चंडीगढ़ : पंजाब के मलेरकोटला मामले पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि जिनके राज्य में कानून का राज खत्म हो गया है, कोविड से उपजे हालात पर मदद मांगने वाले को जेल भेजा जा रहा है, ऐसे लोग हमारे मामले में टांग अड़ाना चाहते हैं. सिंह ने कहा कि अगर किसी को पंजाब का इतिहास जानना है, तो वह उन्हें पढ़ने के लिए किताब उपलब्ध करवा देंगे.
आपको बता दें कि अमरिंदर सिंह ने ईद के मौके पर पंजाब के एकमात्र मुस्लिम बहुल कस्बे मलेरकोटला को राज्य का 23वां जिला घोषित किया था. योगी आदित्यनाथ ने उनके इस फैसले पर कड़ी टिप्पणी की थी.
आदित्यनाथ ने ट्वीट किया था, 'मत और मजहब के आधार पर किसी प्रकार का विभेद भारत के संविधान की मूल भावना के विपरीत है. मलेरकोटला का गठन किया जाना कांग्रेस की विभाजनकारी नीति का परिचायक है.'
पंजाब के मुख्यमंत्री ने आदित्यनाथ के ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पूछा, 'पंजाब के आचारों या मलेरकोटला के इतिहास के बारे में वह क्या जानते हैं ? जिसके सिख धर्म और उसके गुरुओं के साथ संबंध के बारे में हर पंजाबी वाकिफ है. भारतीय संविधान के बारे में वह क्या जानते हैं, जिसका उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार दिन-प्रतिदिन बेशर्मी के साथ अपमान कर रही है.'
अनुचित और हास्यास्पद टिप्पणी
सिंह ने आदित्यानाथ की टिप्पणी का मखौल उड़ाते हुए कहा कि 'सांप्रदायिक नफरत' फैलाने के योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसी टिप्पणी अवांछित और अनुचित होने के साथ-साथ हास्यास्पद भी लगती है.
हिंसा को बढ़ावा !
कैप्टन ने कहा कि भाजपा का इतिहास सांप्रदायिक घृणा फैलाने का रहा है. गुजरात से लेकर प. बंगाल तक, वह हिंसा फैलाने में संलिप्त रही है. यहां तक कि 1984 के सिख दंगों के दौरान भी उनके समर्थक हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे. पंजाब में धार्मिक ग्रंथों के नाम पर तनाव बढ़ाने की उनकी साजिश के बारे में सभी जानते हैं.
सांप्रदायिक मामलों में बढ़ोतरी
लोकसभा में दिए गए आकंड़ों का हवाला देते हुए अमरिंदर ने कहा कि 2014 के मुकाबले 2017 में देश में सांप्रदायिक मामलों में 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. पूरे देश में 822 सांप्रदायिक घटनाओं की शिकायतें सामने आईं थीं, इनमें से अकेले 195 यूपी से आए थे. इनमें 44 लोगों की जानें चलीं गईं, 542 घायल हो गए थे.
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योग्यता के आधार पर नियुक्तियां
पंजाब के इतिहास का जिक्र करते हुए कैप्टन ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के दरबार में हिंदू-मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग मंत्री हुआ करते थे. उन्होंने कहा कि पटियाला के प्रधानमंत्री नवाब लियाकत हयात खान एक मुस्लिम थे. उनके रेवेन्यू मंत्री राजा दया किशन कौल कश्मीरी थे. वित्त मंत्री गॉनलेट ब्रिटिश मूल के थे. सरदार पानिकर और रैना उनके मंत्री थे. यानी योग्यता के आधार पर नियुक्तियां होती थीं, न कि धर्म देखकर. आज भी यही परंपरा कायम है.
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18-20 साल पुराना है वादा
कैप्टन ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को पता नहीं है कि पंजाब को बचाने के लिए 1965 में यूपी के अब्दुल हामिद ने अपनी शहादत दी थी. सीएम ने कहा कि भाजपा नेताओं को पता नहीं है कि मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने सरहिंद के गवर्नर का विरोध किया था. कैप्टन ने कहा कि मैंने 2002-07 के अपने कार्यकाल के दौरान ही मलेरकोटला का वादा किया था. उसे ही अभी पूरा कर रहा हूं.