नई दिल्ली : देश में कृषि रसायनों के आयात में बड़ी बढ़ोतरी पर क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI ) ने चिंता जताई है. इसको लेकर फेडरेशन ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है. बीते दो वर्षों (2019-2020 और 2020-2021) में कृषि रसायनों का आयात 9096 करोड़ से बढ़ कर 12418 करोड़ रुपये का हो गया, जबकि कृषि रसायनों के निर्यात में इसके मुकाबले कम बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
आंकड़ों के मुताबिक कृषि रसायनों का निर्यात दो वर्षों में 23757 करोड़ से बढ़ कर 26513 करोड़ रुपये तक पहुंचा है. इस तरह से आयात में बढ़ोतरी 37 फीसद की दर से हुई है, जबकि निर्यात में केवल 12 फीसद की दर से बढ़ोतरी हुई है. फेडरेशन ने कहा है कि भारत में बढ़ रहे कृषि रसायनों के आयात को सरकार को रोकना चाहिए, क्योंकि देश आत्मनिर्भर होने में सक्षम है.
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इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के सीनियर एडवाइजर हरीश मेहता ने इसे भारतीय कृषि रसायन उद्योग के लिए निराशाजनक बताया. उनका कहना है कि भारतीय इंडस्ट्री देश के कृषि रसायनों की मांग को पूरा करने में सक्षम है. क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया में देश की 50 अग्रणी एग्रो केमिकल कंपनियां शामिल हैं जो आज 130 देशों में निर्यात कर रही हैं.
वहीं देश से हो रहे कुल कृषि रसायनों में 95 फीसद की भागीदारी क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़ी कंपनियों की ही है. उन्होंने कहा कि आज देश में कृषि रसायनों का आयात तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण न केवल व्यापार घाटा बढ़ेगा, बल्कि देश को विदेशी मुद्रा का भी नुकसान होगा. मेहता ने कहा कि फेडरेशन की मांग है कि कृषि रसायनों के आयात पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा कर 30 फीसद कर देनी चाहिए.
हरीश मेहता ने भरोसा जताया कि भारतीय कृषि खुद को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम है और देश में चल रहे उद्योग अपने उत्पादन क्षमता को बढ़ा कर मांग की आपूर्ति कर सकते हैं. ऐसे में जब भारत की कंपनियों में क्षमता है कि वह देश के कुल कृषि रसायनों की मांग को पूरा कर सकते हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
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बता दें कि कोरोना महामारी के बावजूद भारतीय केमिकल इंडस्ट्री ने लगभग 55000 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है, जिसमें करीब 26000 करोड़ घरेलू बिक्री है और 29000 करोड़ का निर्यात किया गया है. वहीं देश में होने वाले कृषि रसायनों के आयात में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी चीन की है. सरकार को इस बढ़ते आयात को नियंत्रित करने की जरूरत है. दूसरी तरफ क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया का यह कई वर्षों से सुझाव रहा है कि कृषि रसायनों पर लगने वाली आयात शुल्क को 10 फीसद से बढ़ाकर 30 फीसद कर दी जाए.
फेडरेशन का कहना है कि आयात किए जा रहे कृषि रसायन पर लाभ का मार्जिन ज्यादा होने से ट्रेडर्स और बहुराष्ट्रीय कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाती हैं. वहीं सरकार जब किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात कर रही है, तो ऐसे में उन्हें देखना चाहिए कि आयातित कृषि रसायनों को किसान महंगी कीमतों पर खरीद रहे हैं.