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जनवरी-मार्च तिमाही में सरकार की देनदारियां बढ़कर 94.62 लाख करोड़ रुपये पर

अस्थायी आंकड़ों के अनुसार सरकार की कुल देनदारियां (लोक खाते में देनदारियों सहित) मार्च, 2020 के अंत तक बढ़कर 94,89,267 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो दिसंबर, 2019 के अंत तक 93,89,267 करोड़ रुपये थीं.

जनवरी-मार्च तिमाही में सरकार की देनदारियां बढ़कर 94.62 लाख करोड़ रुपये पर
जनवरी-मार्च तिमाही में सरकार की देनदारियां बढ़कर 94.62 लाख करोड़ रुपये पर
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Published : Jun 30, 2020, 10:41 PM IST

नई दिल्ली: सरकार की कुल देनदारियां जनवरी-मार्च की तिमाही में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 0.8 प्रतिशत बढ़कर 94.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं. वित्त मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

लोक ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2020 तक कुल बकाया देनदारियों में लोक या सार्वजनिक ऋण का हिस्सा 90.9 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है, "अस्थायी आंकड़ों के अनुसार सरकार की कुल देनदारियां (लोक खाते में देनदारियों सहित) मार्च, 2020 के अंत तक बढ़कर 94,89,267 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो दिसंबर, 2019 के अंत तक 93,89,267 करोड़ रुपये थीं."

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी के प्राथमिक बांड निर्गमों पर पर भारांकित औसत ईल्ड (प्रतिफल) घटकर 6.70 प्रतिशत रह गया जो अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 6.86 प्रतिशत था. इन देनदारियों में एक साल से कम समय में परिपक्व होने वाले बांड (दिनांकित प्रतिभूतियां) का अनुपात घटकर 3.90 प्रतिशत रह गया, जो दिसंबर, 2019 के अंत तक 6.64 प्रतिशत था.

वहीं मार्च के अंत तक एक से पांच साल में परिपक्व होने वाले बांडों का अनुपात 25.07 प्रतिशत रहा, जो इसे पिछली तिमाही में 25.09 प्रतिशत था. मार्च, 2020 के अंत तक कुल बकाया बांड या ऋण में अगले पांच साल में परिपक्व होने वाले बांड 29 प्रतिशत थे.

ये भी पढ़ें: देश के चालू खाते में जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी के 0.1 प्रतिशत के बराबर की बचत

इसके अलावा मार्च, 2020 के अंत तक केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में वाणिज्यिक बैंकों का हिस्सा 40.4 प्रतिशत था, जो 31 मार्च, 2019 को 40.3 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमा कंपनियों का हिस्सा कुछ सुधार के साथ 25.1 प्रतिशत पर पहुंच गया गया, जो मार्च, 2019 में 24.3 प्रतिशत था.

बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में केंद्र सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कीं. जनवरी-मार्च, 2018-19 में यह आंकड़ा 1,56,000 करोड़ रुपये रहा था.

अप्रैल-मई का राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य का 58.6 प्रतिशत

भारत का बजटीय राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-मई अवधि के लिए बजट अनुमान का 58.6 प्रतिशत या 4.66 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7.96 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटा का लक्ष्य रखा हुआ है.

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़े के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा उस वर्ष के बजट लक्ष्य का 52 प्रतिशत था.

केंद्र सरकार का कुल व्यय 5.11 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 16.8 प्रतिशत) है, जबकि कुल प्राप्तियां 45,498 करोड़ रुपये (बजट अनुमान का दो प्रतिशत) थीं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

नई दिल्ली: सरकार की कुल देनदारियां जनवरी-मार्च की तिमाही में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 0.8 प्रतिशत बढ़कर 94.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं. वित्त मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

लोक ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2020 तक कुल बकाया देनदारियों में लोक या सार्वजनिक ऋण का हिस्सा 90.9 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है, "अस्थायी आंकड़ों के अनुसार सरकार की कुल देनदारियां (लोक खाते में देनदारियों सहित) मार्च, 2020 के अंत तक बढ़कर 94,89,267 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो दिसंबर, 2019 के अंत तक 93,89,267 करोड़ रुपये थीं."

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी के प्राथमिक बांड निर्गमों पर पर भारांकित औसत ईल्ड (प्रतिफल) घटकर 6.70 प्रतिशत रह गया जो अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 6.86 प्रतिशत था. इन देनदारियों में एक साल से कम समय में परिपक्व होने वाले बांड (दिनांकित प्रतिभूतियां) का अनुपात घटकर 3.90 प्रतिशत रह गया, जो दिसंबर, 2019 के अंत तक 6.64 प्रतिशत था.

वहीं मार्च के अंत तक एक से पांच साल में परिपक्व होने वाले बांडों का अनुपात 25.07 प्रतिशत रहा, जो इसे पिछली तिमाही में 25.09 प्रतिशत था. मार्च, 2020 के अंत तक कुल बकाया बांड या ऋण में अगले पांच साल में परिपक्व होने वाले बांड 29 प्रतिशत थे.

ये भी पढ़ें: देश के चालू खाते में जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी के 0.1 प्रतिशत के बराबर की बचत

इसके अलावा मार्च, 2020 के अंत तक केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में वाणिज्यिक बैंकों का हिस्सा 40.4 प्रतिशत था, जो 31 मार्च, 2019 को 40.3 प्रतिशत था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमा कंपनियों का हिस्सा कुछ सुधार के साथ 25.1 प्रतिशत पर पहुंच गया गया, जो मार्च, 2019 में 24.3 प्रतिशत था.

बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में केंद्र सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कीं. जनवरी-मार्च, 2018-19 में यह आंकड़ा 1,56,000 करोड़ रुपये रहा था.

अप्रैल-मई का राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य का 58.6 प्रतिशत

भारत का बजटीय राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-मई अवधि के लिए बजट अनुमान का 58.6 प्रतिशत या 4.66 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 7.96 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटा का लक्ष्य रखा हुआ है.

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़े के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा उस वर्ष के बजट लक्ष्य का 52 प्रतिशत था.

केंद्र सरकार का कुल व्यय 5.11 लाख करोड़ रुपये (बजट अनुमान का 16.8 प्रतिशत) है, जबकि कुल प्राप्तियां 45,498 करोड़ रुपये (बजट अनुमान का दो प्रतिशत) थीं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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