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विधि आयोग को वैधानिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं: कानून मंत्रालय - विधि एवं न्याय मंत्रालय का जवाब

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया है कि विधि आयोग को एक वैधानिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है

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Published : Dec 8, 2021, 7:08 PM IST

नई दिल्ली : विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया है कि विधि आयोग को एक वैधानिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. मंत्रालय ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी है.

उपाध्याय ने अपनी याचिका में विधि आयोग को वैधानिक निकाय घोषित करने और इसके अध्यक्ष एवं सदस्य नियुक्त करने का निर्देश देने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है.

मंत्रालय ने हलफनामा में कहा है कि उपाध्याय द्वारा दायर याचिका तुच्छ है और यह सुनवाई योग्य नहीं है. मंत्रालय ने कहा, 'याचिकाकर्ता की नीयत साफ नहीं है और उन्होंने जो, मुद्दा उठाया है, वह स्पष्ट रूप से सत्ता के पृथक्करण के सिद्धांत से इतर है और वर्तमान में विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का मामला सरकार के पास है.'

हलफनामा में कहा गया है, 'यह प्रस्तुत किया जाता है कि 22 वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, और अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति संबंधित अधिकारियों के पास विचाराधीन है. हालांकि विधि आयोग को सांविधिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है.'

पढ़ें - 'फर्जी' दावा मामला: वकीलों को बचाने के लिए उप्र बार काउंसिल को SC की फटकार

शीर्ष अदालत ने पहले उपाध्याय की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिन्होंने गृह मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालयों के साथ-साथ भारत के विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया है कि विधि आयोग को एक वैधानिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. मंत्रालय ने भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी है.

उपाध्याय ने अपनी याचिका में विधि आयोग को वैधानिक निकाय घोषित करने और इसके अध्यक्ष एवं सदस्य नियुक्त करने का निर्देश देने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है.

मंत्रालय ने हलफनामा में कहा है कि उपाध्याय द्वारा दायर याचिका तुच्छ है और यह सुनवाई योग्य नहीं है. मंत्रालय ने कहा, 'याचिकाकर्ता की नीयत साफ नहीं है और उन्होंने जो, मुद्दा उठाया है, वह स्पष्ट रूप से सत्ता के पृथक्करण के सिद्धांत से इतर है और वर्तमान में विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का मामला सरकार के पास है.'

हलफनामा में कहा गया है, 'यह प्रस्तुत किया जाता है कि 22 वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को किया गया था, और अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति संबंधित अधिकारियों के पास विचाराधीन है. हालांकि विधि आयोग को सांविधिक निकाय बनाने का कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है.'

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शीर्ष अदालत ने पहले उपाध्याय की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिन्होंने गृह मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालयों के साथ-साथ भारत के विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया था.

(पीटीआई-भाषा)

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