आगरा: ताजनगरी में केंद्रीय पादुका प्रशिक्षण संस्थान (सीएफटीआई) ने निचले तबके के शूज कारीगर और मोचियों को सम्मान दिलाने को एक नई पहल की है. इससे जहां उन्हें जमीन पर बैठकर जूता नहीं बनाने पड़ेंगे. वहीं, ग्राहक को मनपसंद शूज बनाकर दे सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. इसके लिए सीएफटीआई ने ई रिक्शा पर एक ऐसा चलता फिरता 'मिनी शूज कारखाना ऑन व्हील' तैयार किया है, जो पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया मिशन को और आगे बढ़ाएगा. पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर मिनी 'शूज कारखाना ऑन व्हील' की सराहना कर चुके हैं. ईटीवी भारत ने मिनी 'शूज कारखाना ऑन व्हील' तैयार करने वाली सीएफटीआई की टेक्निकल टीम से एक्सक्लुसिव बातचीत की.
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बता दें कि यूपी में आगरा शूज कारोबार का गढ़ है. जिले में शूज कारोबार की छोटी-बड़ी करीब सात हजार इकाइयां हैं. इनसे पांच लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है. आगरा की देश के शूज कारोबार में 65 फीसदी भागीदारी है. जबकि, देश के शूज एक्सपोर्ट में 28 फीसदी भागीदारी है. आगरा में शूज का घरेलू कारोबार ही करीब 15 हजार करोड़ रुपये का है.
इन्वर्टर से चलता है मिनी शूज काराखाना
सीएफटीआई के टेक्नीशियन मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मोची और छोटे शूज कारीगर के लिए एक ई रिक्शा पर पूरा मिनी कारखाना बनाया गया है. देश में अधिकतर मशीनरी 220 वोल्ट पर होती है. लेकिन, ई रिक्शा 12 वोल्ट पर चलता है. इसलिए, ई रिक्शा पर मिनी कारखाना की मशीनरी को चलाने के लिए 220 वोल्ट का इन्वर्टर लगाया गया है. जो एक बार में चार से छह घंटे तक मशीनरी को संचालित कर सकता है. इसके साथ ही ई रिक्शा के लिए अलग से 12 वोल्ट का बैटरी सिस्टम है.
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बल्क में ई रिक्शा बनाने पर कीमत भी होगी कम
सीएफटीआई के टेक्नीशियन मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सीएफटीआई के पूर्व डायरेक्टर सनातन साहू की ई रिक्शा पर मिनी शूज कारखाना की सोच को मूर्ति रूप देने के लिए मेरठ की एक फर्म के इंजीनियर के साथ बातचीत की. उन्होंने गाइड किया. एक डिजाइन भी बनाकर दिया. इस पर हमने काम किया. इसके बेस पर ही मिनी शूज का कारखाना बनाया है. ये दो लाख रुपये में बनकर तैयार हुआ है. इसे आगे बनाते हैं तो इसकी कीमत भी कम होगी.
शूज मेकर की पहुंच और आमदनी बढ़ेगी
सीएफटीआई के जूनियर टेक्निकल ऑफिसर सुरेश चंद्र चौहान ने बताया कि सड़क पर या जमीन पर बैठकर जूते दुरुस्त करने या बनाने वालों के लिए ई रिक्शा पर ये चलता फिरता मिनी शूज कारखाना वरदात साबित होगा. इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. अभी जो चौराहों, तिराहों, बाजारों और सड़कों पर मोची बैठकर शूज की रिपेयरिंग का काम करते हैं, उनको ये सम्मान दिलाएगा. इसमें बैठकर वे एक जगह काम करने के साथ ही इससे काॅलोनी और डोर-टू-डोर भी जा सकेंगे. इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.

ऑटोमेटिक शूज पाॅलिश मशीन
सीएफटीआई के जूनियर टेक्निकल ऑफिसर सुरेश चंद्र चौहान ने बताया कि ई रिक्शा पर तैयार किए गए मिनी शूज कारखाने में सभी मशीनें ऑटोमेटिक हैं. इसमें शूज की सिलाई, सोल पेस्टिंग, लास्टिंग, सोल रफिंग, सोल पेस्ट मशीन, सोल हीटिंग के साथ ही शूज पर पाॅलिश की भी मशीन लगाई है. शूज पाॅलिश की मशीन ऑटोमेटिक है. एक टूल किट भी है, जिससे किसी भी तरह के शूज को रिपेयर करने या बनाने के लिए जरूरी उपकरण भी उसमें हैं. मिनी शूज कारखाने में पहले से अलग-अलग डिजाइन के तैयार अपर से लोग मनपसंद शूज भी तैयार करा सकते हैं.
ये काॅन्सेप्ट बढ़ाएगा आमदनी
सीएफटीआई के सीनियर टेक्निकल ऑफिसर संजय कुमार भाटिया ने बताया कि गरीब तबके के शूज कारीगर और मोची की आमदनी बढ़ाने के लिए ई रिक्शा पर मिनी शूज कारखाने का काॅन्सेप्ट पूर्व निदेशक सनातन साहू का था. इसे पीएम मोदी ने दिल्ली में देखा तो इसकी सराहना की. उन्होंने कहा कि ये मेक इन इंडिया की सोच है. जो लोगों को आत्मनिर्भर और आमदनी बढ़ाने के साथ ही सम्मान भी दिलाने का काम है. इस मिनी कारखाने से शूज कारीगर और मोची शूज की रिपेयरिंग के साथ ही नए शूज भी बना सकते हैं. इसके साथ ही एक जगह से दूसरी जगह जाकर भी आसानी से सर्विस दे सकते हैं. इसका प्रोजेक्ट बनाया जाएगा कि कैसे इसे जरूरतमंद शूज कारीगर और मोची को दिया जाए.
एक नजर आगरा के शूज कारोबार पर
185 एक्सपोर्ट इकाइयां हैं आगरा में. 5000 करोड़ का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष एक्सपोर्ट. 8000 घरेलू कारखाने आगरा में हैं. 10000 करोड़ का घरेलू शूज का टर्नओवर. 65 फीसदी घरेलू शूज बाजार में आगरा की आपूर्ति. 28 फीसदी शूज एक्सपोर्ट में आगरा की हिस्सेदारी.
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