नई दिल्ली : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को लिखे 8 पन्नों के पत्र में कहा कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास" के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया है. विगत 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है.
पीएम ने कहा- जरूर पढ़ें पत्र
तोमर के पत्र लिखने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर किसानों से उसे पढ़ने की अपील की.
पीएम मोदी ने कहा है कि कृषि मंत्री ने पत्र के माध्यम से अपनी भावनाएं प्रकट की हैं. उन्होंने किसानों से अपील की है कि तोमर के पत्र को जरूर पढ़ें और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं.
तोमर ने कहा कि आप विश्वास रखिये, किसानों के हितों में किये गए ये सुधार भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, देश के किसानों को और स्वतंत्र करेंगे, सशक्त करेंगे.
बता दें कि किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई की जा रही है. शीर्ष अदालत ने अभी कोई भी आदेश जारी नहीं किया. कोर्ट में सुनवाई टल गई है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा वैकेशन बैंच में मामले की सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा किसान संगठनों की बात सुनने के बाद ही आदेश जारी किया जाएगा.
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गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.
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इससे पहले पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ में आयोजित एक कार्यक्रम में कृषि कानून का विरोध कर रहे लोगों को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों की 'साजिश' करार देते हुए कहा था कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है और उनकी शंकाओं के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को कहीं पर भी अनाज बेचने का विकल्प दिया जाए.
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मोदी ने कहा कि आज देश ने जब यह 'ऐतिहासिक कदम' उठा लिया तो विपक्षी दल किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं जबकि वे जब सत्ता में थे, तब ऐसे कृषि सुधारों की वकालत करते थे.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज कल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है. उन्हें डराया जा रहा है कि कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा.' उन्होंने कहा कि हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को उनका अनाज कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए.
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मोदी ने कहा, 'आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वह भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे. लेकिन अपनी सरकार के रहते वे निर्णय नहीं ले पाए. किसानों को झूठे दिलासे देते रहे.'
उन्होंने कहा, 'मैं अपने किसान भाइयों बहनों को बार-बार दोहराता हूं. उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है. किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है. खेती में किसानों का खर्च कम हो, उनकी आय बढ़े और मुश्किलें कम हों, नये विकल्प मिलें इसके लिए हमने निरंतर काम किया है.'
बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल बुधवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसान सम्मेलन में कहा कि जल्द ही आंदोलन खत्म होगा. साथियों ने कहा कि विपक्षी दल देश भर में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. वह सफल नहीं होंगे. साथ ही उन्होंने ने कहा कि केवल पंजाब ही राज्य ऐसा है जो कृषि कानून का विरोध कर रहा है इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं.
किसानों के आंदोलन की हर पल की खबरें-
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का पहला दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का दूसरा दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का तीसरा दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का चौथा दिन
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- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 10वां दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 11वां दिन
- किसान आंदोलन का 12वां दिन
- आंदोलन के 13वें दिन किसान नेताओं और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक
- कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग, 14वें दिन भी आंदोलन जारी
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आंदोलन पर कृषि मंत्री के सवाल
गौरतलब है कि विगत 26 नवंबर से शुरू हुए आंदोलन के संबंध में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्रियों की तरफ से कई बार ऐसे बयान भी दिए गए हैं, जिससे दोनों पक्षों (सरकार-किसान) के बीच का गतिरोध गहराता दिखाई देता है. खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमिर ने किसानों के आंदोलन के दौरान दिल्ली दंगों के आरपियों की रिहाई की मांग को लेकर सवाल खड़े किए थे.
ऐसे ही एक वाकये में पंजाब के भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा था कि किसान आंदोलन में नक्सलवादी घुस आए हैं.
एक अन्य बयान में किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा था, सरकार ने कहा है, एमएसपी जारी रहेगा. हम इसे लिखित में भी दे सकते हैं. मुझे लगता है कि कांग्रेस सरकार (राज्यों में) और विपक्ष किसानों को भड़काने की कोशिश कर रही है. राष्ट्र के किसान इन कानूनों के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं.
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विपक्षी दलों का समर्थन
गौरतलब है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन को ममता बनर्जी ने भी समर्थन दिया है. बीते दिनों उन्होंने एक ट्वीट में कहा था, 'भारत सरकार हर चीज बेच रही है. आप रेलवे, एयर इंडिया, कोयला, बीएसएनएल, बीएचईएल, बैंक, रक्षा इत्यादि को नहीं बेच सकते. गलत नीयत से लाई गई विनिवेश और निजीकरण की नीति वापस लीजिए. हम अपने राष्ट्र के खजाने को भाजपा की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं बनने देंगे.'
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हुए कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने गतिरोध खत्म करने और बुराड़ी मैदान में जाने की अपील की थी.
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राजद और वाम नेताओं का समर्थन
हालांकि, तमाम विरोधों के बावजूद नीति आयोग के सदर्य ने कहा था कि कानूनों का विरोध कर रहे किसान कंद्र सरकार के कानूनी प्रावधानों को समझ नहीं पा रहे हैं.
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कहां से पनपना शुरू हुआ असंतोष
बीते 17 सितंबर को विधेयकों के पारित होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा, किसान को उत्पाद सीधे बेचने की आजादी मिलेगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था भी जारी रहेगी.
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कृषि सुधार विधेयकों को लेकर पीएम मोदी का कहना है कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. उनके अनुसार इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद किसानों की न सिर्फ आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनके सामने कई विकल्प भी मौजूद होंगे.