चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस प्रशासनिक आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि सभी मामलों का वह स्वत: संज्ञान लेगा और अखिल भारतीय या अंतर-राज्यीय निहितार्थ वाले मामले उसकी प्रधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होंगे, जिसमें तीन सदस्य होते हैं.
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी ओदिकेसवालु की पीठ ने इस साल 12 जून को नई दिल्ली में एनजीटी के महापंजीयक द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी है. पीठ ने मछुआरों के एक संगठन की जनहित याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया है.
याचिका के मुताबिक, एनजीटी कार्यालय-आदेश उन लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित मौलिक अधिकारों के अमल के लिए यहां की दक्षिणी पीठ से संपर्क करते हैं.
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पर्यावरण के संबंध में नागरिकों की शिकायतों के निवारण के लिए उन्हें एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से एनजीटी अधिनियम, 2010 के तहत क्षेत्रीय पीठ की स्थापना की गई है.
अधिकरण का यह आदेश सभी नागरिकों, विशेष रूप से मछुआरों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा क्योंकि अब से नागरिक को राष्ट्रीय राजधानी में प्रधान पीठ के पास जाना पड़ता.
(पीटीआई-भाषा)