कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से प्रदेश में सात विधानसभा सीटों (west bengal bypolls) पर उपचुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखे जाने के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मांग की है कि प्रदेश में 100 से अधिक स्थानीय निकायों के चुनाव जल्दी कराए जाएं, जो पिछले करीब डेढ़ साल से बाकी हैं.
कोलकाता एवं आसनसोल नगर निगम के साथ ही प्रदेश में कुल 107 स्थानीय निकाय है, जो राज्य सरकार की ओर से नियुक्त प्रशासकों द्वारा चलाए जा रहे हैं.
भाजापा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा उपचुनाव कराने की जल्दबाजी में हैं, क्योंकि नंदीग्राम से हारने के बाद उन्हें किसी भी सीट से निर्वाचित होना है. घोष ने कहा कि वह अधीर महसूस कर रही हैं क्योंकि वह अब भी मुख्यमंत्री हैं और उन्हें छह महीने के भीतर राज्य के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होना है.
उन्होंने कहा, ज्यादातर नगरपालिकाओं और नगर निगमों का कार्यकाल एक साल से अधिक समय पहले समाप्त हो गया है और तृणमूल कांग्रेस पिछले दरवाजे से इन बोर्डों का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है. इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए.
भाजपा नेता ने संवाददाताओं से कहा, ऐसी स्थिति में, हमें आश्चर्य होता है कि क्या निकाय और पंचायत चुनाव करवाने वाला राज्य चुनाव आयोग गहरी नींद में है. यदि निकाय चुनाव कराने में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, तो लोग पीड़ित होंगे और वंचित रहेंगे.
प्रदेश के सात विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराए जाने के मामले में घोष ने कहा, भारत निर्वाचन आयोग उचित समय आने पर उचित निर्णय करेगा. हम लोग चुनाव के लिए तैयार हैं.
नवनिर्वाचित विधायकों से लड़ाई जारी रखने का आह्वान
साथ ही दिलीप घोष ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा के भीतर और बाहर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से डटकर मुकाबला करने का संदेश दिया. दक्षिण कोलकाता में नवनिर्वाचित विधायकों के प्रशिक्षण आयोजित कार्यशाला में घोष ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो इतनी जोर से चिल्लाओ कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों और मंत्रियों को सुनने में समस्या होने लगे.
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इस कार्यशाला में भाजपा के 75 निर्वाचित विधायकों में से 69 ने भाग लिया. इस दौरान पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और दिलीप घोष ने विधायकों को संबोधित किया और उन्हें पार्टी की बात रखने के गुर सिखाए.