नई दिल्ली: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अधिक जोखिम वाली संपत्ति से म्यूचुअल फंड के निवेशकों के हितों की रक्षा के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी में है. इसके तहत सेबी चाहता है कि म्यूचुअल फंड कंपनियां अपना सभी निवेश चरणबद्ध तरीके से सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने वाले शेयर और बांडों में निवेश करे. साथ ही बिना रेटिंग वाले बांडों में अपना निवेश मौजूदा 25 प्रतिशत से घटाकर केवल 5 प्रतिशत करे.
पूंजी बाजार निवेशकों के लिये जोखिम बाले बांड में निवेश एक बड़े संकट के रूप में उभरा है. इसमें वे लोग भी शामिल है जो म्यूचुअल फंड के जरिये पूंजी बाजार में निवेश किया है. नियामक ऐसे जोखिमों से बचाव के लिये नियामकीय सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास करता रहा है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जून में निदेशक मंडल की बैठक में मंजूर निर्णयों को आगे बढ़ाते हुए बांड और मुद्रा बाजार के उत्पादों में निवेश के लिये म्यूचुअल फंड योजनाओं से जुड़े नियमों में संशोधन को लेकर मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है.
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इसके अलावा सेबी निदेशक मंडल की इसी महीने होने वाली बैठक में मंजूरी के लिये कुछ और संशोधनों के प्रस्ताव किये गये हैं.
एक अधिकारी के अनुसार इनमें एक मुख्य प्रस्ताव बिना रेटिंग वाले बांड उत्पादों में म्यूचुअल फंड निवेश के लिये मौजूदा सीमा को 25 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना है. इसमें वे उत्पाद शामिल नहीं हैं जिनके लिये अलग से नियम बनाये गये हैं.
इसके अलावा किसी एक कंपनी के बिना रेटिंग वाले ऋण पत्रों में 10 प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव है.
हालांकि अधिकारी ने कहा कि इन प्रस्तावित सीमाओं को सेबी द्वारा बाजार की स्थिति के अनुसार समय-समय पर समीक्षा करने की जरूरत हो सकती है.
अन्य बातों के अलावा नये प्रस्तावित मसौदे के तहत म्यूचुअल फंड को केवल सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने वाले शेयर और ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करेंगी और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.