नई दिल्ली : संसद का मानसूत्र सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलेगा, इसमें 19 कार्यदिवस होंगे. चाहे वह किसान बिल हो या जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35a हटाने की बात हो या फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि और बेरोजगारी की समस्या. तमाम बातों पर विपक्षी पार्टियां लामबद्ध होकर इस बार सरकार को घेरने की तैयारी कर रही हैं. ऐसे में पूरा सत्र ही हंगामेदार होने की संभावना है.
मानसून सत्र में विपक्ष के हमले से बचने के लिए सरकार ने भी सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. सांसदों को तमाम मुद्दों पर जानकारियां भी डाक के माध्यम से लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय की तरफ से भेजा जा चुका है ताकि वह विपक्ष के हमलों से सरकार का बचाव कर सकें.
अगर मुख्य विधेयकों की बात करें तो हवाई अड्डों को नामित करना, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के संबंधी कानून, बाल संरक्षण को मजबूत करने संबंधित कानून, अंतर राज्य नदी जल विवाद निपटारे समिति की स्थापना से संबंधित विधेयक प्रमुख रूप से शामिल हैं. इस बार मंत्रिमंडल में हुए विस्तार की वजह से कई समितियों के सदस्यों की संख्या रिक्त हो गई है और इस वजह से इन समितियों का दोबारा गठन किया जा सकता है.
जनसंख्या नियंत्रण बिल पर हो सकती है चर्चा
इसके अलावा भाजपा राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा द्वारा 2019 में सदन के पटल पर रखे गए जनसंख्या नियंत्रण बिल भी चर्चा हो सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार के बाद अब केंद्र सरकार भी संसद के मानसून सत्र में इस जनसंख्या नियंत्रण बिल को लाने की तैयारी में है. सूत्रों की माने तो भाजपा अपने राज्यसभा सांसदों के जरिए संसद के मानसून सत्र में प्राइवेट मेंबर बिल के तहत ही इसे एक बार फिर पेश करवाएगी. इस बिल पर चर्चा 6 अगस्त को होगी.
ये बिल राकेश सिन्हा के अलावा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव व अनिल अग्रवाल ने पेश किया था. इस बिल में दो बच्चों की नीति को प्रमुखता दी गई है. यदि माता-पिता को दो से अधिक बच्चे हैं, तो उन्हें सरकारी सुविधाएं नहीं दी जाएंगी. साथ ही एक बच्चे की नीति पर भी खास ध्यान दिया गया है जिस पर संघ ने भी आपत्ति जताई है.
जनसंख्या नियंत्रण बिल में क्या?
दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले मां बाप को किसी भी प्रदेश की सरकार की ए से डी कैटेगरी की नौकरी में अप्लाई नहीं कर पाएंगे. ऐसे माता-पिता बैंक या वित्तीय स्थानों से लोन नहीं ले पाएंगे. केंद्र सरकार की भी ए से डी कैटेगरी तक की नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर पाएंगे. निजी नौकरियों में भी ए से डी तक की केटेगरी में आवेदन नहीं कर सकते. इंसेंटिव, स्टाइपेंड या किसी भी तरह का वित्तीय लाभ नहीं मिल पाएगा. यहां तक कहा गया है कि ऐसे अभिभावकों को वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और संगठन बनाने के अधिकार से भी वंचित किया जाना चाहिए. ऐसे अभिभावकों को राजनीतिक दल भी नहीं बनाने के प्रावधान इस बिल में किए गए हैं. इसके अलावा लोकसभा विधानसभा या पंचायत चुनाव लड़ने की भी इजाजत नहीं देने की बात कही गई है.
इस बिल पर विपक्ष की भूमिका आक्रामक हो सकती है. सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी मॉनसून सत्र की घोषणा करते हुए यह बताया कि 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलने वाले इस मानसून सत्र में 19 बैठकें होंगी और दोनों सदनों में सत्र का समय सुबह 11:00 से शाम 6:00 बजे तक का होगा.
कोविड 19 प्रोटोकॉल में थोड़ी छूट
पिछले 3 सत्र को कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पूरा किया गया लेकिन इस बार प्रोटोकॉल में थोड़ी छूट दी गई है. हालांकि आरटी पीसीआर के अलावा बाकी नियम तमाम सांसदों, मंत्रियों सहित लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के सभी कर्मचारी और अधिकारियों को अपनाने होंगे. इस सत्र में भी सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था लागू रहेगी. आंकड़ों के अनुसार 79 प्रतिशत सांसदों ने वैक्सीन ले लिया है.
बंगाल का मुद्दा उठा सकती है भाजपा
सूत्रों की मानें तो बीजेपी के सांसद पश्चिम बंगाल के चुनाव में हुई हिंसा के बाद मारे गए कार्यकर्ताओं के मुद्दे को भी संसद में जोर-शोर से उठा सकते है, हालांकि यह मामला संसद से जुड़ा नहीं है बावजूद इसके पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की माने तो भाजपा इसे उठाने की कोशिश करेगी.
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