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पति के साथ हाे रहा 'जानवराें जैसा बर्ताव', पत्नी की CJI से गुहार

बीते पांच अक्टूबर काे गिरफ्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन की पत्नी ने देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर उन्हें वापस मथुरा जेल में शिफ्ट करने की मांग की है. पत्नी का आराेप है कि अस्पताल में कप्पन के साथ जानवराें जैसा बर्ताव किया जा रहा है.

सीजेआई
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Published : Apr 26, 2021, 4:24 PM IST

नई दिल्ली : केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन काे केएम मेडिकल कॉलेज से वापस मथुरा जेल में शिफ्ट करने की मांग की गई है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जाते वक्त कप्पन को गिरफ्तार कर लिया था.

उनकी पत्नी ने देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर अस्पताल से उन्हें तत्काल मथुरा जेल शिफ्ट करने की मांग की है. उन्हाेंने आरोप लगाया है कि उन्हें जानवर की तरह जंजीर से बांध कर रखा गया है.

कप्पन काे पांच अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां कथित ताैर सामूहिक बलात्कार के बाद एक दलित युवती की माैत हाे गई थी. 21 अप्रैल को काेराेना संक्रमित पाए जाने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

पत्नी रेहंत कप्पन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख बताया कि 20 अप्रैल को कप्पन काे जेल के बाथरूम में गिरने के बाद चोट आई और एक दिन बाद काेराेना ​पॉजिटिव होने की सूचना मिली थी.

यह कहा गया कि उसे 21 अप्रैल को केएम मेडिकल कॉलेज, मथुरा में स्थानांतरित कर दिया गया था. वहां उसकी हालत बहुत गंभीर है. उन्हें जानवर की तरह जंजीर में जकड़ कर रखा गया है. वह न तो भोजन कर सकता है, न ही शौचालय जा सकता है. पत्र में दावा किया गया है, 'अगर तत्काल सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो इससे उनकी असामयिक मृत्यु हो जाएगी.'

उन्हाेंने कहा कि उल्लेखित अपील के लिए कानून प्रक्रिया की जानकारी होने के बावजूद, मैं सीधे आपके समक्ष अपनी प्रार्थना रखने काे मजबूर हूं.' उन्हाेंने कहा 'मीडिया लोकतंत्र की सांस है, और यह एक मीडियाकर्मी को जीवन देने की कोशिश है, जो पिछले छह महीने से अधिक समय से जेल में हैं.'

वहीं दूसरी तरफ, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को उत्तर प्रदेश के अपने समकक्ष मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उप्र में गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत हिरासत में रखे गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन के मामले में हस्तक्षेप करने और उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की देखभाल मुहैया कराने का अनुरोध किया.

विजयन ने पत्र में कहा कि केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ और कुछ मीडिया कर्मियों ने इस ओर उनका ध्यान खींचा है कि केरल के रहने वाले कप्पन हृदय संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. विजयन ने कहा कि कप्पन को मथुरा के केवीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने के बावजूद कथित रूप से बिस्तर पर भी उन्हें हथकड़ियां लगाए रखी गईं.

पत्र में कहा गया है कि उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की देखभाल मिलनी चाहिए और उन्हें किसी अन्य सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भेजा जाना चाहिए, जहां आधुनिक जीवन रक्षक सुविधाएं उपलब्ध हों.

केरल में विपक्षी गठबंधन यूडीएफ के सांसदों ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना से मामले में आपात सुनवाई के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों ने कहा, 'आपसे कप्पन को मथुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाने के लिए जरूरी निर्देश देने वास्ते मामले की आपात सुनवाई कराने का अनुरोध है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.'

इसे भी पढ़ें : पीएम केयर्स फंड से देशभर में लगेंगे 551 ऑक्सीजन प्लांट

इस पत्र पर सांसद के. सुधाकरन, के. मुरलीधरन, ई टी मोहम्मद बशीर, वीके श्रीकंदन, राम्या हरिदास, बेनी हेनानन एमपी, टीएन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, एंटो एंटनी, एन के प्रेमचंद्रन और पी वी अब्दुल वहाब ने हस्ताक्षर हैं.

नई दिल्ली : केरल के पत्रकार सिद्दिकी कप्पन काे केएम मेडिकल कॉलेज से वापस मथुरा जेल में शिफ्ट करने की मांग की गई है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जाते वक्त कप्पन को गिरफ्तार कर लिया था.

उनकी पत्नी ने देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर अस्पताल से उन्हें तत्काल मथुरा जेल शिफ्ट करने की मांग की है. उन्हाेंने आरोप लगाया है कि उन्हें जानवर की तरह जंजीर से बांध कर रखा गया है.

कप्पन काे पांच अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था जब वे हाथरस जा रहे थे, जहां कथित ताैर सामूहिक बलात्कार के बाद एक दलित युवती की माैत हाे गई थी. 21 अप्रैल को काेराेना संक्रमित पाए जाने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

पत्नी रेहंत कप्पन ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख बताया कि 20 अप्रैल को कप्पन काे जेल के बाथरूम में गिरने के बाद चोट आई और एक दिन बाद काेराेना ​पॉजिटिव होने की सूचना मिली थी.

यह कहा गया कि उसे 21 अप्रैल को केएम मेडिकल कॉलेज, मथुरा में स्थानांतरित कर दिया गया था. वहां उसकी हालत बहुत गंभीर है. उन्हें जानवर की तरह जंजीर में जकड़ कर रखा गया है. वह न तो भोजन कर सकता है, न ही शौचालय जा सकता है. पत्र में दावा किया गया है, 'अगर तत्काल सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो इससे उनकी असामयिक मृत्यु हो जाएगी.'

उन्हाेंने कहा कि उल्लेखित अपील के लिए कानून प्रक्रिया की जानकारी होने के बावजूद, मैं सीधे आपके समक्ष अपनी प्रार्थना रखने काे मजबूर हूं.' उन्हाेंने कहा 'मीडिया लोकतंत्र की सांस है, और यह एक मीडियाकर्मी को जीवन देने की कोशिश है, जो पिछले छह महीने से अधिक समय से जेल में हैं.'

वहीं दूसरी तरफ, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को उत्तर प्रदेश के अपने समकक्ष मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उप्र में गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत हिरासत में रखे गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन के मामले में हस्तक्षेप करने और उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की देखभाल मुहैया कराने का अनुरोध किया.

विजयन ने पत्र में कहा कि केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ और कुछ मीडिया कर्मियों ने इस ओर उनका ध्यान खींचा है कि केरल के रहने वाले कप्पन हृदय संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. विजयन ने कहा कि कप्पन को मथुरा के केवीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ने के बावजूद कथित रूप से बिस्तर पर भी उन्हें हथकड़ियां लगाए रखी गईं.

पत्र में कहा गया है कि उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञों की देखभाल मिलनी चाहिए और उन्हें किसी अन्य सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भेजा जाना चाहिए, जहां आधुनिक जीवन रक्षक सुविधाएं उपलब्ध हों.

केरल में विपक्षी गठबंधन यूडीएफ के सांसदों ने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना से मामले में आपात सुनवाई के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों ने कहा, 'आपसे कप्पन को मथुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाने के लिए जरूरी निर्देश देने वास्ते मामले की आपात सुनवाई कराने का अनुरोध है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.'

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इस पत्र पर सांसद के. सुधाकरन, के. मुरलीधरन, ई टी मोहम्मद बशीर, वीके श्रीकंदन, राम्या हरिदास, बेनी हेनानन एमपी, टीएन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, एंटो एंटनी, एन के प्रेमचंद्रन और पी वी अब्दुल वहाब ने हस्ताक्षर हैं.

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