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जम्मू-कश्मीर में मानवता की मिसाल, तीन अनाथ बच्चों का सहारा बने फारूक - हिंदू अनाथालय

जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में एक मुस्लिम युवक ने तीन अनाथ बच्चों को सहारा देकर मानवता की मिसाल कायम की है. युवक फारूक की इस पहल से धार्मिक सौहार्द का भी उदाहरण मिलता है. तीनों अनाथ बच्चे हिंदू हैं. फारूक दो साल पहले इन तीनों बच्चों को हिंदू अनाथालय से लाए थे. तब से वह बच्चों के सारे खर्चे उठा रहे हैं. जबकि प्रशासनिक स्तर से आजतक बच्चों को कोई मदद नहीं मिली है.

मुस्लिम युवक बना तीन अनाथ बच्चों का सहारा
मुस्लिम युवक बना तीन अनाथ बच्चों का सहारा
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Published : Apr 17, 2021, 12:50 AM IST

रामबन : मानवता सभी धर्मों से ऊपर होती है. इस कथन को चरितार्थ किया है जम्मू-कश्मीर के रामबन जिला निवासी फारूक ने. युवक फारूक अहमद है जो पेशे से ड्राइवर है.

मुस्लिम युवक फारूक ने तीन हिंदू अनाथ बच्चों को सहारा दिया है. जानकारी के मुताबिक, रामबन के संगलदान के पिछड़े इलाके में रहने वाले मुंशी राम की दो साल पहले मौत हो गई थी. वह अपने पीछे एक बेटा और दो बेटियां छोड़ गया. सात साल पहले उसकी पत्नी की मौत हो चुकी थी जबकि एक बड़ा बेटा अपने ससुरालियों के साथ रहता है.

पढ़ेंः महबूबा मुफ्ती के खिलाफ ED की ओर से जारी समन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टली

अपने बच्चों जैसी देखभाल
मुंशी राम के मरने के बाद इन तीनों मासूमों की देखभाल करने वाला कोई नहीं थी. तभी स्थानीय युवक फारूक ने इन तीनों बच्चों की जिम्मेदारी उठाई. वे इन दोनों बच्चों की पिछले दो सालों से अपने बच्चों की तरह देखभाल करता आ रहा है.

स्कूल में कराया दाखिला
ईटीवी भारत से बातचीत में, मुंशी राम की 15 साल की बेटी ने बताया कि अपने दोनों भाई-बहन को स्थानीय लोगों की मदद से उसने किसी तरह से स्कूल में दाखिला दिलाया है जबकि फारूक अहमद उनके अन्य खर्चे भी उठाते हैं.

यह भी पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर : महिला एसपीओ गिरफ्तार, आतंकी गतिविधियाें में संलिप्तता के आरोप

बड़े भाई की अमानवीय हरकत
उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. वे एक झोपड़ी में रहते हैं और बड़ा भाई भी उनकी मदद करने के बजाय यहां आकर उन्हें पीटता है. यहां तक उसने इन बच्चों को घर खाली करने को भी कहा जिससे वह जमीन बेच सके.

प्रशासन पर अनदेखी के आरोप
इन अनाथ बच्चों ने कई बार स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन आज तक प्रशासनिक स्तर से उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है.

रामबन : मानवता सभी धर्मों से ऊपर होती है. इस कथन को चरितार्थ किया है जम्मू-कश्मीर के रामबन जिला निवासी फारूक ने. युवक फारूक अहमद है जो पेशे से ड्राइवर है.

मुस्लिम युवक फारूक ने तीन हिंदू अनाथ बच्चों को सहारा दिया है. जानकारी के मुताबिक, रामबन के संगलदान के पिछड़े इलाके में रहने वाले मुंशी राम की दो साल पहले मौत हो गई थी. वह अपने पीछे एक बेटा और दो बेटियां छोड़ गया. सात साल पहले उसकी पत्नी की मौत हो चुकी थी जबकि एक बड़ा बेटा अपने ससुरालियों के साथ रहता है.

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अपने बच्चों जैसी देखभाल
मुंशी राम के मरने के बाद इन तीनों मासूमों की देखभाल करने वाला कोई नहीं थी. तभी स्थानीय युवक फारूक ने इन तीनों बच्चों की जिम्मेदारी उठाई. वे इन दोनों बच्चों की पिछले दो सालों से अपने बच्चों की तरह देखभाल करता आ रहा है.

स्कूल में कराया दाखिला
ईटीवी भारत से बातचीत में, मुंशी राम की 15 साल की बेटी ने बताया कि अपने दोनों भाई-बहन को स्थानीय लोगों की मदद से उसने किसी तरह से स्कूल में दाखिला दिलाया है जबकि फारूक अहमद उनके अन्य खर्चे भी उठाते हैं.

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बड़े भाई की अमानवीय हरकत
उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. वे एक झोपड़ी में रहते हैं और बड़ा भाई भी उनकी मदद करने के बजाय यहां आकर उन्हें पीटता है. यहां तक उसने इन बच्चों को घर खाली करने को भी कहा जिससे वह जमीन बेच सके.

प्रशासन पर अनदेखी के आरोप
इन अनाथ बच्चों ने कई बार स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन आज तक प्रशासनिक स्तर से उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है.

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