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हैदराबाद के जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र का पानी छूने पर हो रही बीमारी - Jeedimetla Industrial Park

हैदराबाद के जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र के निवासी सजा काट रहे हैं. सजा औद्योगिक क्षेत्र होने का. यहां के फार्मा और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट भूजल में मिल गया है. इससे यहां का पानी पीने तो दूर छूने योग्य भी नहीं रहा. पढ़ें रिपोर्ट.

जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र
जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र
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Published : Dec 28, 2020, 6:03 PM IST

हैदराबाद : सांस नहीं ले सकते. पानी भी नहीं पी सकते. हर चीज बेहद जहरीली. इस तरह की घुटन भरी बदबू के बीच 50,000 से अधिक लोग एक साथ वर्षों से अपने जीवन काट रहे हैं. यह जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र के निवासियों की कहानी है. यहां के फार्मा और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट सीधे हवा और पानी में मिल रहे हैं. इसके कारण यहां रहने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रहीं हैं.

देखें जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र का पानी हुआ जहरीला

50 हजार लोग रह रहे

कुबदुल्लापुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित जैदीमेटला औद्योगिक पार्क पूरे एशिया में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. इसमें 1200 आधिकारिक और 1000 से अधिक अनौपचारिक फार्मा, रासायनिक और इंजीनियरिंग उद्योग हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र के साथ लगती दस आवासीय कॉलोनियों में लगभग 50 हजार लोग रह रहे हैं. यहां का भूजल तीन फीट में ही निकलता है, लेकिन बहुत जहरीला हो गया है. उद्योगों से निकलने वाले रसायनों पर प्रशासनिक मशीनरी ध्यान नहीं दे रही. परिणामस्वरूप, इसे अब लोग इस्तेमाल नहीं करते. इन सभी के लिए जल बोर्ड का पानी एकमात्र जीवन रेखा है.

बस खर्च बचाने के लिए ...

नियमानुसार ठोस अपशिष्ट पदार्थ को डिंडीगुल डंपिंग यार्ड में भेजा जाना चाहिए. कम घनत्व वाले जल प्रवाह को शुद्ध किया जाना चाहिए और नालों में जाने देना चाहिए. यदि घनत्व अधिक है, तो उन्हें शुद्धिकरण केंद्रों में ले जाना चाहिए. हालांकि, प्रत्येक टैंकर के लिए 10 हजार से 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस खर्च से बचने के लिए कुछ उद्योगों ने नालों से सटे खाली जमीनों को लीज पर ले लिया और नालों को पानी के साथ मिलाया. कुछ उद्योग मिश्रित बोरवेल में मिला रहे हैं. ये उपाय भूजल को प्रदूषित कर रहे हैं.

असाध्य रोग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि जैदीमेटला के आसपास के क्षेत्रों में भूजल में आर्सेनिक, निकेल, कैडमियम और अन्य रसायन और भारी धातुएं अनुपात से अधिक हैं. यहां तक ​​कि बालानगर के आसपास के इलाकों में भी यही स्थिति है. यहां का पानी लाल हो गया है. इसका उपयोग करने पर खुजली, आंखों की जलन, त्वचा रोग, सांस लेने में समस्याएं पैदा हो रही हैं.

प्रभावित स्थान

सुभाष नगर, राम रेड्डी नगर, अयोध्या नगर, इंद्र सिंह नगर, सुदर्शन रेड्डी नगर, काकतेय्या नगर, महेंद्र नगर, चिन्तल, वाणी नगर, गणेश नगर, क़ुबदुल्ला पुर, अपरूप कॉलोनी, विनायक नगर, एसआर नायक नगर आदि रासायनिक रूप से प्रदूषित क्षेत्र प्रभावित हैं. सुभाष नगर कॉलोनी और अयोध्यानगर में कुछ लोग त्वचा रोगों के शिकार हो गए हैं. स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद कोई कदम अधिकारियों ने नहीं उठाया.

मिनरल वाटर या बीमारी

सुभाषनगर और अयोध्यानगर में लगभग 20 मिनरल वाटर प्लांट हैं. ईनाडु टीवी के सर्वेक्षण से पता चला है कि वाटर प्लांट वाले स्थानीय पानी में क्लोरीन मिलाते हैं, कैन में भरते हैं और पूरे शहर में आपूर्ति करते हैं. जैदीमेटला से अमीरपेट तक आपूर्ति होती है और प्रत्येक की कीमत 10 रुपये होती है. इस क्षेत्र में 50 भोजनालय और चीनी फास्ट फूड हैं. यहां से कई होटलों को कच्चा माल भी सप्लाई किया जाता है. सप्लाई के लिए भी उसी पानी का उपयोग किया जा रहा है. कुछ फार्मा उद्योगों के लिए भी इस क्षेत्र से टैंकरों में पानी की आपूर्ति की जा रही है.

पानी का उपयोग नहीं कर सकते

सुभाषनगर निवासी लक्ष्मी ने बताया कि हम छह साल से इस क्षेत्र में रह रहे हैं. घर पर एक बोरवेल है. इसमें से तीखी गंध के साथ मटमैला पानी मिल रहा है. हमें त्वचा के रोग हो रहे हैं. अब तो इसे छूने की हिम्मत भी नहीं होती.

हम लाचार हैं

अयोध्यानगर की पुष्पा ने बताया कि जब हम स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अस्पतालों में जाते हैं, तो वे कहते हैं कि वहां भी सही से इलाज नहीं होता. नेताओं से कई बार बेबसी जताई मगर कुछ नहीं हुआ. रातें नारकीय हो गईं हैं. छोटे बच्चे भी बीमार हो रहे हैं.

हैदराबाद : सांस नहीं ले सकते. पानी भी नहीं पी सकते. हर चीज बेहद जहरीली. इस तरह की घुटन भरी बदबू के बीच 50,000 से अधिक लोग एक साथ वर्षों से अपने जीवन काट रहे हैं. यह जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र के निवासियों की कहानी है. यहां के फार्मा और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट सीधे हवा और पानी में मिल रहे हैं. इसके कारण यहां रहने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रहीं हैं.

देखें जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र का पानी हुआ जहरीला

50 हजार लोग रह रहे

कुबदुल्लापुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित जैदीमेटला औद्योगिक पार्क पूरे एशिया में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. इसमें 1200 आधिकारिक और 1000 से अधिक अनौपचारिक फार्मा, रासायनिक और इंजीनियरिंग उद्योग हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र के साथ लगती दस आवासीय कॉलोनियों में लगभग 50 हजार लोग रह रहे हैं. यहां का भूजल तीन फीट में ही निकलता है, लेकिन बहुत जहरीला हो गया है. उद्योगों से निकलने वाले रसायनों पर प्रशासनिक मशीनरी ध्यान नहीं दे रही. परिणामस्वरूप, इसे अब लोग इस्तेमाल नहीं करते. इन सभी के लिए जल बोर्ड का पानी एकमात्र जीवन रेखा है.

बस खर्च बचाने के लिए ...

नियमानुसार ठोस अपशिष्ट पदार्थ को डिंडीगुल डंपिंग यार्ड में भेजा जाना चाहिए. कम घनत्व वाले जल प्रवाह को शुद्ध किया जाना चाहिए और नालों में जाने देना चाहिए. यदि घनत्व अधिक है, तो उन्हें शुद्धिकरण केंद्रों में ले जाना चाहिए. हालांकि, प्रत्येक टैंकर के लिए 10 हजार से 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस खर्च से बचने के लिए कुछ उद्योगों ने नालों से सटे खाली जमीनों को लीज पर ले लिया और नालों को पानी के साथ मिलाया. कुछ उद्योग मिश्रित बोरवेल में मिला रहे हैं. ये उपाय भूजल को प्रदूषित कर रहे हैं.

असाध्य रोग

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि जैदीमेटला के आसपास के क्षेत्रों में भूजल में आर्सेनिक, निकेल, कैडमियम और अन्य रसायन और भारी धातुएं अनुपात से अधिक हैं. यहां तक ​​कि बालानगर के आसपास के इलाकों में भी यही स्थिति है. यहां का पानी लाल हो गया है. इसका उपयोग करने पर खुजली, आंखों की जलन, त्वचा रोग, सांस लेने में समस्याएं पैदा हो रही हैं.

प्रभावित स्थान

सुभाष नगर, राम रेड्डी नगर, अयोध्या नगर, इंद्र सिंह नगर, सुदर्शन रेड्डी नगर, काकतेय्या नगर, महेंद्र नगर, चिन्तल, वाणी नगर, गणेश नगर, क़ुबदुल्ला पुर, अपरूप कॉलोनी, विनायक नगर, एसआर नायक नगर आदि रासायनिक रूप से प्रदूषित क्षेत्र प्रभावित हैं. सुभाष नगर कॉलोनी और अयोध्यानगर में कुछ लोग त्वचा रोगों के शिकार हो गए हैं. स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद कोई कदम अधिकारियों ने नहीं उठाया.

मिनरल वाटर या बीमारी

सुभाषनगर और अयोध्यानगर में लगभग 20 मिनरल वाटर प्लांट हैं. ईनाडु टीवी के सर्वेक्षण से पता चला है कि वाटर प्लांट वाले स्थानीय पानी में क्लोरीन मिलाते हैं, कैन में भरते हैं और पूरे शहर में आपूर्ति करते हैं. जैदीमेटला से अमीरपेट तक आपूर्ति होती है और प्रत्येक की कीमत 10 रुपये होती है. इस क्षेत्र में 50 भोजनालय और चीनी फास्ट फूड हैं. यहां से कई होटलों को कच्चा माल भी सप्लाई किया जाता है. सप्लाई के लिए भी उसी पानी का उपयोग किया जा रहा है. कुछ फार्मा उद्योगों के लिए भी इस क्षेत्र से टैंकरों में पानी की आपूर्ति की जा रही है.

पानी का उपयोग नहीं कर सकते

सुभाषनगर निवासी लक्ष्मी ने बताया कि हम छह साल से इस क्षेत्र में रह रहे हैं. घर पर एक बोरवेल है. इसमें से तीखी गंध के साथ मटमैला पानी मिल रहा है. हमें त्वचा के रोग हो रहे हैं. अब तो इसे छूने की हिम्मत भी नहीं होती.

हम लाचार हैं

अयोध्यानगर की पुष्पा ने बताया कि जब हम स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अस्पतालों में जाते हैं, तो वे कहते हैं कि वहां भी सही से इलाज नहीं होता. नेताओं से कई बार बेबसी जताई मगर कुछ नहीं हुआ. रातें नारकीय हो गईं हैं. छोटे बच्चे भी बीमार हो रहे हैं.

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