नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (National Green Tribunal) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गाजियाबाद के डीएम को निर्देश दिया है कि वो डीजल जेनरेटरों को वायु गुणवत्ता और ध्वनि मानकों का पालन कराएं. NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने UPPCB को निर्देश दिया कि वो बिना अनुमति के डीजल जेनरेटरों के चलाने वालों पर कार्रवाई करें.
सतीश गोविंद द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि गाजियाबाद के विंडसर पार्क रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रबंधकों की ओर से चलाए जा रहे डीजल जेनरेटर सेट वायु गुणवत्ता का उल्लंघन कर रहे हैं. विंडसर पार्क सोसायटी में 12 टावर हैं. हर टावर में 10 से 23 फ्लोर हैं. सोसायटी में चलने वाले डीजल जेनरेटर सेट की चिमनी ठीक जेनरेटर सेट के ऊपर लगी होती है, जबकि जेनरेटर की चिमनी सबसे ऊपरी फ्लोर के ऊपर होनी चाहिए. इससे जेनरेटर से निकलने वाला धुआं ग्राउंड फ्लोर पर ही फैल जाता है.
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याचिका में कहा गया है कि सोसायटी में करीब 770 फ्लैट हैं. इनमें से अधिकांश लोग जेनरेटर के धुंए के प्रदूषण से परेशान हैं. इनमें उन्हें ज्यादा परेशानी होती है जो ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं. सोसायटी के रहने वाले लोगों ने इसकी शिकायत रेडिटेंड्स वेलफेयर सोसायटी से की, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिला.
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NGT ने कहा कि दिल्ली-NCR में 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक प्रदूषण की समस्या सबसे ज्यादा रहती है. इससे निपटने किए ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान तैयार किया गया है. इसके तहत डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (national clean air program) को भी लागू किया है. जिसके तहत डीजल जेनरेटर की जगह गैस पर चलने वाले जेनरेटर चलाने की बात कही गई है. NGT ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक महीने के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.