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चीन के साथ वार्ता करने में भारत का साझेदार होना जरूरी : ब्लिंकेन

अमेरिका के संभावित विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने बाइडेन प्रशासन के भारत के साथ संबंध मजबूत करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि चीन के साथ वार्ता करने में भारत को साझेदार होना चाहिए. ब्लिंकेन ने कहा है कि बाइडेन प्रशासन दक्षिण एशिया में आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. चाहे वह सीमा पार से हो या अन्य स्थानों से.

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एंटनी ब्लिंकेन
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Published : Nov 24, 2020, 4:58 PM IST

वॉशिगंटन : अमेरिका के संभावित विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का मानना है कि भारत और अमेरिका 'तेजी से मुखर' होते चीन के रूप में एक समान चुनौती का सामना करते हैं. चीन के साथ मजबूत स्थिति को बनाए रखकर वार्ता करने के लिए नई दिल्ली को अमेरिका का एक अहम साझेदार होना चाहिए.

ब्लिंकेन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी गठबंधन को कमजोर कर चीन के महत्वपूर्ण रणनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद की और दुनिया में शून्यता छोड़ी, ताकि चीन उसे भर सके.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रंप ने अमेरिकी मूल्यों को छोड़ा और हांगकांग में लोकतंत्र को कुचलने के लिए हरी झंडी दिखाई.

ब्लिंकेन ने जो बाइडेन के प्रशासन में अमेरिका-भारत के रिश्ते और भारतीय अमेरिकियों पर आयोजित एक डिजिटल पैनल चर्चा में भारतीय मूल के लोगों से कहा कि हमारी एक समान चुनौती तेजी से मुखर होते चीन से निपटने की है, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के प्रति उसकी आक्रामकता शामिल है.

उन्होंने कहा कि चीन अपनी आर्थिक ताकत के दम पर दूसरों को दबाना चाहता है. वह अपने हितों का विस्तार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों को नजरअंदाज कर रहा है तथा बेबुनियाद समुद्री और क्षेत्रीय दावे कर रहा है. इससे विश्व के कुछ अहम सागरों में नौवहन की स्वतंत्रता पर खतरा पैदा हुआ है.

भारत और चीन के बीच मई से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध चल रहा है.

ब्लिंकेन, बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहने के दौरान उनके विदेश नीति सलाहकार थे. उन्होंने हांगकांग में चीनी कार्रवाई का हवाला दिया था और इसे अपने लोगों के अधिकारों और लोकतंत्र का दमन बताया था.

ब्लिंकेन ने कहा था कि हमें एक कदम पीछे हटना होगा और खुद को उस मजबूत स्थिति में रखना होगा, जहां से हम चीन से वार्ता कर सकें, ताकि रिश्ते हमारी शर्तों पर आगे बढ़ें न कि उनकी शर्तों पर.

अमेरिका के संभावित विदेश मंत्री ने कहा कि इस प्रयास में भारत एक अहम साझेदार होना चाहिए.

अगर निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ब्लिंकेन को विदेश मंत्री बनाया और सीनेट की विदेश संबंध समिति ने पुष्टि की, तो ब्लिंकेन माइक पोम्पिओ का स्थान लेंगे.

भारत जैसे करीबी साझेदारों के साथ काम करेंगे बाइडेन
भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा के सवाल के जवाब में ब्लिंकेन ने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर बाइडेन हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नए तरीके से काम करेंगे. साथ में वह, भारत जैसे करीबी साझेदारों के साथ काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि ओबामा-बाइडेन प्रशासन के दौरान हमने भारत को हिंद प्रशांत रणनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला सदस्य बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. हिंद प्रशांत में नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने और मजबूत करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने में भारत की भूमिका शामिल है. इसमें चीन समेत कोई भी देश अपने पड़ोसियों को धमका नहीं सकता है.

पढ़ें- अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल की घोषणा की

उन्होंने कहा कि बाइडेन के प्रशासन में हम चाहेंगे कि भारत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भूमिका अदा करे और हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को सदस्यता दिलाने में मदद करेंगे.

ब्लिंकेन ने कहा कि हम भारत की रक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे और आतंकवाद निरोधक साझेदार के रूप में उसकी क्षमताओं को बढ़ाएंगे.

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन दक्षिण एशिया में आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. चाहे वह सीमा पार से हो या अन्य स्थानों से.

वॉशिगंटन : अमेरिका के संभावित विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का मानना है कि भारत और अमेरिका 'तेजी से मुखर' होते चीन के रूप में एक समान चुनौती का सामना करते हैं. चीन के साथ मजबूत स्थिति को बनाए रखकर वार्ता करने के लिए नई दिल्ली को अमेरिका का एक अहम साझेदार होना चाहिए.

ब्लिंकेन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी गठबंधन को कमजोर कर चीन के महत्वपूर्ण रणनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद की और दुनिया में शून्यता छोड़ी, ताकि चीन उसे भर सके.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रंप ने अमेरिकी मूल्यों को छोड़ा और हांगकांग में लोकतंत्र को कुचलने के लिए हरी झंडी दिखाई.

ब्लिंकेन ने जो बाइडेन के प्रशासन में अमेरिका-भारत के रिश्ते और भारतीय अमेरिकियों पर आयोजित एक डिजिटल पैनल चर्चा में भारतीय मूल के लोगों से कहा कि हमारी एक समान चुनौती तेजी से मुखर होते चीन से निपटने की है, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के प्रति उसकी आक्रामकता शामिल है.

उन्होंने कहा कि चीन अपनी आर्थिक ताकत के दम पर दूसरों को दबाना चाहता है. वह अपने हितों का विस्तार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों को नजरअंदाज कर रहा है तथा बेबुनियाद समुद्री और क्षेत्रीय दावे कर रहा है. इससे विश्व के कुछ अहम सागरों में नौवहन की स्वतंत्रता पर खतरा पैदा हुआ है.

भारत और चीन के बीच मई से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध चल रहा है.

ब्लिंकेन, बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहने के दौरान उनके विदेश नीति सलाहकार थे. उन्होंने हांगकांग में चीनी कार्रवाई का हवाला दिया था और इसे अपने लोगों के अधिकारों और लोकतंत्र का दमन बताया था.

ब्लिंकेन ने कहा था कि हमें एक कदम पीछे हटना होगा और खुद को उस मजबूत स्थिति में रखना होगा, जहां से हम चीन से वार्ता कर सकें, ताकि रिश्ते हमारी शर्तों पर आगे बढ़ें न कि उनकी शर्तों पर.

अमेरिका के संभावित विदेश मंत्री ने कहा कि इस प्रयास में भारत एक अहम साझेदार होना चाहिए.

अगर निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ब्लिंकेन को विदेश मंत्री बनाया और सीनेट की विदेश संबंध समिति ने पुष्टि की, तो ब्लिंकेन माइक पोम्पिओ का स्थान लेंगे.

भारत जैसे करीबी साझेदारों के साथ काम करेंगे बाइडेन
भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा के सवाल के जवाब में ब्लिंकेन ने कहा कि राष्ट्रपति के तौर पर बाइडेन हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नए तरीके से काम करेंगे. साथ में वह, भारत जैसे करीबी साझेदारों के साथ काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि ओबामा-बाइडेन प्रशासन के दौरान हमने भारत को हिंद प्रशांत रणनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला सदस्य बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. हिंद प्रशांत में नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने और मजबूत करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करने में भारत की भूमिका शामिल है. इसमें चीन समेत कोई भी देश अपने पड़ोसियों को धमका नहीं सकता है.

पढ़ें- अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल की घोषणा की

उन्होंने कहा कि बाइडेन के प्रशासन में हम चाहेंगे कि भारत अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भूमिका अदा करे और हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को सदस्यता दिलाने में मदद करेंगे.

ब्लिंकेन ने कहा कि हम भारत की रक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे और आतंकवाद निरोधक साझेदार के रूप में उसकी क्षमताओं को बढ़ाएंगे.

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन दक्षिण एशिया में आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. चाहे वह सीमा पार से हो या अन्य स्थानों से.

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