नई दिल्ली/नोएडा: लुक्सर जेल के अफसरों ने बंदियों में मानसिक परिवर्तन लाने के लिए एक अनूठी पहल की है. लुक्सर जेल में बंद कैदियों के लिए रेडियो स्टेशन पब्लिक एड्रेस सिस्टम की शुरुआत की गई है. इसका उद्घाटन जेल के दो सबसे बुजुर्ग बंदियों ने किया.
अफसरों को उम्मीद है कि यह स्टेशन बंदियों के नजरिये में बदलाव और जेल की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा.
सबसे बुजुर्ग बंदियों ने की शुरुआत
लुक्सर जेल में बंद कैदियों के लिए रेडियो स्टेशन पब्लिक एड्रेस सिस्टम की शुरुआत जेल में बंद डिप्रेशन से जूझ रहे दो सबसे बुजुर्ग बंदियों ने की. इस केंद्र से रोजाना सुबह-शाम को प्रार्थना और भजन कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा. दोपहर में दो घंटे के लिए मनोरंजक गानों का प्रसारण किया जाएगा.
बंदी पेश कर सकेंगे खुद के कार्यक्रम
इसी दो घंटे के दौरान कोई भी बंदी खुद के गीत, कविता, भाषण और दूसरे मनोरंजक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दे सकता है. उन्होंने बताया कि जिस कंट्रोल रूम में रेडियो स्टेशन की स्थापना की गई है. वह सीसीटीवी सिस्टम से भी लैस है.
जेल और कैदियों पर रहेगी निगाह
वहां से पूरी जेल और बैरकों में बंद कैदियों की गतिविधियों पर निगाह रखी जा सकेगी. किसी अनावश्यक गतिविधियों को लेकर निर्देश या चेतावनी दी जा सकेगी.
लुक्सर जेल के अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस महानिदेशक (कारागार) के निर्देश पर यह पहल की गई है. उन्होंने बताया कि मनुष्य का मन उम्र के किसी भी पड़ाव पर बदल सकता है. आम धारणा यही है कि समय और समाज की विकृतियों के कारण बहुत से लोग अपराध के दलदल में फंस जाते हैं.
उन्होंने बताया कि कोई जन्म से अपराधी नहीं होता है. इसलिए उनकी यही कोशिश है कि जेल के बंदियों को ऐसी सुविधाएं, ऐसा ज्ञान और ऐसे संस्कार दिए जाएं. जिससे यहां से मुक्त होने वाले बंदी समाज की मुख्य धारा में खुद को ढाल पाएं.