हैदराबाद : कहते हैं भारत आस्तिकों का देश है. यहां रहने वाले करोड़ों आस्थावान हिंदू देवताओं को अपनी श्रद्धा के रूप में हर साल सैकड़ों करोड़ की धन संपदा के साथ ही चल-अचल संपत्तियां भी दान करते हैं. यही कारण है कि भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां सैकड़ों करोड़ की धन संपदा मौजूद है. तिरुपति बालाजी के स्वर्ण भंडार के विषय में सह सब जानते ही हैं. यहां हुंडी दान की परंपरा से एकत्र सोने की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि एक वक्त बैंकों ने इस रखने इसे इनकार कर दिया था.
यही नहीं कुछ मंदिरों में दान में मिलने वाली धनराशि को गिनने के लिए मशीनें भी लगानी पड़ीं. आज हम आपको देश के कुछ ऐसे ही मंदिरों के विषय में बताएंगे, जिनमें भक्तों द्वारा इतना दान दिया गया है कि मंदिर धन-संपदा से मालामाल हो गए. पिछले दिनों ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला है मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में, जहां एक श्रद्धालु ने 35 किलो सोना दान किया. इस सोने की कीमत लगभग 14 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
मंदिर प्रशासन का कहना है कि सोने का इस्तेमाल गर्भगृह के दरवाजे और छत के निर्माण में किया जाएगा. ऐसे ही तिरुपति बालाजी मंदिर में तमिलनाडु के एक भक्त ने भगवान वेंकटेश्वर को सोने के दो नए 'अभया हस्तम' और 'कति हस्तम' (हाथ में पहनने के जेवर) चढ़ाए. 'अभया हस्तम' और 'कति हस्तम' एक तरह के सोने के जेवर होते हैं, जो भगवान के हाथ में पहनाए जाते हैं. बता दें कि इनकी कीमत करीब 2.25 करोड़ रुपये बताई जाती है. आइए जानते हैं देश के ऐसे दस मंदिरों के विषय में ...
1- पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम
केरल स्थित भगवान विष्णु के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की संपत्तियों के विषय में एक दशक पहले तक लोगों को कोई जानकारी नहीं थी, किंतु 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर परिसर में खजाने के कुछ कक्ष खोले गए. इनमें मिले खजाने से लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं. सभी कक्षों में बहुमूल्यू हीरे-जवाहरात व सोने-चांदी के तमाम आभूषण, अस्त्र-शस्त्र व मूर्तियां मिलीं. इनमें एक कक्ष अभी नहीं खोला नहीं गया है और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं. मान्यता है कि तिरवंनतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है. यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहां पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं. मंदिर की संपत्तियों का ठीक अनुमान लगा पाना कठिन है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार यह संपत्ति लगभग एक लाख बीस हजार करोड़ की बताई जाती है.
2. तिरुपति बालाजी
तिरुपति बालाजी देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर भी कहते हैं. आपको बता दें कि त्योहारों के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अद्भूत उदाहरण हैं.
माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब कांचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था. 2017 के एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर की संपत्ति लगभग एक 1.30 लाख करोड़ रुपये बताई जाती है.
3. वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर सबसे पुराने और धनवान मंदिरों में से एक है. यह मंदिर जम्मू और कश्मीर में एक पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शन करने आते हैं. मंदिर में चढ़ावे में आई रकम या अन्य महंगी वस्तुओं की देख-रेख मंदिर प्रशासन करता है.
साथ ही चढ़ावे में आई रकम को सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें कि मंदिर में लगभग पांच सौ करोड़ की वार्षिक आय है.
4- सोमनाथ मंदिर
गुजरात राज्य में स्थित सोमनाथ मंदिर महत्वपूर्ण हिंदू शिव मंदिरों में से एक है, जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है. प्राचीन काल से ही सोमनाथ मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में शुमार रहा है. इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया.
सोमनाथ में हर साल करो़डों का चढ़ावा आता है. इसलिए यह देश के अमीर मंदिरों में से एक है. एक अनुमान है कि इस मंदिर की संपत्ति लगभग 2500 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है.
5. सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर श्रद्धालुओं में ख्यातिलब्ध है. सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है. आपको बता दें कि इस मंदिर को हर वर्ष करोड़ो रुपये से ज्यादा का दान मिलता है.
सिद्धी विनायक मंदिर भारत में सर्वाधिक धन-संपदा वाले मंदिरों में शुमार है. हर साल इस मंदिर में लगभग 50 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ता है.
6. मदुरै का मीनाक्षी मंदिर
तमिलनाडु स्थित भगवान शिव व पार्वती के इस मंदिर में हर दिन 20 हजार से ज्यादा भक्त आते हैं. यह मंदिर वास्तु कला का अद्भुत नमूना है. आपको बता दें कि 14वीं शताब्दी में इस मंदिर को मुगल शासक मलिक काफर ने लूटा था और नष्ट करने का प्रयास किया था.
फिर भी यह मंदिर शान से आज भी खड़ा है. मीनाक्षी तिरुकल्यानम त्यौहार के दौरान यहां पर 10 दिन में दस लाख से ज्यादा लोग आते हैं. हर वर्ष इस मंदिर में लगभग छह करोड़ का चढ़ावा आता है.
7. पुरी का जगन्नाथ मंदिर
उड़ीसा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है. भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध यात्रा में हर साल लाखों भक्त उमड़ते हैं. इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी. एक अनुमान है कि इस मंदिर की वार्षिक आय लगभग 50 करोड़ है.
यह मंदिर भारत के दस अमीर मंदिरों में से एक है. इस मंदिर के लिए जो भी दान आता है, वह मंदिर की व्यवस्था और सामाजिक कार्यों में खर्च किया जाता है....
8. काशी विश्वनाथ मंदिर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिलिंगों में से एक है. काशी विश्वनाथ भी भारत के अमीर मंदिरों में से एक है. यहां हर साल करोडों का चढ़ावा आता है और लाखों भक्त शिव पूजन के लिए आते हैं. वहीं एक अनुमान है कि महाराजा रंजीत सिंह द्वारा 1853 में लगभग 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने द्वारा इसे मढ़वाया गया था.
वहीं अनुमान लगाया जाता है कि इस मंदिर में हर साल 4 से 5 करोड़ रुपए इस मंदिर को
9. शिरडी के साईंबाबा
महाराष्ट्र के शर्डी स्थित साईंबाबा मंदिर भक्तों के लिए आस्था का अद्भुत केंद्र है. यहां हर वर्ष लाखों लोग अपनी मन्नतें लेकर दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. शायद यही वजह है कि लोगों ने इस मंदिर को इतना दान कर दिया है कि अब यह देश के सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में लगभग 32 करोड़ रुपये के सोने और चांदी के गहनों के साथ लगभग छह लाख रुपये से अधिक के चांदी के सिक्के हैं. मंदिर को मिलने वाला वार्षिक दान लगभग 360 करोड़ बताया जाता है.
10. अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर
पंजाब प्रांत के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर सिखों का पावन धर्म स्थल ही नहीं है, बल्कि भारत के सबसे प्रसिध्द मंदिरों में से एक है. यहां रोज हजारों की संख्या में भक्तों का हुजूम उमड़ता है.
यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था. अनुमान लगाया जाता है कि इस मंदिर में सालाना 75 करोड़ रुपए दान और डोनेशन से मिलते हैं.