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मुश्किल में इमरान खान की सत्ता, कट्टरपंथियों ने किया आजादी मार्च का एलान - जमीयत उलेमा ए इस्लाम

क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने पाकिस्तान की सत्ता तो हासिल कर ली, मगर वह युवाओं व देशवासियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके. उनके प्रधानमंत्री बनने के एक साल के अंदर ही पाकिस्तान में गरीबी व बेरोजगारी अपने चरम स्तर पर पहुंच गई. यही वजह है कि पाक के कट्टरपंथियों और विपक्षी दलों ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

इमरान खान
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Published : Oct 5, 2019, 10:40 PM IST

इस्लामाबाद: जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान ने आजादी मार्च का एलान कर इमरान खान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख फजलुर रहमान ने शनिवार को अपने 'आजादी' मार्च को सरकार के खिलाफ 'जंग' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता.

जेयूआई-एफ नेता ने इस दौरान सरकार के खिलाफ 27 अक्टूबर को एक मार्च निकालने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मार्च का समापन राजधानी में होगा और पार्टी की यहां धरना-प्रदर्शन करने की योजना है. उन्होंने पेशावर में एक प्रेस वार्ता में कहा, 'पूरा देश हमारा युद्धक्षेत्र (वॉरजोन) होगा.'

तिनके की तरह डूब जाएंगे फर्जी शासक
उन्होंने कहा, 'हमारी रणनीति एकसमान नहीं रहेगी. हम किसी भी स्थिति से निबटने के लिए इसमें बदलाव करते रहेंगे. पूरे देश से लोगों का जनसैलाब इस मार्च में भाग लेने आ रहा है और फर्जी शासक इसमें एक तिनके की तरह डूब जाएंगे.'

धार्मिक कार्ड से फायदा उठाने की कोशिश
उधर इमरान खान ने कहा कि मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएलएल-एन) के इशारे पर सरकार के खिलाफ 'धार्मिक कार्ड' का फायदा उठाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे.

अन्य दलों ने दी धनराशि
स्थानीय समाचर पत्र के मुताबिक, इमरान के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि मौलाना फजलुर को पीपीपी और पीएमएल-एन ने सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए काफी धनराशि दी है.

पढ़ें-पीएम पद के लायक नहीं हैं इमरान खान : विदेश मंत्रालय

अन्य दलों ने दिया समर्थन
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) दोनों प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने हालांकि मार्च में शामिल होने को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है. पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी ने शुक्रवार को कहा था कि वह रहमान को सहयोग देने के मुद्दे पर पार्टी बैठक में फैसला लेंगे. वहीं पीएमएल-एन ने रहमान से मार्च कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था.

चरमपंथी गुट बने राह के कांटे
क्रिकेटर से राजनेता बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टियों - पीपीपी और पीएमएल-नवाज को टक्कर देने के लिए जिस पाकिस्तानी सेना और चरमपंथी गुटों का साथ लिया था, अब वही उनकी राह के कांटे बनने लगे हैं. सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उद्योगपतियों के साथ बैठक कर एक संकेत दिया.

आम आदमी ने शुरू किया विरोध
पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब होने के बाद अब आम आदमी उनसे जमीनी हकीकत से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछने लगा है. इमरान हालांकि भारत विरोधी बयानों और कश्मीर राग अलापते हुए जनता का ध्यान बंटाने में लगे हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर स्वदेश लौटे इमरान का जिस तरह देश में भव्य स्वागत हुआ था, वह 24 घंटे भी नहीं टिका और सब काफूर हो गया.

पढ़ें-PAK सैन्य प्रमुख बाजवा से मिले कारोबारी, इमरान सरकार पर बिफरे

अब भी कश्मीर राग अलाप रहे...
देश की खस्ता अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से घिरे इमरान को अब कुछ सूझ नहीं रहा तो संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद भी कश्मीर राग ही अलाप रहे हैं. इसलिए सेना प्रमुख और चरमपंथी मौलाना फजलुर रहमान ने जमीनी हालात को समझते हुए अपनी योजनाओं को खुलासा कर दिया है.

एक साल पहले बने थे पीएम
इमरान खान ने 25 अप्रैल, 1996 को औपचारिक रूप से अपनी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की स्थापना की थी. उनकी पार्टी ने विशेष रूप से पाकिस्तान के युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल की और पार्टी 2013 के चुनाव में खैबर पख्तूनख्वा में एक प्रांतीय सरकार बनाने में सफल रही. पीटीआई जुलाई 2018 में केंद्रीय सत्ता में आई और 17 अगस्त, 2018 को इमरान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री चुने गये.

इस्लामाबाद: जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान ने आजादी मार्च का एलान कर इमरान खान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख फजलुर रहमान ने शनिवार को अपने 'आजादी' मार्च को सरकार के खिलाफ 'जंग' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता.

जेयूआई-एफ नेता ने इस दौरान सरकार के खिलाफ 27 अक्टूबर को एक मार्च निकालने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मार्च का समापन राजधानी में होगा और पार्टी की यहां धरना-प्रदर्शन करने की योजना है. उन्होंने पेशावर में एक प्रेस वार्ता में कहा, 'पूरा देश हमारा युद्धक्षेत्र (वॉरजोन) होगा.'

तिनके की तरह डूब जाएंगे फर्जी शासक
उन्होंने कहा, 'हमारी रणनीति एकसमान नहीं रहेगी. हम किसी भी स्थिति से निबटने के लिए इसमें बदलाव करते रहेंगे. पूरे देश से लोगों का जनसैलाब इस मार्च में भाग लेने आ रहा है और फर्जी शासक इसमें एक तिनके की तरह डूब जाएंगे.'

धार्मिक कार्ड से फायदा उठाने की कोशिश
उधर इमरान खान ने कहा कि मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएलएल-एन) के इशारे पर सरकार के खिलाफ 'धार्मिक कार्ड' का फायदा उठाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे.

अन्य दलों ने दी धनराशि
स्थानीय समाचर पत्र के मुताबिक, इमरान के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि मौलाना फजलुर को पीपीपी और पीएमएल-एन ने सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए काफी धनराशि दी है.

पढ़ें-पीएम पद के लायक नहीं हैं इमरान खान : विदेश मंत्रालय

अन्य दलों ने दिया समर्थन
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) दोनों प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने हालांकि मार्च में शामिल होने को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है. पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी ने शुक्रवार को कहा था कि वह रहमान को सहयोग देने के मुद्दे पर पार्टी बैठक में फैसला लेंगे. वहीं पीएमएल-एन ने रहमान से मार्च कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आग्रह किया था.

चरमपंथी गुट बने राह के कांटे
क्रिकेटर से राजनेता बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टियों - पीपीपी और पीएमएल-नवाज को टक्कर देने के लिए जिस पाकिस्तानी सेना और चरमपंथी गुटों का साथ लिया था, अब वही उनकी राह के कांटे बनने लगे हैं. सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उद्योगपतियों के साथ बैठक कर एक संकेत दिया.

आम आदमी ने शुरू किया विरोध
पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब होने के बाद अब आम आदमी उनसे जमीनी हकीकत से जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछने लगा है. इमरान हालांकि भारत विरोधी बयानों और कश्मीर राग अलापते हुए जनता का ध्यान बंटाने में लगे हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर स्वदेश लौटे इमरान का जिस तरह देश में भव्य स्वागत हुआ था, वह 24 घंटे भी नहीं टिका और सब काफूर हो गया.

पढ़ें-PAK सैन्य प्रमुख बाजवा से मिले कारोबारी, इमरान सरकार पर बिफरे

अब भी कश्मीर राग अलाप रहे...
देश की खस्ता अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से घिरे इमरान को अब कुछ सूझ नहीं रहा तो संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद भी कश्मीर राग ही अलाप रहे हैं. इसलिए सेना प्रमुख और चरमपंथी मौलाना फजलुर रहमान ने जमीनी हालात को समझते हुए अपनी योजनाओं को खुलासा कर दिया है.

एक साल पहले बने थे पीएम
इमरान खान ने 25 अप्रैल, 1996 को औपचारिक रूप से अपनी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की स्थापना की थी. उनकी पार्टी ने विशेष रूप से पाकिस्तान के युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल की और पार्टी 2013 के चुनाव में खैबर पख्तूनख्वा में एक प्रांतीय सरकार बनाने में सफल रही. पीटीआई जुलाई 2018 में केंद्रीय सत्ता में आई और 17 अगस्त, 2018 को इमरान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री चुने गये.

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PRI GEN INT
.ISLAMABAD FGN54
PAK-IMRAN-OPPOSITION-MARCH
Pak religious party announces 'Azadi March' from Oct 27 to oust 'incompetent' Imran Khan govt
By Sajjad Hussain
(Eds: Updating with more inputs)
         Islamabad, Oct 3 (PTI) A major right-wing religious party in Pakistan announced on Thursday that it will begin its 'Azadi March' on October 27 to oust the "incompetent" government of Prime Minister Imran Khan, blaming him for the economic woes of the cash-strapped country.
         This was announced by Jamiat Ulema-i-Islam - Fazl (JUI-F) chief Maulana Fazlur Rehman, two days after the leadership of top Opposition parties, PML-N and PPP opposed any "solo flight" for the ouster of the government and decided to hold a conference of all parties to develop consensus among them.
         They agreed that the "incompetent and incapable" government of Khan's Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI) that has completed one year in power must be ousted.
         "The government is the result of a fake election," Rehman, flanked by his close party aides, told a press conference on Thursday.
         "We will gather at D-Chowk," he said, adding, "We are not ones to disperse easily." D-Chowk, also known as Democracy Chowk, is a large square located in Islamabad which is often used for political rallies and public gatherings.
         "The country is under economic crisis due to the government's incompetency," Rehman said.
         "The current government is the result of a fake election and fake results," Rehman said.
         The JUI-F chief said that all Opposition parties had rejected the July 25 elections and had called for fresh elections.
         He said that JUI-F delegations from across the country would converge on the federal capital on October 27 to "rid the country of incompetent government" of Pakistan Tehreek-e-Insaf which, according to him, has destroyed the economy.
         "As a result of this illegal government and its incompetencies, the country's economy has sunk [...] traders have shut down businesses as a result of heavy taxation. The Muslims of Pakistan are in anguish over the state of religion in the country," he was quoted as saying by The Express Tribune newspaper.
         The Pakistan government's biggest challenge was to save an economy facing a balance of severe payments crisis.
         Within the first eight months, Khan has made visits to long-time allies China, Saudi Arabia, the United Arab Emirates and Qatar, securing some USD 9 billion in loans to shore up the economy.
         But the economic woes persists as growth continues to be slow, the rupee plummeting and inflation rising beyond 10 per cent.
Opposition parties have alleged that Khan, the 66-year-old cricketer-turned-politician won the 2018 general election with the tacit backing of the powerful military, which plays a dominant role in politics in Pakistan.
         "All Opposition parties agree that fresh elections should be held to find out who has the real mandate of the people," he said.
         The cleric said all Opposition parties have consensus on the fact that the incumbent government has come to power as result of a rigged election and that it has to go.
         The JUI-F chief rejected the impression that he was "going solo" and said that the party is "in touch with all the other parties and making decisions in consultation with them".
         "We met Bilawal Bhutto sahib today and some very positive developments took place during our meeting. Yesterday you must have seen the PML-N delegation speak. Some positive developments took place then, as well," Rehman was quoted as saying by Dawn newspaper.
         When asked by reporters whether the Pakistan Peoples Party of Bhutto and Pakistan Muslim League - Nawaz will also participate in the sit-in alongside JUI-F or only the march that day, Rehman responded by saying: "The entire country is showing up. The trader community will be there. Doctors, lawyers are coming. We are in direct contact with people from all walks of life. I can speak for the readiness all these people have shown."
         To a question regarding the one demand from which the party will not budge during the sit-in, Rehman stressed that the protest will continue "until the government steps down".
         He said the party will also work towards bringing in election reforms so a more transparent process is carried out for the "new elections". PTI SH
AKJ
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