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प्रमुख संकेतक अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार का संकेत दे रहे हैं : भानुमूर्ति

जानेमाने अर्थशास्त्री एन आर भानुमूर्ति ने रविवार को कहा कि प्रमुख संकेतक बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर है और स्पष्ट रूप से कोविड-19 महामारी के बाद संकट के बादल छंटने लगे हैं.

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Published : Sep 26, 2021, 3:20 PM IST

नई दिल्ली : बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (बीएएसई) के कुलपति भानुमूर्ति ने आगे कहा कि आर्थिक सुधार की सीमा के लिहाज से महामारी से पहले के स्तर पर वापस आने में एक और साल लग सकता है.

उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि कुछ प्रमुख संकेतकों के हालिया रुझानों के अनुसार स्पष्ट रूप से सकारात्मक संकेत हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के बाद संकट के बादलों से बाहर निकल रही है.

भानुमूर्ति ने बताया कि एक प्रमुख संकेतक जिस पर विचार किया जा सकता है, वह है मजबूत सरकारी राजस्व संग्रह. यह बजट अनुमान से अधिक है, जो वृद्धि में सुधार की उम्मीद जगाता है.

प्रख्यात अर्थशास्त्री के अनुसार भारत में आर्थिक सुधार का आधार व्यापक है, हालांकि सेवा क्षेत्र के कुछ घटक अभी भी आपूर्ति-पक्ष के व्यवधानों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन यह स्थिति महामारी की दूसरी लहर के कारण भी हो सकती है, जिसने आर्थिक सुधार को बाधित किया.

यह भी पढ़ें-चन्नी कैबिनेट के शपथ ग्रहण से पहले कांग्रेस में खींचतान, राणा गुरजीत के खिलाफ 7 विधायक

भारत इस साल दुनिया में सबसे तेज वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है. यह पूछे जाने पर कि क्या उच्च खुदरा और थोक मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति दोनों के हाल के रुझान अलग-अलग हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि मौद्रिक समिति मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए जरूरी कार्रवाई करेगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (बीएएसई) के कुलपति भानुमूर्ति ने आगे कहा कि आर्थिक सुधार की सीमा के लिहाज से महामारी से पहले के स्तर पर वापस आने में एक और साल लग सकता है.

उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया कि कुछ प्रमुख संकेतकों के हालिया रुझानों के अनुसार स्पष्ट रूप से सकारात्मक संकेत हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के बाद संकट के बादलों से बाहर निकल रही है.

भानुमूर्ति ने बताया कि एक प्रमुख संकेतक जिस पर विचार किया जा सकता है, वह है मजबूत सरकारी राजस्व संग्रह. यह बजट अनुमान से अधिक है, जो वृद्धि में सुधार की उम्मीद जगाता है.

प्रख्यात अर्थशास्त्री के अनुसार भारत में आर्थिक सुधार का आधार व्यापक है, हालांकि सेवा क्षेत्र के कुछ घटक अभी भी आपूर्ति-पक्ष के व्यवधानों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन यह स्थिति महामारी की दूसरी लहर के कारण भी हो सकती है, जिसने आर्थिक सुधार को बाधित किया.

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भारत इस साल दुनिया में सबसे तेज वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है. यह पूछे जाने पर कि क्या उच्च खुदरा और थोक मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति दोनों के हाल के रुझान अलग-अलग हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि मौद्रिक समिति मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए जरूरी कार्रवाई करेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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