नई दिल्ली : समुद्री खाद्य निर्यात वर्ष 2013-14 के मुकाबले दोगुना से अधिक हो गया है और पिछले वित्त वर्ष में लगभग 64,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने बुधवार को यह जानकारी दी. एक सरकारी बयान में कहा गया कि वर्ष 2013-14 में जहां समुद्री खाद्य पदार्थो का निर्यात 30,213 करोड़ रुपये का हुआ था, वहीं वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान यह बढ़कर 63,969.14 करोड़ रुपये हो गया. जो वैश्विक बाजारों में कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद 111.73 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.
बयान में कहा गया है, ‘वास्तव में वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 की 9 साल की अवधि में संचयी निर्यात का मूल्य 3.41 लाख करोड़ रुपये था, जबकि 2014-15 से पहले के नौ साल यानी वर्ष 2005-06 से वर्ष 2013-14 तक की अवधि में यह निर्यात 1.20 लाख करोड़ रुपये का हुआ था.’ मंत्री ने बताया कि पिछले नौ वर्षों के दौरान, भारत का वार्षिक मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14 के अंत में) से बढ़कर 162.48 लाख टन (2021-22 के अंत में) के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक पहुंच गया है. यह 66.69 लाख टन की बढ़ोतरी दिखाता है.
इसके अलावा, वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय मछली उत्पादन भी 174 लाख टन (अनंतिम आंकड़े) तक पहुंचने या उससे अधिक होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2013-14 की तुलना में 81 प्रतिशत की वृद्धि है. रूपाला ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 से मछुआरों और मछली किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा का विस्तार किया है. आज तक मछुआरों और मछली किसानों को 1,42,458 केसीसी कार्ड जारी किए गए हैं.
भारतीय समुद्री भोजन 129 देशों में निर्यात किया जाता है, जिसमें सबसे बड़ा आयातक अमेरिका है. फ्रोजन झींगा का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है. इसके बाद चीन, यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान और पश्चिम एशिया के देश शामिल हैं.
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(भाषा)