मुंबई : एनआईए की एक विशेष अदालत ने सोमवार को एक एटीएस अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया, साथ ही 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. वह 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोट मामले (Malegaon blast case) की सुनवाई में कई बार अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश नहीं हुए. ये अधिकारी एटीएस की प्रारंभिक जांच टीम का हिस्सा थे और उन्होंने कई गवाहों के बयान दर्ज किए थे. अब अदालत ने उन्हें 2 मई को बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है.
मुंबई के सत्र न्यायालय में मालेगांव विस्फोट मामले की सुनवाई नियमित रूप से हो रही है. देश में चर्चित मालेगांव ब्लास्ट मामले में कई नामचीन लोग भी आरोपी हैं. इसमें कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह जैसे कई लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस बम विस्फोट में कई लोग मारे गए थे. कई लोग घायल भी हुए. इस मामले में अब तक करीब 34 गवाहों के बयान हो चुके हैं.
एटीएस अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे गवाह को नियमानुसार कोर्ट में पेश करें और उसके बयान दर्ज कराएं. हालांकि, अधिकारी कई सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहे. लिहाजा आखिरकार कोर्ट ने एटीएस अधिकारी पर जुर्माना लगाया और जमानती वारंट भेजा है.
इससे पहले मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित की याचिका को खारिज कर दिया था. गौरतलब है कि 23 अक्टूबर 2008 को महाराष्ट्र एटीएस ने मामले में पहली गिरफ्तारी की थी. एटीएस ने भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया था.
बाद में समीर कुलकर्णी, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिलकर और सुधाकर चतुर्वेदी सहित अन्य आरोपी भी पकड़े गए. 20 जनवरी 2009 को एटीएस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र दायर किया था. अप्रैल 2011 में केंद्र सरकार ने एनआईए को मामले की जांच सौंप दी थी.
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