इस्लामाबादः जेल में बंद नवाज शरीफ को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है. पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की याचिका को खारिज कर दिया. शरीफ ने अपनी याचिका में भ्रष्टाचार मामले में मिली सजा को चिकित्सीय आधार पर निलंबित करने और जमानत दिए जाने की मांग की थी.
आपको बता दें, शरीफ 24 दिसंबर 2018 से लाहौर की कोट लखपत जेल में हैं और सात साल की सजा काट रहे हैं. पनामा पेपर मामले में शीर्ष अदालत के 28 जुलाई, 2017 के आदेश के मद्देनजर एक जवाबदेही अदालत ने अल अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में उन्हें दोषी ठहराया था.
स्थानीय न्यूज चैनल के मुताबिक इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली एक पीठ ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो की याचिका खारिज कर दी. इस पीठ में न्यायमूर्ति अमर फारूक और न्यायमूर्ति अख्तर कियानी शामिल थे.
मामले में पूर्व में हुई सुनवाइयों के दौरान शरीफ के वकील ख्वाजा हैरिस ने अदालत को बताया था कि उनके मुवक्किल मधुमेह, रक्तचाप एवं ह्रदय संबंधी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनका पाकिस्तान में इलाज मुमकिन नहीं.
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उन्होंने शरीफ के जीवन पर खतरा बताते हुए पीठ से उन्हें जमानत देने का आग्रह किया.
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के अभियोजक जहानजेब भरवाना ने जमानत याचिका का यह कह कर विरोध किया कि पूर्व प्रधानमंत्री को पर्याप्त चिकित्सीय सुविधा दी जा रही है. और अदालत से याचिका खारिज करने की मांग की.
लेकिन कोट लखपत जेल के अधीक्षक और एक चिकित्सीय अधिकारी ने इस हफ्ते अदालत को सूचित किया कि शरीफ को दिए जा रहे मौजूदा चिकित्सीय इलाज से उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो रहा है.