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रूस-यूक्रेन के बीच जंग से स्टील की कीमतें प्रति टन 5,000 रुपये बढ़ीं

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग का प्रभाव स्टील उद्योग पर भी पड़ने लगा है. युद्ध की वजह से स्टील के दाम में 5000 रुपये प्रति टन का इजाफा हुआ है. साथ ही युद्ध के अधिक समय तक चलने पर इसके दामों में और भी वृद्धि हो सकती है.

Steel prices hiked by Rs 5,000 per tonne
स्टील की कीमतें प्रति टन 5,000 रुपये बढ़ीं (प्रतीकात्मक)
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Published : Mar 4, 2022, 4:36 PM IST

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच चल रहे युद्ध का स्टील उद्योग पर खासा असर देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि स्टील के दाम में 5000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है. यदि युद्ध लंबे समय तक चलता है, तो ये कीमतें बढ़ सकती हैं.

उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में स्टील की कीमतों में वृद्धि की गई है और आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच संकट गहराने के साथ इसके और दाम और बढ़ने की उम्मीद है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने के कारण घरेलू इस्पात निर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) और टीएमटी स्टील की कीमतों में 5,000 रुपये प्रति टन तक की बढ़ोतरी की है. कीमतों में संशोधन के बाद एक टन एचआरसी की कीमत करीब 66,000 रुपये होगी. वहीं खरीदारों को करीब 65,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से टीएमटी बार मिल सकेंगे.

उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है जिससे लागत में वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि इसी के चलते कोकिंग कोल 500 डॉलर प्रति टन पर कारोबार कर रहा है.

बता दें कि कोकिंक कोल कच्चा माल बनाने वाला प्रमुख इस्पात है और जिसकी आयात करने की आवश्यकता होती है. इसमें भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया से मुख्य रूप से खरीद की जाती है, इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों से इसे पूरा किया जाता है. स्टील सहित घरेलू क्षेत्रों पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन (Tata Steel CEO and MD T V Narendran) ने कहा, 'रूस और यूक्रेन दोनों ही कोकिंग कोल और प्राकृतिक गैस सहित कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता होने के अलावा स्टील के निर्माता और निर्यातक हैं. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संकट से आपूर्ति-मांग की गतिशीलता के अलावा लागत और समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें - आपूर्ति बढ़ने के बावजूद तेल के वैश्विक दामों में पांच डॉलर प्रति बैरल का उछाल

वैश्विक उद्योग निकाय वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के सदस्य नरेंद्रन ने कहा, 'हम लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक योजनाएं हैं कि हमारे ग्राहक और हितधारक अप्रभावित रहें.' उन्होंने बताया कि एचआरसी और टीएमटी बार उपभोक्ता के अनुकूल उद्योगों जैसे ऑटो, उपकरण और निर्माण, और रियल एस्टेट में उपयोग किया जाता है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि स्टील की कीमतों में वृद्धि से घरों, वाहनों और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ना तय है. हालांकि इस मामले पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने बताया कि एचआरसी और टीएमटी बार उपभोक्ता के अनुकूल उद्योगों जैसे ऑटो, उपकरण और निर्माण, और रियल एस्टेट में उपयोग किया जाता है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि स्टील की कीमतों में वृद्धि से घरों, वाहनों और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ना तय है. हालांकि इस मामले पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

(PTI)

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच चल रहे युद्ध का स्टील उद्योग पर खासा असर देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि स्टील के दाम में 5000 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है. यदि युद्ध लंबे समय तक चलता है, तो ये कीमतें बढ़ सकती हैं.

उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में स्टील की कीमतों में वृद्धि की गई है और आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच संकट गहराने के साथ इसके और दाम और बढ़ने की उम्मीद है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होने के कारण घरेलू इस्पात निर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) और टीएमटी स्टील की कीमतों में 5,000 रुपये प्रति टन तक की बढ़ोतरी की है. कीमतों में संशोधन के बाद एक टन एचआरसी की कीमत करीब 66,000 रुपये होगी. वहीं खरीदारों को करीब 65,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से टीएमटी बार मिल सकेंगे.

उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है जिससे लागत में वृद्धि हो रही है. उन्होंने कहा कि इसी के चलते कोकिंग कोल 500 डॉलर प्रति टन पर कारोबार कर रहा है.

बता दें कि कोकिंक कोल कच्चा माल बनाने वाला प्रमुख इस्पात है और जिसकी आयात करने की आवश्यकता होती है. इसमें भारत द्वारा ऑस्ट्रेलिया से मुख्य रूप से खरीद की जाती है, इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों से इसे पूरा किया जाता है. स्टील सहित घरेलू क्षेत्रों पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, टाटा स्टील के सीईओ और एमडी टीवी नरेंद्रन (Tata Steel CEO and MD T V Narendran) ने कहा, 'रूस और यूक्रेन दोनों ही कोकिंग कोल और प्राकृतिक गैस सहित कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता होने के अलावा स्टील के निर्माता और निर्यातक हैं. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संकट से आपूर्ति-मांग की गतिशीलता के अलावा लागत और समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें - आपूर्ति बढ़ने के बावजूद तेल के वैश्विक दामों में पांच डॉलर प्रति बैरल का उछाल

वैश्विक उद्योग निकाय वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के सदस्य नरेंद्रन ने कहा, 'हम लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक योजनाएं हैं कि हमारे ग्राहक और हितधारक अप्रभावित रहें.' उन्होंने बताया कि एचआरसी और टीएमटी बार उपभोक्ता के अनुकूल उद्योगों जैसे ऑटो, उपकरण और निर्माण, और रियल एस्टेट में उपयोग किया जाता है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि स्टील की कीमतों में वृद्धि से घरों, वाहनों और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ना तय है. हालांकि इस मामले पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने बताया कि एचआरसी और टीएमटी बार उपभोक्ता के अनुकूल उद्योगों जैसे ऑटो, उपकरण और निर्माण, और रियल एस्टेट में उपयोग किया जाता है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि स्टील की कीमतों में वृद्धि से घरों, वाहनों और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ना तय है. हालांकि इस मामले पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

(PTI)

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