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सीजेआई यूयू ललित ने SC में 37 साल के कार्यकाल को किया याद

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का सीजेआई (CJI UU Lalit) के रूप में कार्यकाल आठ नवंबर को समाप्त हो रहा है. सोमवार को उनका आखिरी कार्यदिवस था. इस दौरान उन्होंने न्यायिक सफर को याद किया.

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Published : Nov 7, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Nov 7, 2022, 7:14 PM IST

CJI UU Lalit
सीजेआई यूयू ललित

नई दिल्ली : निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित (CJI UU Lalit) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में करीब 37 साल की अपनी यात्रा को पीछे मुड़कर देखा और कहा कि उन्होंने वकील और न्यायाधीश दोनों रूप में अपने कार्यकाल में उत्साह के साथ काम किया. प्रधान न्यायाधीश ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह अपने निर्वाचित उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के साथ आज दोपहर में आखिरी बार शीर्ष अदालत की रस्मी पीठ पर बैठे और संबोधित किया.

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को कमान सौंपना विशेष अनुभूति है क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के पिता और 16वें प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने अपनी वकालत शुरू की थी.

न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'मैंने इस अदालत में करीब 37 साल बिताए हैं. इस अदालत में मेरी यात्रा अदालत संख्या 1 से शुरू हुई. मैं बंबई में वकालत कर रहा था और यहां प्रधान न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के सामने एक मामले को रखने आया था.'

उन्होंने कहा, 'इस अदालत से मेरी यात्रा शुरू हुई और आज इसी अदालत में समाप्त हो रही है.' अनेक संविधान पीठों के गठन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 'बार के लिए कुछ करना बहुत यादगार और संतोषजनक अनुभव रहा है.' न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनने वाले कोई भी न्यायाधीश किसी भी काम के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम होते हैं और उन्हें संविधान पीठों में शामिल होने का समान अवसर मिलना चाहिए.'

भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति ललित की यह खासियत रही कि वह इस अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम करने के बाद यहां न्यायाधीश बने. उन्होंने न्यायमूर्ति ललित को आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत में उन्होंने जिन सुधारों पर काम किया, उन्हें लेकर निरंतरता रहेगी.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति ललित को न केवल कानून की बल्कि भारतीय सामाजिक जीवन की अद्भुत समझ है और इससे इस अदालत को स्थिरता मिली है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश के अत्यंत आभारी हैं. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ललित का वकील और न्यायाधीश के रूप में सफल कार्यकाल रहा है. पूर्व एजी केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम आशा करते हैं कि आप कानूनी क्षेत्र में ही सेवाएं प्रदान करते रहेंगे.

जानिए जस्टिस ललित के बारे में : न्यायमूर्ति ललित का जन्म नौ नवंबर 1957 को हुआ था. उन्होंने जून 1983 में एक वकील के रूप में काम करना शुरू किया और दिसंबर 1985 तक बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की थी. वह बाद में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में, उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

इससे पहले, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था. उन्हें 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

पढ़ें- SC : अपने छोटे से कार्यकाल में सीजेआई यूयू ललित ने लाए बड़े बदलाव

(इनपुट पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित (CJI UU Lalit) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में करीब 37 साल की अपनी यात्रा को पीछे मुड़कर देखा और कहा कि उन्होंने वकील और न्यायाधीश दोनों रूप में अपने कार्यकाल में उत्साह के साथ काम किया. प्रधान न्यायाधीश ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह अपने निर्वाचित उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के साथ आज दोपहर में आखिरी बार शीर्ष अदालत की रस्मी पीठ पर बैठे और संबोधित किया.

न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को कमान सौंपना विशेष अनुभूति है क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के पिता और 16वें प्रधान न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने अपनी वकालत शुरू की थी.

न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'मैंने इस अदालत में करीब 37 साल बिताए हैं. इस अदालत में मेरी यात्रा अदालत संख्या 1 से शुरू हुई. मैं बंबई में वकालत कर रहा था और यहां प्रधान न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के सामने एक मामले को रखने आया था.'

उन्होंने कहा, 'इस अदालत से मेरी यात्रा शुरू हुई और आज इसी अदालत में समाप्त हो रही है.' अनेक संविधान पीठों के गठन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 'बार के लिए कुछ करना बहुत यादगार और संतोषजनक अनुभव रहा है.' न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनने वाले कोई भी न्यायाधीश किसी भी काम के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम होते हैं और उन्हें संविधान पीठों में शामिल होने का समान अवसर मिलना चाहिए.'

भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति ललित की यह खासियत रही कि वह इस अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम करने के बाद यहां न्यायाधीश बने. उन्होंने न्यायमूर्ति ललित को आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत में उन्होंने जिन सुधारों पर काम किया, उन्हें लेकर निरंतरता रहेगी.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति ललित को न केवल कानून की बल्कि भारतीय सामाजिक जीवन की अद्भुत समझ है और इससे इस अदालत को स्थिरता मिली है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश के अत्यंत आभारी हैं. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ललित का वकील और न्यायाधीश के रूप में सफल कार्यकाल रहा है. पूर्व एजी केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम आशा करते हैं कि आप कानूनी क्षेत्र में ही सेवाएं प्रदान करते रहेंगे.

जानिए जस्टिस ललित के बारे में : न्यायमूर्ति ललित का जन्म नौ नवंबर 1957 को हुआ था. उन्होंने जून 1983 में एक वकील के रूप में काम करना शुरू किया और दिसंबर 1985 तक बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की थी. वह बाद में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में, उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया.

इससे पहले, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था. उन्हें 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.

पढ़ें- SC : अपने छोटे से कार्यकाल में सीजेआई यूयू ललित ने लाए बड़े बदलाव

(इनपुट पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 7, 2022, 7:14 PM IST
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