लखनऊ : कानपुर के बिकरू कांड के बाद निलंबित हुए आईपीएस अनंत देव तिवारी को विभागीय जांच में क्लीनचिट दे दी गई है. कानपुर में एसपी रहे अनंत देव को तीन सदस्यीय एसआईटी की रिपोर्ट बाद 12 नवंबर 2020 को निलंबित कर दिया गया था. हालांकि बीते वर्ष अनंत देव को बहाल कर दिया गया था. इतना ही नहीं उमेश पाल हत्याकांड में भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
बता दें, जुलाई 2020 को हुए बिकरू कांड में डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इसमें घटना की जांच के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी की जांच में 60 से अधिक पुलिस अधिकारी व कर्मी फंसे थे. एसआईटी की सिफारिश पर सरकार ने 12 नवंबर 2020 को अनंत देव को निलंबित कर दिया था. एसआईटी ने अनंत देव के खिलाफ विस्तृत जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. जिसमें उनकी लापरवाही, मिलभीगत के सुबूत थे. एसआईटी द्वारा कार्रवाई की सिफारिश किए जाने के बाद अनंत देव के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही थी जो संयुक्त पुलिस कमिश्नर नीलाब्जा चौधरी कर रहे थे.
गौरतबल हो कि 2006 बैच के आईपीएस अनंत देव को उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2020 में बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट आने के बाद निलंबित कर दिया था. उस दौरान वह डीआईजी पीएसी मुरादाबाद के पद पर तैनात थे. यूपी के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अफसर के रूप में पहचाने जाने वाले अनंत देव बिकरू कांड के बाद कुछ फोटो और वॉयरल ऑडियो के चलते विवादों में घिर गए थे. अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद अनंत देव को निलंबित कर दिया गया था. दो अक्टूबर 2022 को अनंत देव तिवारी 23 माह बाद बहाल किए गए थे. उन्हें तीन फरवरी 2023 को डीआईजी रेलवे के पद पर तैनाती दी गई थी. 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद उन्हें एसटीएफ से अटैच कर दिया गया था.
यह भी पढ़ें : CM ममता बनर्जी ने बीमार पत्रकार को दे दी अपनी कार, खुद बाइक पर लौटीं