वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि उनका देश भारत को मिली जी-20 की अध्यक्षता को सफल बनाने में मदद के लिए यथाशक्ति सबकुछ करने को लेकर आशान्वित है और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन समूह के विदेश मंत्रियों की अगले सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली अहम बैठक में हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि ब्लिंकन दिल्ली में क्वाड समूह के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में भी हिस्सा लेंगे, साथ ही वह अपने भारतीय समकक्ष विदेश मंत्री एस. जयशंकर से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे.
भारत ने पिछले साल एक दिसंबर को जी-20 समूह की अध्यक्षता संभाली है. शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एक मार्च से तीन मार्च तक नई दिल्ली की तीन-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे. आर्थिक एवं कारोबारी मामलों के सहायक विदेश मंत्री रामिन टोलौई ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'भारत की जी-20 की अध्यक्षता वर्ष के तहत ब्लिंकन दिल्ली की यात्रा को लेकर आशान्वित हैं. भारत की जी-20 अध्यक्षता को सफल बनाने में हरसंभव मदद को लेकर हम आशान्वित हैं. साझा चुनौतियों की कोई कमी नहीं है और इनके समाधान के लिए हम अन्य जी-20 सदस्य देशों के साथ अपनी भागीदारी प्रगाढ़ करना चाहते हैं.'
दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा कि विदेश मंत्री नयी दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा, 'वे हमारे रणनीतिक सहयोग और साझेदारी के बारे में बात करेंगे, लेकिन इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे कि एशियाई क्वाड में हम कैसे काम कर रहे हैं, हम रक्षा सहयोग पर क्या कर रहे हैं तथा व्हाइट हाउस एवं (भारत के) प्रधानमंत्री कार्यालय से चलाए जा रहे महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए क्या पहल कर रहे हैं.'
लू ने कहा, 'तीन मार्च को अमेरिकी विदेश मंत्री एशियाई क्वाड देशों - अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लेंगे.' उन्होंने कहा कि क्वाड मंत्री-स्तरीय बैठक के बाद ब्लिंकन 'रायसीना वार्ता' में पैनल चर्चा में हिस्सा लेंगे. लू ने कहा कि क्वाड बैठक के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दखल की पृष्ठभूमि में नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इस अहम समुद्री मार्ग को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए नयी रणनीति विकसित करने के इरादे से क्वाड समूह की स्थापना के लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था.
चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी विवादित क्षेत्र पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान्न बनाए हैं. चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है. लू ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम मानवीय सहायता, आपदा राहत पर क्या कर रहे हैं, इसके बारे में सुनेंगे. हम हिंद-प्रशांत में समुद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता के क्षेत्र में सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए क्या कर रहे हैं, इसके बारे में सुनेंगे. हम टीका कूटनीति में उपलब्धियों के बारे में बात करेंगे और क्वाड से संबंधित कार्यक्रम के आरंभ और हाल में एक व्यापार और निवेश मंच के बारे में सुनेंगे.'
यात्रा का ब्योरा देते हुए टौलोई ने कहा कि जी-20 का उद्देश्य साझा चुनौतियों से निपटने में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एकसाथ लाना है. उन्होंने कहा, 'हम खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु संकट, विकास, मानवीय चुनौतियों और अवैध मादक पदार्थों के प्रसार जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिनके लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता है. भारत-रूस संबंधों पर एक सवाल का जवाब देते हुए लू ने आशा व्यक्त की कि भारत इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस के साथ अपने प्रभाव का उपयोग करेगा और जैसा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है, भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुसार क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पालन करते हुए संघर्ष का अंत करने में मदद करेगा.' लू ने कहा, 'हमने पहले भी कहा है कि विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा है कि शीतयुद्ध के समय से भारत-रूस संबंध का एक लंबा एवं जटिल इतिहास रहा है, जो कई दशकों से गहरा और निरंतर बना हुआ है.'
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(पीटीआई-भाषा)