नई दिल्ली : हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे की पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) और मालदीव की उनकी समकक्ष मारिया दीदी (Mariya Didi) ने सोमवार को मुलाकात कर द्विपक्षीय सैन्य संबंधों का विस्तार करने पर सहमति जताई और नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था को कायम रखने का आह्वान किया.
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It is always wonderful to meet the Defence Minister of Maldives, Ms @MariyaDidi.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Our meeting in Male today was very good. We exchanged views on multiple subjects including further boosting the defence partnership between India 🇮🇳 & Maldives 🇲🇻. pic.twitter.com/1oMzrCkkz3
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राजनाथ सिंह ने मालदीव की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन मारिया दीदी और मालदीव के रक्षा बलों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ व्यापक रूप से बातचीत की.
राजनाथ सिंह का सोमवार को मालदीव पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया. मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी ने उत्तरी माले एटोल में स्थित वेलाना हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की (Maldivian defence minister receives Rajnath).
मालदीव के रक्षा बलों के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने राजधानी माले के पास स्थित हवाई अड्डे पर राजनाथ सिंह का स्वागत किया. मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'राजनाथ सिंह की यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर को दर्शाती है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा संबंधों में गतिशीलता और उत्साह के एक नए स्तर को लाती है.'
मालदीव के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सिंह और दीदी के बीच बातचीत में आपसी चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दे शामिल थे और दोनों पक्षों ने रक्षा तथा सुरक्षा क्षेत्रों में अपने सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की.
बयान के मुताबिक दोनों मंत्रियों ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व की फिर से पुष्टि की और आम सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता को स्वीकार किया.
बयान में कहा गया कि दोनों मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सम्मान करने के महत्व को रेखांकित किया और इन सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने आतंकवाद, आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं और विशेषज्ञता को साझा करने के महत्व पर भी ध्यान दिया.
गश्ती पोत और 'लैंडिंग क्राफ्ट' सौंपेंगे : दोनों मंत्री भारत और मालदीव के बीच रक्षा व्यापार, क्षमता निर्माण और संयुक्त अभ्यास के क्षेत्रों सहित सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर सहमत हुए. माले में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि सिंह ने मालदीव के रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की और इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का उद्देश्य आम चुनौतियों का सामना करना और क्षेत्र में शांति तथा सुरक्षा को बढ़ावा देना है.
राजनाथ सिंह एक से तीन मई तक की अपनी इस यात्रा के दौरान मालदीव के रक्षा बलों को समुद्री निगरानी बढ़ाने में मदद के लिए भारत की ओर से उपहार के रूप में एक गश्ती पोत और एक 'लैंडिंग क्राफ्ट' सौंपेंगे.
राष्ट्रपति सोलिह से मुलाकात करेंगे राजनाथ : मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने कहा, 'भारत के रक्षा मंत्री के वेलाना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आगमन के बाद उनका स्वागत उनकी समकक्ष मारिया दीदी ने किया, इस मौके पर रक्षा बल के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल भी मौजूद थे.' राजनाथ सिंह और मारिया दीदी भारत की ओर से मालदीव को 'लैंडिंग क्राफ्ट' के साथ एक गश्ती पोत सौंपने के लिए आयोजित समारोह में भी भाग लेंगे. राजनाथ मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से भी मुलाकात करेंगे. इसके साथ ही वह विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी करेंगे.
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि राजनाथ सिंह की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. इसके लिए कई आधिकारिक कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है जो मजबूत भारत-मालदीव रक्षा साझेदारी को और बढ़ाएंगे. रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह की मालदीव की यह पहली यात्रा है.
गौरतलब है कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी बेहतर रहे हैं.
पिछले साल अगस्त में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने भारत द्वारा वित्त पोषित ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना को शुरू किया था, जिसे द्वीपीय राष्ट्र में सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा पहल बताया गया.
ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (जीएमसीपी) परियोजना के तहत, राजधानी माले को विलिंगली, गुलहिफालु और थिलाफुशी के निकटवर्ती द्वीपों से जोड़ने के लिए 6.74 किलोमीटर लंबा पुल बनाया जाएगा. मालदीव भारत की 'पड़ोस प्रथम नीति' के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है.
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(पीटीआई-भाषा)