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शीला दीक्षित के बिना भारी मन से हुई कांवड़ सद्भावना कैंप की शुरुआत

सीलमपुर विधानसभा में वेलकम पुलिया में लगने वाले कांवड़ सद्भावना शिविर की खासियत ये है कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक इस शिविर को मुस्लिम समुदाय के लोग ही संचालित करते हैं.

कांवड़ सद्भावना कैंप की हुई शुरुआत etv bharat
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Published : Jul 24, 2019, 7:58 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के जमुना पार के वेलकम पुलिया पर सालों से लगने वाला काम सद्भावना शिविर आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बगैर बेहद भारी दिल से कांग्रेसियों ने शुरू किया. इस कैंप के आयोजक पूर्व एमएलए चौधरी मतीन अहमद का कहना है कि आज शीला जी हमारे बीच नहीं हैं अगर वो होतीं तो इस कैंप में नजारा ही बदला हुआ होता.

कांवड़ सद्भावना कैंप की हुई शुरुआत

बता दें कि वेलकम पुलिया पर पिछले 20 सालों से पवित्र जल लेकर आने वाले कावड़ियों की सेवा के लिए ये सद्भावना कैंप लगाया जा रहा है.

हिंदू- मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है ये शिविर

सीलमपुर विधानसभा में वेलकम पुलिया में लगने वाले कांवड़ सद्भावना शिविर की खासियत यह है कि हिंदू मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक इस शिविर को मुस्लिम समुदाय के लोग ही संचालित करते हैं. इतना ही नहीं इस शिविर में पहुंचने वालों की सेवा में नौजवान और बुजुर्ग खड़े रहते हैं, जो कैंप में आने वाले कावड़ियों को पीने के लिए पानी और फल आदि मुहैया कराते हैं.

Sadbhawna kanwad camp start without shiela Dixit
कांवड़ सद्भावना कैंप की हुई शुरुआत

20 सालों से शीला दीक्षित करती थी शिविर का उद्घाटन

करीब बीस सालों से लगने वाले इस सद्भावना शिविर की एक और खास बात यह रहती थी कि इस शिविर का उद्घाटन चौधरी मतीन अहमद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से ही कराते रहे थे. इस सद्भावना कांवड़ कैंप के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन अहमद ने बताया कि हर साल शीला जी ही इस कैंप का उद्घाटन करती आई हैं, अब क्योंकि वो इस दुनिया मे नहीं रहीं ऐसे में बेहद मायूसी के साथ इस शिविर को शुरू किया गया है. हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक यह शिविर आपसी भाईचारे का संदेश देता है, ऐसे में सद्भावना शिविर को शुरू किया जाना भी जरूरी था. 2 मिनट का मौन धारण कर सभी ने शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देकर इस कांवड़ सेवा सद्भावना शिविर की शुरुआत की.

मुस्लिम लोग करते हैं कावड़ियों का स्वागत
आपसी सद्भाव के प्रतीक इस शिविर की खास बात यह है कि इस शिविर में कावड़ियों की सेवा करने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग दिनभर लगे रहते हैं. कैंप पर पहुंचने वाले शिवभक्त कावड़ियों के लिए यहां रुकने, बैठने, पानी पीने और हल्का फुल्का खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जाती हैं.

सुचारू संचालन की रहती है खास व्यवस्था
जिस जगह ये कांवड़ सद्भावना कैंप कगाया जाता है, वहां रोड पर ऑटो रिक्शा आदि खड़े रहने से अक्सर जाम की दिक्कत रहती है, लेकिन जिस दिन से इस शिविर की शुरुआत होती है तब से ही यहां ट्रैफिक व्यवस्था का संचालन कैंप में मौजूद लोग माइक से करते हैं. कहा जा सकता है कि जब तक यहां ये सद्भावना कांवड़ शिविर लगता है, यहां के लोगों को भी जाम की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के जमुना पार के वेलकम पुलिया पर सालों से लगने वाला काम सद्भावना शिविर आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बगैर बेहद भारी दिल से कांग्रेसियों ने शुरू किया. इस कैंप के आयोजक पूर्व एमएलए चौधरी मतीन अहमद का कहना है कि आज शीला जी हमारे बीच नहीं हैं अगर वो होतीं तो इस कैंप में नजारा ही बदला हुआ होता.

कांवड़ सद्भावना कैंप की हुई शुरुआत

बता दें कि वेलकम पुलिया पर पिछले 20 सालों से पवित्र जल लेकर आने वाले कावड़ियों की सेवा के लिए ये सद्भावना कैंप लगाया जा रहा है.

हिंदू- मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है ये शिविर

सीलमपुर विधानसभा में वेलकम पुलिया में लगने वाले कांवड़ सद्भावना शिविर की खासियत यह है कि हिंदू मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक इस शिविर को मुस्लिम समुदाय के लोग ही संचालित करते हैं. इतना ही नहीं इस शिविर में पहुंचने वालों की सेवा में नौजवान और बुजुर्ग खड़े रहते हैं, जो कैंप में आने वाले कावड़ियों को पीने के लिए पानी और फल आदि मुहैया कराते हैं.

Sadbhawna kanwad camp start without shiela Dixit
कांवड़ सद्भावना कैंप की हुई शुरुआत

20 सालों से शीला दीक्षित करती थी शिविर का उद्घाटन

करीब बीस सालों से लगने वाले इस सद्भावना शिविर की एक और खास बात यह रहती थी कि इस शिविर का उद्घाटन चौधरी मतीन अहमद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से ही कराते रहे थे. इस सद्भावना कांवड़ कैंप के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन अहमद ने बताया कि हर साल शीला जी ही इस कैंप का उद्घाटन करती आई हैं, अब क्योंकि वो इस दुनिया मे नहीं रहीं ऐसे में बेहद मायूसी के साथ इस शिविर को शुरू किया गया है. हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक यह शिविर आपसी भाईचारे का संदेश देता है, ऐसे में सद्भावना शिविर को शुरू किया जाना भी जरूरी था. 2 मिनट का मौन धारण कर सभी ने शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देकर इस कांवड़ सेवा सद्भावना शिविर की शुरुआत की.

मुस्लिम लोग करते हैं कावड़ियों का स्वागत
आपसी सद्भाव के प्रतीक इस शिविर की खास बात यह है कि इस शिविर में कावड़ियों की सेवा करने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग दिनभर लगे रहते हैं. कैंप पर पहुंचने वाले शिवभक्त कावड़ियों के लिए यहां रुकने, बैठने, पानी पीने और हल्का फुल्का खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जाती हैं.

सुचारू संचालन की रहती है खास व्यवस्था
जिस जगह ये कांवड़ सद्भावना कैंप कगाया जाता है, वहां रोड पर ऑटो रिक्शा आदि खड़े रहने से अक्सर जाम की दिक्कत रहती है, लेकिन जिस दिन से इस शिविर की शुरुआत होती है तब से ही यहां ट्रैफिक व्यवस्था का संचालन कैंप में मौजूद लोग माइक से करते हैं. कहा जा सकता है कि जब तक यहां ये सद्भावना कांवड़ शिविर लगता है, यहां के लोगों को भी जाम की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है.

Intro:जमुना पार के वेलकम पुलिया पर सालों से लगने वाला काम सद्भावना शिविर आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बगैर बेहद भारी दिल से कांग्रेसियों ने शुरू कर दिया है ईश्वर के आयोजक पूर्व एमएलए चौधरी मतीन अहमद का कहना है क्या आज शीला जी हमारे बीच नहीं हैं अगर वह होती तो इस कैंप में कल नजारा ही बदला हुआ होता लोगों का प्यार ही है या आज लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ इस सद्भावना कैंप में पहुंचे हुए हैं वेलकम पुलिया पर पिछले 20 सालों से पवित्र जल लेकर आने वाले कांवरियों की सेवा के लिए यह सद्भावना कैंप लगाया जाता है.


Body:वैसे तो पूरी दिल्ली में ही शिव भक्त कावड़ियों की सेवा के लिए जगह जगह शिविर लगाए जाते हैं, लेकिन सीलमपुर विधानसभा में वेलकम पुलिया के आगे लगने वाले कांवड़ सद्भावना शिविर की खासियत यह है कि हिंदू मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक इस शिविर को मुस्लिम भाई ही संचालित करते हैं.इतना ही नहीं इस शिविर में पहुंचने बलों की सेवा में मुस्लिम नौजवान और बुजुर्ग खड़े रहते हैं जो कैंप में आने वाले कावड़ियों को पीने के लिए पानी और केले आदि मुहैया कराते हैं. करीब बीस सालों से लगने वाले इस सद्भावना शिविर की एक और खास बात यह रहती थी कि इस शिविर का उद्घाटन चौधरी मतीन अहमद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से ही कराते रहे हैं. पहली बार इस शिविर को औपचारिक रूप से शीला जी के बगैर अहव श्रद्धांजलि देकर कर दिया गया.
इस सद्भावना कांवड़ कैंप के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन अहमद ने बताया कि हर साल शीला जी ही इस कैंप का उद्घाटन करती आई हैं, अब क्योंकि वह इस दुनिया मे नहीं रहीं ऐसे में बेहद मायूसी के साथ इस शिविर को शुरू किया गया है. हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक यह शिविर आपसी भाईचारे का संदेश देता है, ऐसे में सद्भावना शिविर को शुरू किया जाना भी जरूरी था. दो मिनट का मौन धारण करके अपनी नेता शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देकर इस कांवड़ सेवा सद्भावना शिविर की शुरुआत की गई है,


मुस्लिम लोग ही करते हैं कावड़ियों का स्वागत
आपसी सद्भाव के प्रतीक इस शिविर की खास बात यह है कि इस शिविर में कावड़ियों की सेवा करने के लिए मुस्लिम भाई हो पूरे दिन लगे रहते हैं. कैंप पर पहुंचने वाले शिवभक्त कावड़ियों के लिए यहां रुकने बैठने पानी और हल्का फुल्का खाने पीने की चीजें भी मुहैया कराई जाती है. टोपी लगाए मुस्लिम यहां कावड़ियों की सेवा में तत्पर रहते हैं.

ट्रैफिक जे सुचारू संचालन की रहती है खास व्यवस्था
जिस जगह यह कांवड़ सद्भावना कैंप कगाये जाता है वहां रोड पर ऑटो रिक्शा आदि खड़े रहबे से अक्सर जाम की दिक्कत रहती है, लेकिन जिस दिन से इस शिविर की शुरुआत होती है तब से ही यहां ट्रैफिक व्यवस्था का संचालन कैंप में मौजूद लोग माइक से करते हैं. कहा जा सकता है कि जब तक यहां यह सद्भावना कांवड़ शिविर लगता है यहां के लोगों को भी जाम की समस्या से छुटकारा मिल जाता है.


Conclusion:सालों पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली के वेलकम पुलिया के सामने यह कांवड़ सद्भावना कैंप लगाया जाता है, इस कैंप के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन हर साल खुद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित स3 इस सद्भावना कैंप का उद्घाटन कराते आये हैं, पहली बार शीला के बगैर स्थानीय लोगों ने भारी मन से इस कैंप का उद्घाटन नहीं बल्कि औपचारिक शुरुआत कर दी. कांग्रेसियों का मानना है कि हिंदू मुस्लिम एकता के आरतीक इस सद्भावना कैंप में पहुंचकर शीला दीक्षित दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश को भाईचारे का संदेश देती थीं.


बाईट 1
चौधरी मतीन अहमद
पूर्व एमएलए एवं कैंप संयोजक

बाईट 2
विनोद राणा
कांग्रेसी नेता

बाईट 3
स्थानीय निवासी

बाईट 4
नासिर जावेद
स्थानीय निवासी

बाईट 5
कांग्रेसी कार्यकर्ता
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