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Uniform Valuation Standards : आईबीबीआई प्रमुख बोले दिवाला प्रक्रिया में देरी कम करने वाले सुझावों के लिए तैयार - Bankruptcy Law

भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड प्रक्रियागत विलंब को कम करने की दिशा में काम कर रहा है. बोर्ड के अध्यक्ष ने एक कार्यक्रम में कहा कि इसके लिए सभी पक्षों से सुक्षाव मांगा गया है. सुझावों के आधार पर तर्क संगत बदलाव किया जायेगा. पढ़े पूरी खबर..

Uniform Valuation Standards
समान मूल्यांकन मानक
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By PTI

Published : Sep 16, 2023, 7:28 PM IST

मुंबई : भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) के चेयरमैन रवि मित्तल ने प्रक्रियागत विलंब को कम करने में मददगार उपायों के बारे में सभी पक्षों से सुझाव देने का शनिवार को अनुरोध किया. मित्तल ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम की तरफ से 'दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code-IBC) और मूल्यांकन' पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'आईबीसी का प्रमुख उद्देश्य न केवल बकाया कर्ज की वसूली बल्कि पुनरुद्धार और पुनर्वास भी है. हमेशा इसकी संकल्पना एक समाधान व्यवस्था के रूप में की गई थी, न कि वसूली प्रणाली के रूप में.'

  • The biggest change Insolvency and Bankruptcy Board of India (IBC) has brought in the system is that NPA or a default is no longer a bank problem and it has now become the borrower’s concern said Shri Ravi Mital, Hon’ble Chairman, Insolvency and Bankruptcy Board of India at the… pic.twitter.com/hOW6BWJqRo

    — ASSOCHAM (@ASSOCHAM4India) September 16, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा, 'यह कानून लाने का उद्देश्य कंपनी को पटरी पर वापस लाने का था. हालांकि आईबीसी का मूल्यांकन वसूली के आधार पर किया जाता है.' आईबीबीआई चेयरमैन ने आईबीसी आने पर भी कर्ज वसूली में हो रही देरी और कम वसूली पर जताई गई चिंताओं पर कहा, 'हम प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं और हितधारकों के सुझावों को लेकर खुली सोच रखते हैं. आईबीसी का प्रत्यक्ष लाभ वसूली है लेकिन आप जानते हैं कि अप्रत्यक्ष लाभ कहीं बड़ा होता है और इसे व्यावहारिक परिवर्तन कहा जाता है। इसे कर्जदाता एवं कर्जदार के रिश्ते में बदलाव कहा जाता है.'

उन्होंने कहा कि पिछले साल राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने अधिकतम 180 समाधान योजनाओं को मंजूरी दी थी और इनके जरिये बकाया कर्ज की 36 प्रतिशत वसूली हुई. उन्होंने कहा कि आईबीसी ने 2017 से अब तक 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली में मदद की है.

मित्तल ने कहा, 'हमें देरी को कम करने के लिए अधिक नवोन्मेषी होना होगा. निश्चित रूप से, इसमें संशोधन की जरूरत है. अगर हम होने वाली देरी को कम करते हैं तो वसूली बेहतर होगी. अब एनसीएलटी एक महीने में 35 कर्ज समाधान योजनाओं को मंजूरी दे रहा है और इस रफ्तार से चलने पर निश्चित रूप से देरी में काफी कमी आएगी.' उन्होंने कहा कि देरी आमतौर पर कर्ज समाधान योजना की मंजूरी के समय होती है. उन्होंने कहा, 'हम विभिन्न स्तरों पर देरी के कारणों का पता लगाने या उनका विश्लेषण करने की कोशिश कर रहे हैं और प्रक्रियाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं.'

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मुंबई : भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) के चेयरमैन रवि मित्तल ने प्रक्रियागत विलंब को कम करने में मददगार उपायों के बारे में सभी पक्षों से सुझाव देने का शनिवार को अनुरोध किया. मित्तल ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम की तरफ से 'दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code-IBC) और मूल्यांकन' पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'आईबीसी का प्रमुख उद्देश्य न केवल बकाया कर्ज की वसूली बल्कि पुनरुद्धार और पुनर्वास भी है. हमेशा इसकी संकल्पना एक समाधान व्यवस्था के रूप में की गई थी, न कि वसूली प्रणाली के रूप में.'

  • The biggest change Insolvency and Bankruptcy Board of India (IBC) has brought in the system is that NPA or a default is no longer a bank problem and it has now become the borrower’s concern said Shri Ravi Mital, Hon’ble Chairman, Insolvency and Bankruptcy Board of India at the… pic.twitter.com/hOW6BWJqRo

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उन्होंने कहा, 'यह कानून लाने का उद्देश्य कंपनी को पटरी पर वापस लाने का था. हालांकि आईबीसी का मूल्यांकन वसूली के आधार पर किया जाता है.' आईबीबीआई चेयरमैन ने आईबीसी आने पर भी कर्ज वसूली में हो रही देरी और कम वसूली पर जताई गई चिंताओं पर कहा, 'हम प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं और हितधारकों के सुझावों को लेकर खुली सोच रखते हैं. आईबीसी का प्रत्यक्ष लाभ वसूली है लेकिन आप जानते हैं कि अप्रत्यक्ष लाभ कहीं बड़ा होता है और इसे व्यावहारिक परिवर्तन कहा जाता है। इसे कर्जदाता एवं कर्जदार के रिश्ते में बदलाव कहा जाता है.'

उन्होंने कहा कि पिछले साल राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने अधिकतम 180 समाधान योजनाओं को मंजूरी दी थी और इनके जरिये बकाया कर्ज की 36 प्रतिशत वसूली हुई. उन्होंने कहा कि आईबीसी ने 2017 से अब तक 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली में मदद की है.

मित्तल ने कहा, 'हमें देरी को कम करने के लिए अधिक नवोन्मेषी होना होगा. निश्चित रूप से, इसमें संशोधन की जरूरत है. अगर हम होने वाली देरी को कम करते हैं तो वसूली बेहतर होगी. अब एनसीएलटी एक महीने में 35 कर्ज समाधान योजनाओं को मंजूरी दे रहा है और इस रफ्तार से चलने पर निश्चित रूप से देरी में काफी कमी आएगी.' उन्होंने कहा कि देरी आमतौर पर कर्ज समाधान योजना की मंजूरी के समय होती है. उन्होंने कहा, 'हम विभिन्न स्तरों पर देरी के कारणों का पता लगाने या उनका विश्लेषण करने की कोशिश कर रहे हैं और प्रक्रियाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं.'

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