नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ (एनएसईएफआई ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुब्रह्मण्यम पुलिपाका ने इनाडू के साथ एक साक्षात्कार में सौर ऊर्जा के बारे में बात की. खेती के साथ-साथ सौर ऊर्जा के लिए खेत का उपयोग करके किसान अधिक लाभ उठा सकते हैं. यह कई देशों में सफल रहा है. यह प्रक्रिया एग्रीवोल्टिक्स या एग्रोफोटोवोल्टिक्स या सोलर शेयरिंग कहा जाता है. इसे एनएसईएफआई के स्तर से विकसित किया जा रहा है. केंद्र को दो महीने में परियोजना का फाइनल प्रस्ताव पेश किया जाएगा.
अनूठी विशेषताएं : देश में सौर ऊर्जा के कुल उत्पादन का 15 फीसद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना करते हैं. किसान जमीन के एक ही क्षेत्र को सौर ऊर्जा और खेती दोनों के लिए विकसित करके फायदा उठा सकते हैं. राज्य सरकारों को किसानों को यह रास्ता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
एग्रीवोलेटिक फसलें : सौर पैनलों के नीचे एलोवेरा, लेमनग्रास, सुगंधित पौधे, औषधीय जड़ी- बूटियां, पत्तेदार साग और फलों की खेती की जाती है. पैनलों को ऊंचाई पर खड़ा करके सरसों जैसी फसलें भी उगाई जा सकती हैं. चीन, जर्मनी, फ्रांस और इटली इन पैनलों के तहत फूलगोभी, गोभी और अंगूर उगा रहे हैं. इन जमीनों को किराए या लीज पर भी दिया जा सकता है.
सोलर शेयरिंग क्या है : अब तक सौर ऊर्जा संयंत्र केवल गैर-कृषि भूमि में लगाए जा रहे हैं. सौर पैनल आमतौर पर 1 से 1.5 फीट लंबे होते हैं. एग्रोफोटोवोल्टिक्स में, बिजली पैदा करने के लिए पैनल 3 से 4 फीट की ऊंचाई पर स्थापित किए जाएंगे. जमीन पर सामान्य तौर पर से खेती की जा सकती है. किसानों के लिए यह सेट अप फायदेमंद हो सकता है. जरूरत के बाद को अतिरिक्त बिजली को पावर ग्रिड को भेजकर और कुछ आमदनी कर सकते हैं. इसका फायदा यह है कि सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है. इसके अलावा, सौर ऊर्जा का उत्पादन पारंपरिक तरीकों से सस्ता है. सफाई पैनलों के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी का फसलों की सिचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है.
ऊर्जा सुरक्षा अभियान : केंद्र सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा अभियान एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) शुरू किया है जिसके तहत 2022 तक 25 हजार, 750 मेगावाट सौर और अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा को जोड़ना है. 20 लाख-ऑफ ग्रिड और 15 लाख-ऑन ग्रिड .इस योजना के एक हिस्से के रूप में पंप स्थापित किए जाएंगे. केंद्र ने सौर ऊर्जा के माध्यम से 2022 तक 100 गिगावॉट और 2030 तक 350 गीगावॉट बिजली उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है. अगर कृषि भूमि को उपयोग में लाया जाए तो यह बेहतर है. चार एकड़ जमीन से एक मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है. एक गिगावाट के लिए,4 हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है.
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अनुसंधान और कार्यान्वयन: एनएसईएफआई ने जर्मनी के साथ मिलकर एग्रीवोल्टिक्स विज्ञान के बारे में शोध किया है. एक फीसद कृषि भूमि का उपयोग करके हम 350 गिगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं. हम इस प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिए प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार करने में जुटे है. हमने एक- दो स्थानों पर प्रयोग किया है. जोधपुर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान एग्रीवोल्टिक्स का उपयोग करके बैंगन, लंबी लौकी, भिंडी की खेती कर रहा है. कुछ निजी कंपनियां भी इस तरफ बढ़ रही हैं. महिंद्रा समूह तेलंगाना के तेंदूर में एग्रीवोल्टिक्स इस तरह के एक कृषि संयंत्र का संचालन करता है.