वाशिंगटन: फेसबुक, गूगल, एपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रमुख एच-1बी वीजा नियोक्ता कंपनियां प्रवासी कामगारों को बाजार दर से कम मेहनताना दे रही हैं. एक नए अध्ययन के अनुसार इसके लिए यह कंपनियां अमेरिकी श्रम विभाग के एच-1बी कार्यक्रम का लाभ उठा रही हैं.
इकॉनोमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एच-1बी वीजा और प्रचलित पारिश्रमिक स्तर रपट डेनियल कोस्टा और रॉन हीरा ने तैयार की है.
रपट के अनुसार शीर्ष 30 एच-1बी वीजा धारक नियोक्ताओं में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, वालमार्ट, गूगल, एपल और फेसबुक जैसी कंपनियां शामिल हैं. यह सभी एच-1बी वीजा नियमों के तहत काम करने वाले अपने प्रवासी कामगारों को स्थानीय एच-1बी कार्यक्रम का लाभ उठाकर बाजार दर से कम वेतन दे रही हैं. वह कम मेहनताने पर लोगों की नौकरियां भर रहे हैं.
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अमेरिकी श्रम विभाग एच-1बी वीजा के तहत 60 प्रतिशत कामगारों को बाजार दर से कम मेहनताने पर काम करने के लिए प्रमाणित करता है. एच-1बी कार्यक्रम इसकी अनुमति देते हैं. श्रम विभाग के पास इसे बदलने का अधिकार है लेकिन ऐसा नहीं किया गया है.
वर्ष 2019 में 53,000 से अधिक नियोक्ताओं ने एच-1बी वीजा नियम का उपयोग किया. अमेरिका के नागरिक और आव्रजन विभाग ने 2019 में एच-1बी पर काम करने वालों की संख्या 3,89,000 तय की. इसमें प्रत्येक चार में से एक कामगार इन शीर्ष 30 एच-1बी नियोक्ताओं के यहां काम करता है.
इन 30 शीर्ष नियोक्ताओं में से भी आधे सीधे एच-1बी वीजाधारक कामगार को काम पर नहीं रखते हैं बल्कि थर्ड पार्टी (किसी और कंपनी को ठेका देकर) के आधार पर काम कराते हैं.
(पीटीआई-भाषा)