नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए घोषणा की थी कि अब दिल्ली सरकार के अस्पतालों और दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का इलाज ही हो सकेगा. अब केजरीवाल सरकार की ओर से इसे लेकर एक विस्तृत आदेश जारी किया गया है. बता दें कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली की जनता की तरफ से आए सुझावों और इससे जुड़े फैसले को ध्यान में रखते हुए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट को इसका आधार बताया था.
दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद विपक्षी भाजपा और कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर सवाल उठाए गए, वहीं यह भी पूछा गया कि यह कैसे तय होगा कि दिल्ली वाला कौन है. ऐसे में अब दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इसे लेकर अब एक विस्तृत आदेश जारी हुआ है, जिसमें उन तमाम दस्तावेजों के नाम दिए गए हैं, जो अब अस्पतालों में दिल्ली वालों की पहचान के रूप में काम करेंगे.
इसके अलावा 7 जून से पहले बना हुआ आधार कार्ड भी पहचान पत्र के रूप में अस्पताल को दिखाया जा सकता है. अगर मरीज 18 साल से कम उम्र का हुआ तो ऐसी स्थिति में उसके अभिभावक के नाम का कोई उपर्युक्त दस्तावेज उसके लिए मान्य होगा. मरीज को अस्पताल में इन दस्तावेजों में से किसी एक की फोटो कॉपी देनी होगी.
हालांकि इस आदेश में यह भी कहा गया है कि ट्रांसप्लांटेशन, ओनोकोलॉजी और न्यूरोसर्जरी जैसे कुछ खास तरह के इलाज की सुविधा देने वाले दिल्ली के किसी भी अस्पताल में किसी भी राज्य का व्यक्ति इलाज करा सकेगा. साथ ही सड़क दुर्घटना या एसिड अटैक में घायल व्यक्ति के लिए भी यह छूट रहेगी कि वो किसी भी अस्पताल में इलाज करा सके.