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सीओपी26 को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर गौर करना चाहिए : भूपेंद्र

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिहाज से भारत सहित विकासशील देश सबसे अधिक संवेदनशील हैं. ये बात केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने कही. जानिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने और क्या कहा.

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Published : Oct 13, 2021, 8:30 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिहाज से भारत सहित विकासशील देश सबसे अधिक संवेदनशील हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के 26वें सम्मेलन (सीओपी26) को विकसित देशों से प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और विकास के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

'टेरी' द्वारा आयोजित 'सीओपी26 चार्टर ऑफ एक्शन' पर राष्ट्रीय सम्मेलन को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि भारत की आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की ओर से समन्वित कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, 'विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर अत्यधिक संवेदनशील हैं. भारत की बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है. सरकार अकेले जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकती है. निजी क्षेत्र की कंपनियों को प्रौद्योगिकियों के विकास और वित्त जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.'

यादव ने कहा कि विकासशील देशों में महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों के समर्थन पर निर्भर है. उन्होंने कहा, 'भारत ने बार-बार विकसित देशों से 100 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया है. इस संबंध में, सीओपी26 को प्रौद्योगिकियों के विकास और हस्तांतरण तथा क्षमता-निर्माण मदद के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए....'

उन्होंने कहा कि अभी मानवता के सामने जलवायु परिवर्तन परिभाषित मुद्दा है और सामाजिक-आर्थिक तथा विकासात्मक संदर्भों के तहत कार्रवाई का एक व्यापक सेट समय की मांग है.

यादव ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में पहले से कहीं ज्यादा खतरे को लेकर आगाह किया गया है और यह विकसित देशों के लिए तत्काल उत्सर्जन कटौती करने का स्पष्ट आह्वान है.'

पढ़ें- वंशवादी राजनीति के कारण देश से खत्म हो रही कांग्रेस : भूपेंद्र यादव

यादव ने 'सीओपी26 चार्टर ऑफ एक्शन' तैयार करने के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दस्तावेज में समग्र दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, भारत के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों का जिक्र किया गया है. इन क्षेत्रों में ऊर्जा, जलवायु वित्त, लचीलापन, व्यापार और उद्योग, स्वच्छ परिवहन शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'मैं सीओपी26 के सफल होने और संतुलित नतीजे को लेकर आशान्वित हूं.'
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिहाज से भारत सहित विकासशील देश सबसे अधिक संवेदनशील हैं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के 26वें सम्मेलन (सीओपी26) को विकसित देशों से प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण और विकास के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

'टेरी' द्वारा आयोजित 'सीओपी26 चार्टर ऑफ एक्शन' पर राष्ट्रीय सम्मेलन को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि भारत की आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की ओर से समन्वित कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, 'विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर अत्यधिक संवेदनशील हैं. भारत की बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिए जलवायु के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर आश्रित है. सरकार अकेले जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकती है. निजी क्षेत्र की कंपनियों को प्रौद्योगिकियों के विकास और वित्त जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.'

यादव ने कहा कि विकासशील देशों में महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों के समर्थन पर निर्भर है. उन्होंने कहा, 'भारत ने बार-बार विकसित देशों से 100 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया है. इस संबंध में, सीओपी26 को प्रौद्योगिकियों के विकास और हस्तांतरण तथा क्षमता-निर्माण मदद के साथ ही जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए....'

उन्होंने कहा कि अभी मानवता के सामने जलवायु परिवर्तन परिभाषित मुद्दा है और सामाजिक-आर्थिक तथा विकासात्मक संदर्भों के तहत कार्रवाई का एक व्यापक सेट समय की मांग है.

यादव ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में पहले से कहीं ज्यादा खतरे को लेकर आगाह किया गया है और यह विकसित देशों के लिए तत्काल उत्सर्जन कटौती करने का स्पष्ट आह्वान है.'

पढ़ें- वंशवादी राजनीति के कारण देश से खत्म हो रही कांग्रेस : भूपेंद्र यादव

यादव ने 'सीओपी26 चार्टर ऑफ एक्शन' तैयार करने के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दस्तावेज में समग्र दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, भारत के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों का जिक्र किया गया है. इन क्षेत्रों में ऊर्जा, जलवायु वित्त, लचीलापन, व्यापार और उद्योग, स्वच्छ परिवहन शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'मैं सीओपी26 के सफल होने और संतुलित नतीजे को लेकर आशान्वित हूं.'
(पीटीआई-भाषा)

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