कोट्टायम: विजयदशमी के दिन सैकड़ों बच्चों ने पनाचिक्कडु दक्षिण मूकाम्बिका मंदिर (विद्यारंभम इन पनाचिक्कडु दक्षिण मूकाम्बिका मंदिर) में 'विद्यारंभम' समारोह के दौरान अपने नाम के पहले अक्षर लिखे. सुबह चार बजे पूजा के बाद दीक्षा समारोह शुरू हुआ. विद्या मंडपम में लगभग 35 आचार्यों ने सैकड़ों बच्चों को दीक्षा दी. आज सुबह से ही दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ भी लगी रही. आचार्यों ने बच्चों को गोद में बिठाया और उनकी तर्जनी अंगुली पकड़कर थाली में रखे चावल पर हरिश्री लिखा.
बच्चे रोते, हँसते, लड़ते-झगड़ते ज्ञान की दुनिया में दाखिल हुए. पनाचिक्कड़ दक्षिण मूकाम्बिका मंदिर मध्य केरल के उन मंदिरों में से एक है जहां लिखने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक है. विजयादशमी के संयोजन में, भगवान विष्णु और देवी सरस्वती के चरणों में विशेष पूजा की गई. श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी विशेष व्यवस्था की गयी थी. सुबह चार बजे कलामंडपम में सहस्रनाम जप के साथ कला अर्चना शुरू हुई. विजयादशमी के दिन 100 कलाकारों ने संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किये.
बता दें कि, इसके साथ ही केरल राजभवन ने भी मंगलवार को विजयादशमी के अवसर पर बच्चों के लिए विद्यारंभम समारोह का आयोजित किया. तिरुवनंतपुरम में राजभवन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नन्हे-मुन्नों को उनका पहले अक्षर लिखने में मदद की.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी आज तिरुवनंतपुरम के पूजाप्पुरा सरस्वती मंडपम में एक विद्यारंभम समारोह में बच्चों को अपना पहला अक्षर लिखने में मदद की. इस अवसर पर बोलते हुए, शशि थरूर ने कहा कि यह एक विशेष अवसर है 'विद्यारम्भम'. पूरा भारत दशहरा विजयादशमी मनाता है लेकिन केरल में विजयादशमी का दिन सीखने की शुरुआत का दिन होता है इसलिए बच्चों को लिखना सिखाना बड़ों का काम है.
थरूर ने कहा कि मैं बच्चों को तीन भाषाएं सिखाता हूं, हम एक थाली में चावल के दाने रखते हैं और उनकी उंगलियों से अक्षरों को उकेरते हैं. मैं उन्हें संस्कृत, मलयालम और अंग्रेजी में 'ओम हरि श्री' लिखना सिखाता हूं. विजयादशमी पर बच्चों को अपना पहला अक्षर लिखने में मदद करने के लिए केरल के कोच्चि के परवूर मंदिर में विद्यारंभम समारोह भी आयोजित किया गया.