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अफगान नेताओं की देश में समावेशी सरकार के गठन की मांग

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Published : Aug 20, 2021, 4:37 AM IST

पाकिस्तान आए अफगान प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि अफगानिस्तान में सभी पक्षकारों के साथ सत्ता साझा करने संबंधी समझौते के जरिए समावेशी सरकार बनाने चाहिए. साथ ही प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर तालिबान की सरकार पिछली गलतियों को दोहराती है तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगी.

अफगान प्रतिनिधिमंडल
अफगान प्रतिनिधिमंडल

इस्लामाबाद : पाकिस्तान पहुंचे एक अफगान प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में सभी पक्षकारों के साथ सत्ता साझा करने संबंधी समझौते के जरिए समावेशी सरकार बनाने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल की पाकिस्तान की यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है, जब अफगानिस्तान की राजधानी सहित देश के अधिकतर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा हो गया है.

प्रतिनिधिमंडल में स्पीकर वोलेसी जिरगा मीर रहमान रहमानी, सलाहुद्दीन रब्बानी और अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस कानूनी तथा अन्य लोग शामिल हैं. इस दल ने प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद से मुलाकात की.

यात्रा के अंत में रहमानी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान में अगला चरण सरकार का गठन है. उन्होंने कहा, नई सरकार तभी सफल रहेगी जब सभी पक्षकारों को इसमें शामिल किया जाएगा. साथ ही रहमानी ने कहा कि अगर तालिबान समावेशी सरकार बनाने में विफल रहा तो देश में 1996 के बाद वाले हालात बन सकते हैं.

रहमानी ने अफगान शांति प्रक्रिया के विफल रहने पर खेद जताया. उन्होंने कहा, हमारी यात्रा का मकसद सामंजस्य बैठाना और अफगानिस्तान में हिंसा को समाप्त करना है.

उन्होंने कहा कि नई सरकार लोगों को स्वीकार्य होनी चाहिए और उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून का शासन सुनिश्चित करना चाहिए. रहमानी ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात का मकसद अफगानिस्तान में हस्तक्षेप के बारे में नहीं था.

तालिबान बलपूर्वक शासन नहीं कर सकता
वहीं, अफगानिस्तान के प्रमुख नेताओं और अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी है कि अगर तालिबान की सरकार पिछली गलतियों को दोहराती है तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगी.

अफगान नेता खालिद नूर ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में बलपूर्वक शासन नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने बलपूर्वक सत्ता संभाली है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वे लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करते हैं तो उनका शासन अल्पकालिक होगा.

यह भी पढ़ें- अफगानों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध, उन्हें हमेशा प्रभावित करेंगे : जयशंकर

अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनिस कानूनी ने कहा कि अफगानिस्तान में भविष्य की सरकार सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ समावेशी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, हम एक पार्टी या समूह द्वारा एक नियम का विरोध करते हैं.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान पहुंचे एक अफगान प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान में सभी पक्षकारों के साथ सत्ता साझा करने संबंधी समझौते के जरिए समावेशी सरकार बनाने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल की पाकिस्तान की यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है, जब अफगानिस्तान की राजधानी सहित देश के अधिकतर हिस्सों पर तालिबान का कब्जा हो गया है.

प्रतिनिधिमंडल में स्पीकर वोलेसी जिरगा मीर रहमान रहमानी, सलाहुद्दीन रब्बानी और अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस कानूनी तथा अन्य लोग शामिल हैं. इस दल ने प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद से मुलाकात की.

यात्रा के अंत में रहमानी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान में अगला चरण सरकार का गठन है. उन्होंने कहा, नई सरकार तभी सफल रहेगी जब सभी पक्षकारों को इसमें शामिल किया जाएगा. साथ ही रहमानी ने कहा कि अगर तालिबान समावेशी सरकार बनाने में विफल रहा तो देश में 1996 के बाद वाले हालात बन सकते हैं.

रहमानी ने अफगान शांति प्रक्रिया के विफल रहने पर खेद जताया. उन्होंने कहा, हमारी यात्रा का मकसद सामंजस्य बैठाना और अफगानिस्तान में हिंसा को समाप्त करना है.

उन्होंने कहा कि नई सरकार लोगों को स्वीकार्य होनी चाहिए और उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून का शासन सुनिश्चित करना चाहिए. रहमानी ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात का मकसद अफगानिस्तान में हस्तक्षेप के बारे में नहीं था.

तालिबान बलपूर्वक शासन नहीं कर सकता
वहीं, अफगानिस्तान के प्रमुख नेताओं और अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी है कि अगर तालिबान की सरकार पिछली गलतियों को दोहराती है तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगी.

अफगान नेता खालिद नूर ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में बलपूर्वक शासन नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने बलपूर्वक सत्ता संभाली है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वे लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करते हैं तो उनका शासन अल्पकालिक होगा.

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अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनिस कानूनी ने कहा कि अफगानिस्तान में भविष्य की सरकार सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ समावेशी होनी चाहिए. उन्होंने कहा, हम एक पार्टी या समूह द्वारा एक नियम का विरोध करते हैं.

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