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इस गन्ना पेराई सत्र में चीनी उत्पादन में 13% बढ़ोतरी की उम्मीद - India’s sugar production

चालू गन्ना पेराई सत्र में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 13% ज्यादा होने की उम्मीद है. इथेनॉल उत्पादन के लिए 35 लाख टन चीनी के डायवर्जन के बाद भी चालू सीजन में चीनी का उत्पादन लगभग 350 लाख टन रहने का अनुमान है.

चीनी उत्पादन
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Published : Apr 20, 2022, 9:25 AM IST

नई दिल्ली : चालू गन्ना पेराई सत्र अर्थात चीनी सीजन में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 13% ज्यादा होने की उम्मीद है. संशोधित अनुमान के अनुसार इथेनॉल उत्पादन के लिए 35 लाख टन चीनी के डायवर्जन को छूट देने के बाद चालू चीनी मौसम में चीनी का उत्पादन लगभग 350 लाख टन होने का अनुमान है.अधिकारियों ने कहा कि उत्पादन 278 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. चालू चीनी मौसम (अक्टूबर-सितंबर 2022 की अवधि) की शुरुआत में लगभग 85 लाख टन का कैरी ओवर स्टॉक था. देश में चीनी भंडारन की स्थिति के बारे बताते हुए अधिकारी ने कहा कि लगभग 95 लाख टन चीनी के संभावित निर्यात के बाद भी सितंबर 2022 के अंत में चालू चीनी मौसम के लिए समापन स्टॉक 60 लाख टन से अधिक रहने की संभावना है.

सरकार ने कहा कि देश में चीनी की उपलब्धता घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. ऐसे में चीनी की उपलब्धता पूरी रहेगी और घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें भी स्थिर रहने की उम्मीद है.चालू पेराई सत्र में चीनी मिलों को चालू सीजन में गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने की उम्मीद है. सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है बल्कि कच्चे तेल के आयात के कारण विदेशी मुद्रा की बचत भी करता है.

इथेनॉल सम्मिश्रण: पिछले तीन चीनी मौसमों - 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में लगभग 3.37 लाख टन, 9.26 लाख टन और 22 लाख टन चीनी को इथेनॉल में बदल दिया गया है. चालू चीनी सीजन 2021-22 में करीब 35 लाख टन चीनी डायवर्ट होने का अनुमान है. अधिकारियों ने अगले दो-तीन वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 60 लाख टन इथेनॉल की ओर मोड़ने का लक्ष्य रखा है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या का समाधान करेगा और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद करेगा.

राजस्व का स्रोत: तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों और डिस्टिलरीज ने पिछले सात वर्षों में लगभग 53,000 करोड़ रुपये कमाए हैं. इस साल चीनी मिलों को इंडियन ऑयल और बीपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की उम्मीद है. भारत सरकार ने आयातित तेल पर निर्भरता कम करने व पर्यावरण को बचाने के लिए एवं किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से इथेनॉल ब्लेंडिंग आवश्यक कर दी है.

गन्ना बकाया: पिछले चीनी सत्र में चीनी मिलें इस साल 18 अप्रैल तक किसानों को 99.5% गन्ना बकाया चुकाने में सक्षम थीं, क्योंकि उन्होंने 92,938 करोड़ रुपये के गन्ना बकाया के मुकाबले लगभग 92,480 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. चालू सीजन में चीनी मिलों ने अब तक 91,468 करोड़ रुपये के कुल बकाया के मुकाबले 80% से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान किया है. आधिकारिक अनुमान के मुताबिक इस साल चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान किए जाने की संभावना है.

यह भी पढ़ें-भारत के चीनी निर्यात में जबरदस्त उछाल, 9000 से बढ़कर 35,000 करोड़ पहुंचा

नई दिल्ली : चालू गन्ना पेराई सत्र अर्थात चीनी सीजन में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 13% ज्यादा होने की उम्मीद है. संशोधित अनुमान के अनुसार इथेनॉल उत्पादन के लिए 35 लाख टन चीनी के डायवर्जन को छूट देने के बाद चालू चीनी मौसम में चीनी का उत्पादन लगभग 350 लाख टन होने का अनुमान है.अधिकारियों ने कहा कि उत्पादन 278 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. चालू चीनी मौसम (अक्टूबर-सितंबर 2022 की अवधि) की शुरुआत में लगभग 85 लाख टन का कैरी ओवर स्टॉक था. देश में चीनी भंडारन की स्थिति के बारे बताते हुए अधिकारी ने कहा कि लगभग 95 लाख टन चीनी के संभावित निर्यात के बाद भी सितंबर 2022 के अंत में चालू चीनी मौसम के लिए समापन स्टॉक 60 लाख टन से अधिक रहने की संभावना है.

सरकार ने कहा कि देश में चीनी की उपलब्धता घरेलू आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. ऐसे में चीनी की उपलब्धता पूरी रहेगी और घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें भी स्थिर रहने की उम्मीद है.चालू पेराई सत्र में चीनी मिलों को चालू सीजन में गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने की उम्मीद है. सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है बल्कि कच्चे तेल के आयात के कारण विदेशी मुद्रा की बचत भी करता है.

इथेनॉल सम्मिश्रण: पिछले तीन चीनी मौसमों - 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में लगभग 3.37 लाख टन, 9.26 लाख टन और 22 लाख टन चीनी को इथेनॉल में बदल दिया गया है. चालू चीनी सीजन 2021-22 में करीब 35 लाख टन चीनी डायवर्ट होने का अनुमान है. अधिकारियों ने अगले दो-तीन वर्षों में प्रति वर्ष लगभग 60 लाख टन इथेनॉल की ओर मोड़ने का लक्ष्य रखा है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या का समाधान करेगा और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान करने में मदद करेगा.

राजस्व का स्रोत: तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों और डिस्टिलरीज ने पिछले सात वर्षों में लगभग 53,000 करोड़ रुपये कमाए हैं. इस साल चीनी मिलों को इंडियन ऑयल और बीपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की उम्मीद है. भारत सरकार ने आयातित तेल पर निर्भरता कम करने व पर्यावरण को बचाने के लिए एवं किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से इथेनॉल ब्लेंडिंग आवश्यक कर दी है.

गन्ना बकाया: पिछले चीनी सत्र में चीनी मिलें इस साल 18 अप्रैल तक किसानों को 99.5% गन्ना बकाया चुकाने में सक्षम थीं, क्योंकि उन्होंने 92,938 करोड़ रुपये के गन्ना बकाया के मुकाबले लगभग 92,480 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. चालू सीजन में चीनी मिलों ने अब तक 91,468 करोड़ रुपये के कुल बकाया के मुकाबले 80% से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान किया है. आधिकारिक अनुमान के मुताबिक इस साल चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान किए जाने की संभावना है.

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