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अमेरिकी दूत रशद हुसैन ने भारत में धार्मिक समुदायों के साथ व्यवहार पर चिंता जताई

अमेरिका ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर चिंता जताई है. वॉशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के अमेरिकी दूत रशद हुसैन ने कहा कि यह अमेरिका की 'जिम्मेदारी' है कि वह भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों में आवाज उठाए. Rashad Hussain

US Ambassador for Religious Freedom
अमेरिकी दूत रशद हुसैन
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Published : Jul 1, 2022, 10:25 PM IST

वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के अमेरिकी दूत रशद हुसैन ने भारत में कई धार्मिक समुदायों के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि 'चुनौतियों' से निपटने के लिए अमेरिका सीधे भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है. वॉशिंगटन में गुरुवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (आईआरएफ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे.

उन्होंने कहा, 'इस देश ने हमें सब कुछ दिया लेकिन मैं भारत से प्रेम करता हूं और वहां रोजाना जो होता है, उस पर नजर रखता हूं. मेरे माता-पिता और हमारे बीच इसके बारे में चर्चा होती है. आपमें से कई लोग भारत में क्या हो रहा है, इसका भी ध्यान रखते हैं और इस देश को प्यार करते हैं तथा चाहते हैं कि वह अपने मूल्यों पर खरा उतरे.' हुसैन ने कहा कि अमेरिका, भारत में कई धार्मिक समुदायों को लेकर 'चिंतित' है और चुनौतियों से निपटने के लिए सीधे तौर पर भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है.

अमेरिकी दूत ने कहा, 'भारत में अब एक नागरिकता कानून है जोकि प्रक्रियाधीन है. भारत में नरसंहार का खुला आह्वान किया गया. गिरिजाघरों पर हमले हुए. हिजाब पर प्रतिबंध लगा. घरों को ध्वस्त किया गया.' उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक तौर पर ऐसी बयानबाजी की जा रही है जोकि अमानवीय है और यह इस हद तक है कि एक मंत्री ने मुसलमानों को दीमक करार दिया.'

हुसैन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी के संदर्भ में यह बात कही. अपने एक भाषण में शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को 'दीमक' करार दिया था. उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की 'जिम्मेदारी' है कि वह भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों में आवाज उठाए.

भारत ने अमेरिका में उसके खिलाफ आलोचनाओं को लगातार खारिज किया है और कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में 'वोट बैंक की राजनीति' की जा रही है. अपनी प्रतिक्रिया में भारत ने अमेरिका में नस्ली और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और बंदूक हिंसा को लेकर चिंता जताई है.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में जी-20 की बैठक कराने की योजना पर चीन ने जताई आपत्ति

अमेरिकी दूत ने कहा कि उन्होंने भारत के ईसाइयों, सिखों और दलितों से भी मुलाकात की थी. हुसैन ने उदयपुर में दर्जी की हत्या के मामले का हवाला देते हुए कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि हम मिलकर कार्य करें और सभी नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ें. चाहे किसी भी व्यक्ति पर हमला हो, कल एक हमला किया गया, यह निंदनीय था और हमें इसकी भी निंदा करनी होगी.'

(पीटीआई-भाषा)

वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के अमेरिकी दूत रशद हुसैन ने भारत में कई धार्मिक समुदायों के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि 'चुनौतियों' से निपटने के लिए अमेरिका सीधे भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है. वॉशिंगटन में गुरुवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (आईआरएफ) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा कि उनके पिता 1969 में भारत से अमेरिका आए थे.

उन्होंने कहा, 'इस देश ने हमें सब कुछ दिया लेकिन मैं भारत से प्रेम करता हूं और वहां रोजाना जो होता है, उस पर नजर रखता हूं. मेरे माता-पिता और हमारे बीच इसके बारे में चर्चा होती है. आपमें से कई लोग भारत में क्या हो रहा है, इसका भी ध्यान रखते हैं और इस देश को प्यार करते हैं तथा चाहते हैं कि वह अपने मूल्यों पर खरा उतरे.' हुसैन ने कहा कि अमेरिका, भारत में कई धार्मिक समुदायों को लेकर 'चिंतित' है और चुनौतियों से निपटने के लिए सीधे तौर पर भारतीय अधिकारियों के संपर्क में है.

अमेरिकी दूत ने कहा, 'भारत में अब एक नागरिकता कानून है जोकि प्रक्रियाधीन है. भारत में नरसंहार का खुला आह्वान किया गया. गिरिजाघरों पर हमले हुए. हिजाब पर प्रतिबंध लगा. घरों को ध्वस्त किया गया.' उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक तौर पर ऐसी बयानबाजी की जा रही है जोकि अमानवीय है और यह इस हद तक है कि एक मंत्री ने मुसलमानों को दीमक करार दिया.'

हुसैन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी के संदर्भ में यह बात कही. अपने एक भाषण में शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को 'दीमक' करार दिया था. उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की 'जिम्मेदारी' है कि वह भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों में आवाज उठाए.

भारत ने अमेरिका में उसके खिलाफ आलोचनाओं को लगातार खारिज किया है और कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में 'वोट बैंक की राजनीति' की जा रही है. अपनी प्रतिक्रिया में भारत ने अमेरिका में नस्ली और जातीय रूप से प्रेरित हमलों, घृणा अपराधों और बंदूक हिंसा को लेकर चिंता जताई है.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में जी-20 की बैठक कराने की योजना पर चीन ने जताई आपत्ति

अमेरिकी दूत ने कहा कि उन्होंने भारत के ईसाइयों, सिखों और दलितों से भी मुलाकात की थी. हुसैन ने उदयपुर में दर्जी की हत्या के मामले का हवाला देते हुए कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि हम मिलकर कार्य करें और सभी नागरिकों के अधिकारों के लिए लड़ें. चाहे किसी भी व्यक्ति पर हमला हो, कल एक हमला किया गया, यह निंदनीय था और हमें इसकी भी निंदा करनी होगी.'

(पीटीआई-भाषा)

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