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अमेरिका ने तिब्बत के लिए नियुक्त किया विशेष अधिकारी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से खाली पड़े पद को भरने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने तिब्बती मुद्दों के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को अपना विशेष समन्वयक नियुक्त करने का एलान किया है.

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Published : Oct 15, 2020, 11:06 PM IST

नई दिल्ली/वाशिंगटन : राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा युद्ध की तैयारी के लिए चीनी सैनिकों को बुलाए जाने के एक दिन बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने तिब्बती मुद्दों के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को अपना विशेष समन्वयक नियुक्त किया है.

2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से, तिब्बती मुद्दों के लिए अमेरिका के विशेष समन्वयक का पद खाली था.

बुधवार को, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने घोषणा की कि लोकतंत्र, मानवाधिकारों और श्रम के सहायक राज्य सचिव रॉबर्ट डेस्ट्रो अतिरिक्त प्रभार ग्रहण करेंगे

तिब्बत, जो 1950 से चीनी कब्जे में है. वह कूटनीतिक रूप से बीजिंग के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है.

वहीं, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन ने तिब्बत मुद्दे पर अमेरिकी समन्वयक के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया है.

गौरतलब है कि, दलाई लामा के नेतृत्व में भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार स्थापित है.

पोम्पियो ने एक बयान में कहा कि डेस्ट्रो चीन के पीपुल्स रिपब्लिक और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करेंगे. वह तिब्बतियों की अद्वितीय धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा करेंगे.

उन्होंने कहा कि अमेरिका पीआरसी के तिब्बती समुदाय के दमन से चिंतित है.

बता दें कि, हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों और इस क्षेत्र में राजनयिक पहुंच को रोकने के लिए वीजा को प्रतिबंधित करने की धमकी दी थी.

तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक की घोषणा से एक दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चाओझोउ शहर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी मरीन कॉर्प्स का दौरा करते हुए, सैनिकों को युद्ध की तैयारी के लिए अपनी मानसुक और ऊर्जा लगाने और हाई अलर्ट की स्थिति बनाए रखने के लिए कहा था.

यह बयान इस साल मई से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर और दक्षिण चीन सागर पर चीन के आक्रामक रुख के खिलाफ अमेरिकी पुशबैक के महत्व को दर्शाता है.

पढ़ेंं- पोम्पिओ ने चीन के हिरासत में हांगकांग के 12 नागरिकों का बचाव किया

फिलहाल चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर भारत, अमेरिका और कई अन्य देशों के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रहा है.

तिब्बती मुद्दों के लिए एक विशेष समन्वयक की अमेरिकी सरकार की नियुक्ति, दोनों महाशक्तियों के बीच संकट को और बढ़ाने सकती है, जो पहले से ही अपने द्विपक्षीय व्यापार की शर्तों पर युद्धरत हैं.

नई दिल्ली/वाशिंगटन : राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा युद्ध की तैयारी के लिए चीनी सैनिकों को बुलाए जाने के एक दिन बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने तिब्बती मुद्दों के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को अपना विशेष समन्वयक नियुक्त किया है.

2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से, तिब्बती मुद्दों के लिए अमेरिका के विशेष समन्वयक का पद खाली था.

बुधवार को, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने घोषणा की कि लोकतंत्र, मानवाधिकारों और श्रम के सहायक राज्य सचिव रॉबर्ट डेस्ट्रो अतिरिक्त प्रभार ग्रहण करेंगे

तिब्बत, जो 1950 से चीनी कब्जे में है. वह कूटनीतिक रूप से बीजिंग के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है.

वहीं, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शासन ने तिब्बत मुद्दे पर अमेरिकी समन्वयक के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया है.

गौरतलब है कि, दलाई लामा के नेतृत्व में भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार स्थापित है.

पोम्पियो ने एक बयान में कहा कि डेस्ट्रो चीन के पीपुल्स रिपब्लिक और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के अमेरिकी प्रयासों का नेतृत्व करेंगे. वह तिब्बतियों की अद्वितीय धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा करेंगे.

उन्होंने कहा कि अमेरिका पीआरसी के तिब्बती समुदाय के दमन से चिंतित है.

बता दें कि, हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों और इस क्षेत्र में राजनयिक पहुंच को रोकने के लिए वीजा को प्रतिबंधित करने की धमकी दी थी.

तिब्बत के लिए विशेष समन्वयक की घोषणा से एक दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चाओझोउ शहर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी मरीन कॉर्प्स का दौरा करते हुए, सैनिकों को युद्ध की तैयारी के लिए अपनी मानसुक और ऊर्जा लगाने और हाई अलर्ट की स्थिति बनाए रखने के लिए कहा था.

यह बयान इस साल मई से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर और दक्षिण चीन सागर पर चीन के आक्रामक रुख के खिलाफ अमेरिकी पुशबैक के महत्व को दर्शाता है.

पढ़ेंं- पोम्पिओ ने चीन के हिरासत में हांगकांग के 12 नागरिकों का बचाव किया

फिलहाल चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर भारत, अमेरिका और कई अन्य देशों के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रहा है.

तिब्बती मुद्दों के लिए एक विशेष समन्वयक की अमेरिकी सरकार की नियुक्ति, दोनों महाशक्तियों के बीच संकट को और बढ़ाने सकती है, जो पहले से ही अपने द्विपक्षीय व्यापार की शर्तों पर युद्धरत हैं.

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