नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के जमुना पार के वेलकम पुलिया पर सालों से लगने वाला काम सद्भावना शिविर आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बगैर बेहद भारी दिल से कांग्रेसियों ने शुरू किया. इस कैंप के आयोजक पूर्व एमएलए चौधरी मतीन अहमद का कहना है कि आज शीला जी हमारे बीच नहीं हैं अगर वो होतीं तो इस कैंप में नजारा ही बदला हुआ होता.
बता दें कि वेलकम पुलिया पर पिछले 20 सालों से पवित्र जल लेकर आने वाले कावड़ियों की सेवा के लिए ये सद्भावना कैंप लगाया जा रहा है.
हिंदू- मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है ये शिविर
सीलमपुर विधानसभा में वेलकम पुलिया में लगने वाले कांवड़ सद्भावना शिविर की खासियत यह है कि हिंदू मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक इस शिविर को मुस्लिम समुदाय के लोग ही संचालित करते हैं. इतना ही नहीं इस शिविर में पहुंचने वालों की सेवा में नौजवान और बुजुर्ग खड़े रहते हैं, जो कैंप में आने वाले कावड़ियों को पीने के लिए पानी और फल आदि मुहैया कराते हैं.
20 सालों से शीला दीक्षित करती थी शिविर का उद्घाटन
करीब बीस सालों से लगने वाले इस सद्भावना शिविर की एक और खास बात यह रहती थी कि इस शिविर का उद्घाटन चौधरी मतीन अहमद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से ही कराते रहे थे. इस सद्भावना कांवड़ कैंप के संयोजक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चौधरी मतीन अहमद ने बताया कि हर साल शीला जी ही इस कैंप का उद्घाटन करती आई हैं, अब क्योंकि वो इस दुनिया मे नहीं रहीं ऐसे में बेहद मायूसी के साथ इस शिविर को शुरू किया गया है. हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक यह शिविर आपसी भाईचारे का संदेश देता है, ऐसे में सद्भावना शिविर को शुरू किया जाना भी जरूरी था. 2 मिनट का मौन धारण कर सभी ने शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देकर इस कांवड़ सेवा सद्भावना शिविर की शुरुआत की.
मुस्लिम लोग करते हैं कावड़ियों का स्वागत
आपसी सद्भाव के प्रतीक इस शिविर की खास बात यह है कि इस शिविर में कावड़ियों की सेवा करने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग दिनभर लगे रहते हैं. कैंप पर पहुंचने वाले शिवभक्त कावड़ियों के लिए यहां रुकने, बैठने, पानी पीने और हल्का फुल्का खाने-पीने की चीजें भी मुहैया कराई जाती हैं.
सुचारू संचालन की रहती है खास व्यवस्था
जिस जगह ये कांवड़ सद्भावना कैंप कगाया जाता है, वहां रोड पर ऑटो रिक्शा आदि खड़े रहने से अक्सर जाम की दिक्कत रहती है, लेकिन जिस दिन से इस शिविर की शुरुआत होती है तब से ही यहां ट्रैफिक व्यवस्था का संचालन कैंप में मौजूद लोग माइक से करते हैं. कहा जा सकता है कि जब तक यहां ये सद्भावना कांवड़ शिविर लगता है, यहां के लोगों को भी जाम की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है.