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जानिए आखिर क्यों ब्रिटेन ने चीनी कंपनी हुआवेई को किया बैन? - जानिए आखिर क्यों ब्रिटेन ने चीनी कंपनी हुआवेई को किया बैन

ब्रिटेन ने हुआवेई को 5जी में सीमित भूमिका देने के अपने फैसले को पलटते हुए हुआवेई पर बैन लगा दिया. ब्रिटेन के इस बैन से देश में 5जी नेटवर्क विस्तार में देरी होगी, साथ ही चीन और यूके के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंध पर भी असर पड़ेगा.

जानिए आखिर क्यों ब्रिटेन ने चीनी कंपनी हुआवेई को किया बैन?
जानिए आखिर क्यों ब्रिटेन ने चीनी कंपनी हुआवेई को किया बैन?
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Published : Jul 19, 2020, 5:47 PM IST

बीजिंग: अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए ब्रिटेन ने हुआवेई को 5जी में सीमित भूमिका देने के अपने फैसले को पलटते हुए हुआवेई पर बैन लगा दिया. ब्रिटेन में ऑपरेटर्स इस साल के अंत से हुआवेई से 5जी उपकरण की खरीद नहीं कर सकेंगे और साल 2027 तक चीनी टेलीकॉम्स द्वारा 5जी नेटवर्क से बनाए गए सभी मौजूदा हुआवेई गियर को हटाना पड़ेगा.

ब्रिटेन का यह बैन तब आया है जब हुआवेई ने ब्रिटेन में बड़े निवेश की घोषणा की थी. लेकिन बैन के इस फैसले ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया. ब्रिटेन का यह कदम देश को धीमी डिजिटल राह पर धकेल देगा, और जो लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं उनके डिजिटल बिल बढ़ा देगा. जाहिर है, राजनीतिकरण से प्रेरित इस फैसले ने डिजिटल विभाजन को और गहरा करने का काम किया है.

ये भी पढ़ें- जब पहली बार जमशेदपुर पहुंचे थे रतन टाटा, देखें तस्वीरें

दरअसल, हुआवेई उपकरण पर प्रतिबंध लगाने से ब्रिटेन को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि उसे आर्थिक और राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ेगा. अनुमान लगाया गया है कि अगर सभी हुआवेई उपकरणों को बदला जाएगा तो कम-से-कम 2 बिलियन पाउंड का खर्चा आएगा. इस अतिरिक्त खर्च को झेलने के लिए ब्रिटेन कितना तैयार है. यही ही नहीं, ब्रिटेन के इस बैन से देश में 5जी नेटवर्क विस्तार में देरी होगी, साथ ही चीन और यूके के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंध पर भी असर पड़ेगा. क्या ब्रिटेन यह सब कीमत चुकाने के लिए तैयार है?

देखें तो ब्रेक्सिट के बाद से, ब्रिटेन यूरोप में अलग-थलग पड़ रहा है. यूरोपीय संघ के बाहर सबसे बड़े आर्थिक साझेदार के रूप में, चीन धीरे-धीरे उससे दूर होता चला जाएगा और ब्रिटेन को आर्थिक रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ जाएगी. ब्रिटेन एक खुला निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण व्यावसायिक वातावरण प्रदान करने में विफल साबित हो रहा है. दरअसल, इस फैसले के पीछे अमेरिका का हाथ है. ब्रिटेन अमेरिकी कार्रवाई से डरता है, और अमेरिका को खुश करने के लिए ब्रिटेन ने अपने हितों का त्याग कर दिया है. हालांकि, ब्रिटेन ने इससे इनकार किया है.

हुआवेई दुनिया की एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसकी बार-बार छानबीन की गई है, और अभी तक कोई 'सुरक्षा खतरा' नहीं देखा गया है. यहां तक कि आरोप लगाने वाले खुद भी जानते हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं, हालांकि वे इसे स्वीकार नहीं करते हैं. तो वे झूठ क्यों बोलते रहते हैं? दरअसल, वे केवल व्यवसायों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को बाधित करना चाहते हैं और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स को हुआवेई के बराबर खड़ा होने और हुआवेई की तकनीक चुराने का समय दे रहे हैं.

(आईएएनएस)

बीजिंग: अमेरिकी दबाव के आगे झुकते हुए ब्रिटेन ने हुआवेई को 5जी में सीमित भूमिका देने के अपने फैसले को पलटते हुए हुआवेई पर बैन लगा दिया. ब्रिटेन में ऑपरेटर्स इस साल के अंत से हुआवेई से 5जी उपकरण की खरीद नहीं कर सकेंगे और साल 2027 तक चीनी टेलीकॉम्स द्वारा 5जी नेटवर्क से बनाए गए सभी मौजूदा हुआवेई गियर को हटाना पड़ेगा.

ब्रिटेन का यह बैन तब आया है जब हुआवेई ने ब्रिटेन में बड़े निवेश की घोषणा की थी. लेकिन बैन के इस फैसले ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया. ब्रिटेन का यह कदम देश को धीमी डिजिटल राह पर धकेल देगा, और जो लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं उनके डिजिटल बिल बढ़ा देगा. जाहिर है, राजनीतिकरण से प्रेरित इस फैसले ने डिजिटल विभाजन को और गहरा करने का काम किया है.

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दरअसल, हुआवेई उपकरण पर प्रतिबंध लगाने से ब्रिटेन को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि उसे आर्थिक और राजनीतिक नुकसान झेलना पड़ेगा. अनुमान लगाया गया है कि अगर सभी हुआवेई उपकरणों को बदला जाएगा तो कम-से-कम 2 बिलियन पाउंड का खर्चा आएगा. इस अतिरिक्त खर्च को झेलने के लिए ब्रिटेन कितना तैयार है. यही ही नहीं, ब्रिटेन के इस बैन से देश में 5जी नेटवर्क विस्तार में देरी होगी, साथ ही चीन और यूके के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंध पर भी असर पड़ेगा. क्या ब्रिटेन यह सब कीमत चुकाने के लिए तैयार है?

देखें तो ब्रेक्सिट के बाद से, ब्रिटेन यूरोप में अलग-थलग पड़ रहा है. यूरोपीय संघ के बाहर सबसे बड़े आर्थिक साझेदार के रूप में, चीन धीरे-धीरे उससे दूर होता चला जाएगा और ब्रिटेन को आर्थिक रूप से भारी कीमत चुकानी पड़ जाएगी. ब्रिटेन एक खुला निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण व्यावसायिक वातावरण प्रदान करने में विफल साबित हो रहा है. दरअसल, इस फैसले के पीछे अमेरिका का हाथ है. ब्रिटेन अमेरिकी कार्रवाई से डरता है, और अमेरिका को खुश करने के लिए ब्रिटेन ने अपने हितों का त्याग कर दिया है. हालांकि, ब्रिटेन ने इससे इनकार किया है.

हुआवेई दुनिया की एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसकी बार-बार छानबीन की गई है, और अभी तक कोई 'सुरक्षा खतरा' नहीं देखा गया है. यहां तक कि आरोप लगाने वाले खुद भी जानते हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं, हालांकि वे इसे स्वीकार नहीं करते हैं. तो वे झूठ क्यों बोलते रहते हैं? दरअसल, वे केवल व्यवसायों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को बाधित करना चाहते हैं और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स को हुआवेई के बराबर खड़ा होने और हुआवेई की तकनीक चुराने का समय दे रहे हैं.

(आईएएनएस)

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