नई दिल्ली : बिजली मंत्रालय ने उजाला कार्यक्रम (UJALA programme) के तहत सात साल में 36.78 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं. इससे सालाना 4,777.8 करोड़ यूनिट बिजली की बचत हुई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उजाला (सबके लिए सस्ते एलईडी द्वारा उन्नत ज्योति) कार्यक्रम की शुरुआत पांच जनवरी, 2015 को की थी. बिजली मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि छोटी अवधि में ही यह दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सब्सिडी प्राप्त स्वदेशी प्रकाश कार्यक्रम बन गया. यह महंगी बिजली और अदक्ष बिजली व्यवस्था के कारण उच्च उत्सर्जन की समस्याओं का समाधान करता है.
बयान के अनुसार, अब तक देशभर में 36.78 से अधिक एलईडी बल्ब का वितरण किया गया है. उजाला योजना एलईडी बल्बों की खुदरा कीमत को नीचे लाने में सफल हुई है. एलईडी बल्ब की कीमत 300-350 रुपये प्रति बल्ब से कम होकर 70-80 रुपये प्रति बल्ब आ गई है.
सबके लिए सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के अलावा, कार्यक्रम की बदौलत बिजली खपत में भारी बचत भी हुई. वर्तमान समय तक, सालाना 4,777.8 करोड़ किलोवॉट प्रति घंटा ऊर्जा की बचत हुई है.
बयान के अनुसार, इसके अलावा 9,565 मेगावॉट की अधिकतम मांग से मुक्ति मिली तथा 3,86 करोड़ टन सीओ2 (कार्बन डाई-ऑक्साइड) उत्सर्जन में कमी आई. मंत्रालय ने कहा कि उजाला को सभी राज्यों ने सहर्ष अपनाया है. इसकी मदद से घरों के वार्षिक बिजली बिलों में कमी आई है. उपभोक्ता पैसा बचाने, अपने जीवन स्तर में सुधार लाने तथा भारत की आर्थिक प्रगति और समृद्धि में योगदान करने में सक्षम हुए हैं.
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कार्यक्रम के तहत सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित की है तथा सामान और सेवाओं की ई-खरीद के जरिए प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन दिया है. परिणामस्वरूप लेन-देन के खर्च और समय में कमी आई है तथा प्रक्रिया पहले से ज्यादा कारगर हुई है. उजाला योजना की बदौलत एलईडी बल्बों की कीमत में 85 प्रतिशत तक की कमी आई है.
बिजली मंत्रालय के अनुसार, इसके कारण बोलीकर्ताओं की तादाद बढ़ी है, उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर हुई है और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध हुए हैं.