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एक शव को तलाश रहे 400 छात्र और सरकार, जानिए आखिर क्या है इस डेड बॉडी की खासियत

400 छात्र, एक डेड बॉडी और खोजने में जुटा पूरा सरकारी तंत्र, लेकिन हाथ लगी निराशा. एक डेड बॉडी ने 400 छात्रों के भविष्य को अंधेरे में डाले रखा है. करीब एक साल से पूरा सरकारी तंत्र इस एक डेड बॉडी की तलाश में जुटा हुआ है, लेकिन असफलता ही हाथ लगी है. आखिर इस एक डेड बॉडी की ऐसी क्या खासियत है कि सभी पीछे लगे हुए हैं. पढ़िए इस रिपोर्ट में.... Cadaver search for studies of 400 students of Medini Rai Medical College

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 5:34 PM IST

Cadaver search for studies of 400 students of Medini Rai Medical College
400 छात्रों को एक डेड बॉडी की तलाश
400 छात्रों को एक डेड बॉडी की तलाश

पलामू: 400 छात्रों का भविष्य एक डेड बॉडी पर टिका हुआ है. कहानी थोड़ी फिल्मी जरूर लगती है, लेकिन फिल्मी है नहीं. क्योंकि एक डेड बॉडी ने पलामू जिले के 400 छात्रों के भविष्य को अंधेरे में डाले रखा है. दरअसल, पलामू जिले के एक कॉलेज में पढ़ने वाले 400 छात्रों को एक डेड बॉडी की तलाश है. पिछले एक साल से ये छात्र उस एक डेड बॉडी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डेड बॉडी नहीं मिल पा रही है. छात्र परेशान हैं, क्योंकि इस डेड बॉडी के साथ उनका भविष्य जुड़ा है. पूरा का पूरा सरकारी तंत्र भी इस डेड बॉडी की तलाश में लगा हुआ है, लेकिन डेड बॉडी का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. अब माजरा क्या है, चलिए बताते हैं.

यह भी पढ़ें: शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज, 176 के बदले 51 शिक्षक से छात्र कैसे बनेंगे डॉक्टर

दरअसल, पलामू जिले के 400 छात्रों को पढ़ाई के लिए एक डेड बॉडी की जरूरत है. ये सभी मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं. इन छात्रों की पढ़ाई के लिए कैडेवर की तलाश की जा रही है. डेढ़ साल से यह कैडेवर छात्रों को उपलब्ध नहीं हो सका है. कैडेवर को लेकर मेडिकल कॉलेज की ओर से पलामू डीसी और एसपी को पत्र भी लिखा गया है. कैडेवर न मिलने के कारण छात्र प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं. पलामू में मेडिकल कॉलेज की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी. वर्तमान में मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में चार बैच के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, कॉलेज को सिर्फ एक बार ही कैडेवर मिल सका है.

क्या होता है कैडेवर्स: मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए उपयोग किए जाने वाले शव को कैडेवर कहा जाता है. कैडेवर के माध्यम से विद्यार्थियों को शरीर की संरचना के बारे में बताया जाता है. इससे बीमारी और मृत्यु के क्रमों का भी पता लगाया जाता है. कैडेवर एक लावारिस लाश होती है जिसके शरीर का कोई भी अंग क्षतिग्रस्त नहीं होता है. इसे मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में विशेष रूप से सुरक्षित रखा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हर 10 छात्रों पर एक कैडेवर की जरूरत होती है. लेकिन कमी के कारण एक ही कैडेवर से काम चलाया जाता है.

मेडिकल कॉलेज में नहीं है एक भी कैडेवर: पलामू कमिश्नर मनोज जायसवाल ने कहा कि छात्रों ने उन्हें कैडेवर के बारे में बताया था. निरीक्षण के दौरान कुछ बातें सामने आई हैं. मेडिकल कॉलेज की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कामेंद्र प्रसाद ने बताया कि कैडेवर के लिए डीसी और एसपी को पत्र लिखा गया है. मेडिकल कॉलेज में कोई कैडेवर नहीं है, एक साल से अधिक समय से इसकी तलाश की जा रही है.

400 छात्रों को एक डेड बॉडी की तलाश

पलामू: 400 छात्रों का भविष्य एक डेड बॉडी पर टिका हुआ है. कहानी थोड़ी फिल्मी जरूर लगती है, लेकिन फिल्मी है नहीं. क्योंकि एक डेड बॉडी ने पलामू जिले के 400 छात्रों के भविष्य को अंधेरे में डाले रखा है. दरअसल, पलामू जिले के एक कॉलेज में पढ़ने वाले 400 छात्रों को एक डेड बॉडी की तलाश है. पिछले एक साल से ये छात्र उस एक डेड बॉडी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डेड बॉडी नहीं मिल पा रही है. छात्र परेशान हैं, क्योंकि इस डेड बॉडी के साथ उनका भविष्य जुड़ा है. पूरा का पूरा सरकारी तंत्र भी इस डेड बॉडी की तलाश में लगा हुआ है, लेकिन डेड बॉडी का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. अब माजरा क्या है, चलिए बताते हैं.

यह भी पढ़ें: शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज, 176 के बदले 51 शिक्षक से छात्र कैसे बनेंगे डॉक्टर

दरअसल, पलामू जिले के 400 छात्रों को पढ़ाई के लिए एक डेड बॉडी की जरूरत है. ये सभी मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं. इन छात्रों की पढ़ाई के लिए कैडेवर की तलाश की जा रही है. डेढ़ साल से यह कैडेवर छात्रों को उपलब्ध नहीं हो सका है. कैडेवर को लेकर मेडिकल कॉलेज की ओर से पलामू डीसी और एसपी को पत्र भी लिखा गया है. कैडेवर न मिलने के कारण छात्र प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं. पलामू में मेडिकल कॉलेज की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी. वर्तमान में मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में चार बैच के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, कॉलेज को सिर्फ एक बार ही कैडेवर मिल सका है.

क्या होता है कैडेवर्स: मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए उपयोग किए जाने वाले शव को कैडेवर कहा जाता है. कैडेवर के माध्यम से विद्यार्थियों को शरीर की संरचना के बारे में बताया जाता है. इससे बीमारी और मृत्यु के क्रमों का भी पता लगाया जाता है. कैडेवर एक लावारिस लाश होती है जिसके शरीर का कोई भी अंग क्षतिग्रस्त नहीं होता है. इसे मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में विशेष रूप से सुरक्षित रखा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हर 10 छात्रों पर एक कैडेवर की जरूरत होती है. लेकिन कमी के कारण एक ही कैडेवर से काम चलाया जाता है.

मेडिकल कॉलेज में नहीं है एक भी कैडेवर: पलामू कमिश्नर मनोज जायसवाल ने कहा कि छात्रों ने उन्हें कैडेवर के बारे में बताया था. निरीक्षण के दौरान कुछ बातें सामने आई हैं. मेडिकल कॉलेज की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कामेंद्र प्रसाद ने बताया कि कैडेवर के लिए डीसी और एसपी को पत्र लिखा गया है. मेडिकल कॉलेज में कोई कैडेवर नहीं है, एक साल से अधिक समय से इसकी तलाश की जा रही है.

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