मुंबई : राकांपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के मंत्री नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने की 'साजिश' रची गई है. उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लिखे गए उस पत्र के समय पर भी सवाल उठाए जिसमें पुलिस अधिकारी ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मलिक ने यह भी कहा कि पार्टी ने यह फैसला किया है कि अभी देशमुख को इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि देशमुख की किस्मत पर फैसला जांच पूरी होने के बाद लिया जाएगा. इससे पहले, रविवार को राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि देशमुख के बारे में फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लेंगे. उन्होंने कहा था कि परमबीर सिंह ने देशमुख पर जो आरोप लगाए हैं वे गंभीर हैं और इनकी गहराई से जांच करने की आवश्यकता है.
परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पिछले हफ्ते पत्र लिखकर दावा किया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को 100 करोड़ रूपये की मासिक वसूली करने को कहा है. इस पत्र के बाद राज्य में सियासी तूफान आ गया था. देशमुख ने इन आरोपों से इनकार किया है.
मलिक ने एक समाचार चैनल से कहा कि सिंह ने यह पत्र होमगार्ड में अपने तबादले से पहले जारी क्यों नहीं किया? उन्होंने (सिंह ने) दावा किया कि (सचिन) वाजे ने फरवरी के अंतिम हफ्ते में देशमुख से मुलाकात की थी. 15 फरवरी तक देशमुख अस्पताल में थे और 27 फरवरी तक वह घर पर पृथक-वास में थे. उन्होंने बताया कि देशमुख ने लोगों से मिलना जुलना 28 फरवरी से शुरू किया अत: इस पत्र से 'संदेह' पैदा होता है.
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मलिक ने कहा कि राकांपा का निर्णय है कि देशमुख की किस्मत पर कोई भी फैसला जांच का निष्कर्ष सामने आने के बाद लिया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सिंह दिल्ली गए थे और राकांपा के नेता यह जानते हैं कि वह राष्ट्रीय राजधानी में किससे मिले और क्या चर्चा हुई. मलिक ने आरोप लगाया कि आने वाले समय में यह सब चर्चा में जरूर आएगा. राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए साजिश रची गई.