम करना होता है.

DDCA
डीडीसीए

वासन ने एक मीडिया एजेंसी से कहा, "मुझे डीडीसीए प्रबंधन से बताया गया है कि हमें डीडीसीए के अनुच्छेदों और बीसीसीआई की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए. इसलिए सीएसी के तौर पर यह हमारा काम है कि हम यह करें. हालांकि मुझे लगता है कि पांच साल का नियम (जिसमें जूनियर और सीनियर चयन समिति का कार्यकाल शामिल है) और प्रो बोनो ईयर्स (जब उन्हें वेतन नहीं मिलता) सही नहीं हैं."

उन्होंने कहा, "मैं इस बात को भरोसे के साथ कह सकता हूं कि लोढ़ा समिति कि सिफारिशों का मकसद चयनकर्ता की वेतन वाली नौकरी को इसके हकदार खिलाड़ियों से दूर रखना होगा जो लंबे समय तक खेले हैं और 90 के दशक से चयनकर्ता के तौर पर उन्हें सिर्फ सैंडविच और चाय दिए गए हैं, लेकिन अब वह योगदान नहीं दे सकते और उन्हें लोढ़ा समिति की सिफारिशों के गलत समझने के कारण बाहर रखा जा रहा है."

वासन ने बताया कि अध्यक्ष रोहन जेटली वाला डीडीसीए प्रबंधन चयनकर्ताओं के 60 के नियम को रिव्यू करेगा.

उन्होंने कहा, "मैंने 60 साल की आयु सीमा और पांच साल के पैमाने पर अपना पक्ष डीडीसीए प्रबंधन के सामने रख दिया है. सीएसी से वादा किया गया है कि हमारे सुझाव को रिव्यू किया जाएगा."

Kirti Azad
कीर्ति आजाद

उन्होंने कहा, "चयनकर्ता के लिए आयु सीमा तय करना सही नहीं है. अगर कोच और कोचिंग स्टाफ के लोग 60 साल से ज्यादा रहते हुए काम कर सकते हैं, जहां उन्हें शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत करनी होती है, तो चयनकर्ता क्यों नहीं?"

अलग-अलग पदों के लिए गुरुवार को इंटरव्यू हुए. कुल 130 खिलाड़ियों, फिजियोथैरेपिस्ट और ट्रेनर्स ने इन पदों के लिए आवेदन दिए थे. 40 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. वासन, रोबिन सिंह जूनियर और परविंदर अवाना की तीन सदस्यीय सीएसी ने इन लोगों के इंटरव्यू लिए.

चयनकर्ता पद के लिए भारत की 1983 विश्व विजेता टीम का हिस्सा रहे कीर्ति आजाद ने भी इंटरव्यू दिया.

ऐसा पता चला है कि चयनकर्ता पद के लिए इंटरव्यू सिर्फ गुरुवार तक ही सीमित नहीं रखे गए थे. आने वाले समय में भी और लोगों के इंटरव्यू लिए जाएंगे.

वासन ने कहा कि डीडीसीए रिव्यू करेगी लेकिन सीएसी को नियमों के हिसाब से ही चलना होगा.

उन्होंने कहा, "हमें बीसीसीआई की गाइडलाइंस को मानना होगा. हम डीडीसीए प्रबंधन के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं."

वासन ने जेटली पर भरोसा जताते हुए कहा, "मैं रोहन के आने के बाद से डीडीसीए में नए बदलावों के लिए आशावान हूं. मैंने उनमें वही जुनून देखा है जो अरुण जेटली में देखा था जब वह डीडीसीए के अध्यक्ष थे."

नई दिल्ली : दिल्ली के चयनकर्ता और अलग-अलग टीमों के लिए 16 उम्मीदवारों के गुरुवार को इंटरव्यू हुए, लेकिन चयनकर्ताओं के लिए 60 साल की आयु सीमा का नियम गले की फांस बना हुआ है. यह नियम दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के संविधान में दर्ज नहीं लेकिन उसका एक अनुच्छेद कहता है कि संघ को भारतीय क्रिकेट बोर्ड के संविधान का पालन करना चाहिए.

बीसीसीआई का संविधान लोढ़ा समिति कि सिफारिशों के आधार पर बना है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी है. बीसीसीआई के नए संविधान में प्रशासकों की आयु सीमा 70 साल है और कार्यकाल की सीमा नौ साल है. लेकिन चयनकर्ताओं के लिए 60 साल की आयु सीमा का जिक्र न तो बीसीसीआई संविधान में है न ही डीडीसीए के संविधान में.

डीडीसीए की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के चयेरमैन अतुल वासन इस नियम से सहमत नहीं है जो सिर्फ चयनकर्ताओं पर लागू होता है, लेकिन प्रशिक्षकों पर नहीं जिन्हें शारीरिक तौर पर ज्यादा काम करना होता है.

DDCA
डीडीसीए

वासन ने एक मीडिया एजेंसी से कहा, "मुझे डीडीसीए प्रबंधन से बताया गया है कि हमें डीडीसीए के अनुच्छेदों और बीसीसीआई की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए. इसलिए सीएसी के तौर पर यह हमारा काम है कि हम यह करें. हालांकि मुझे लगता है कि पांच साल का नियम (जिसमें जूनियर और सीनियर चयन समिति का कार्यकाल शामिल है) और प्रो बोनो ईयर्स (जब उन्हें वेतन नहीं मिलता) सही नहीं हैं."

उन्होंने कहा, "मैं इस बात को भरोसे के साथ कह सकता हूं कि लोढ़ा समिति कि सिफारिशों का मकसद चयनकर्ता की वेतन वाली नौकरी को इसके हकदार खिलाड़ियों से दूर रखना होगा जो लंबे समय तक खेले हैं और 90 के दशक से चयनकर्ता के तौर पर उन्हें सिर्फ सैंडविच और चाय दिए गए हैं, लेकिन अब वह योगदान नहीं दे सकते और उन्हें लोढ़ा समिति की सिफारिशों के गलत समझने के कारण बाहर रखा जा रहा है."

वासन ने बताया कि अध्यक्ष रोहन जेटली वाला डीडीसीए प्रबंधन चयनकर्ताओं के 60 के नियम को रिव्यू करेगा.

उन्होंने कहा, "मैंने 60 साल की आयु सीमा और पांच साल के पैमाने पर अपना पक्ष डीडीसीए प्रबंधन के सामने रख दिया है. सीएसी से वादा किया गया है कि हमारे सुझाव को रिव्यू किया जाएगा."

Kirti Azad
कीर्ति आजाद

उन्होंने कहा, "चयनकर्ता के लिए आयु सीमा तय करना सही नहीं है. अगर कोच और कोचिंग स्टाफ के लोग 60 साल से ज्यादा रहते हुए काम कर सकते हैं, जहां उन्हें शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत करनी होती है, तो चयनकर्ता क्यों नहीं?"

अलग-अलग पदों के लिए गुरुवार को इंटरव्यू हुए. कुल 130 खिलाड़ियों, फिजियोथैरेपिस्ट और ट्रेनर्स ने इन पदों के लिए आवेदन दिए थे. 40 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. वासन, रोबिन सिंह जूनियर और परविंदर अवाना की तीन सदस्यीय सीएसी ने इन लोगों के इंटरव्यू लिए.

चयनकर्ता पद के लिए भारत की 1983 विश्व विजेता टीम का हिस्सा रहे कीर्ति आजाद ने भी इंटरव्यू दिया.

ऐसा पता चला है कि चयनकर्ता पद के लिए इंटरव्यू सिर्फ गुरुवार तक ही सीमित नहीं रखे गए थे. आने वाले समय में भी और लोगों के इंटरव्यू लिए जाएंगे.

वासन ने कहा कि डीडीसीए रिव्यू करेगी लेकिन सीएसी को नियमों के हिसाब से ही चलना होगा.

उन्होंने कहा, "हमें बीसीसीआई की गाइडलाइंस को मानना होगा. हम डीडीसीए प्रबंधन के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं."

वासन ने जेटली पर भरोसा जताते हुए कहा, "मैं रोहन के आने के बाद से डीडीसीए में नए बदलावों के लिए आशावान हूं. मैंने उनमें वही जुनून देखा है जो अरुण जेटली में देखा था जब वह डीडीसीए के अध्यक्ष थे."

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