नई दिल्ली: चुनाव प्रचार जोरों पर है. सभी राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग मुद्दे उठा रही हैं. अपने-अपने तरीके से वे जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे में असली मुद्दा परिदृश्य से गायब होता जा रहा है और भावुकता हावी होती जा रही है. भावनाओं को उद्वेलित करने वाले मुद्दे उठाए जा रहे हैं.
महाराष्ट्र भी इससे अछूता नहीं है. ईटीवी भारत ने इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार वेंकटेश केसरी से बातचीत की है. उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी जमीनी स्तर पर बुनियादी मुद्दों पर बात नहीं कर रही है.
केसरी ने कहा, 'आज महाराष्ट्र में हर पार्टी का अपना एक प्रतिबद्ध वोट बैंक है. यह चुनाव जीतने के लिए तब तक पर्याप्त नहीं है, जब तक कि उन्हें अपने पक्ष में मतदाता नहीं मिल जाते. ये मतदाता किसी भी राजनीतिक समूह से जुड़े नहीं हैं. वे केवल मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
सूखे की समस्या पर नहीं कर रहा कोई बात
वर्तमान संकट के बारे में बात करते हुए वेंकटेश केसरी ने दावा किया कि महाराष्ट्र इन दिनों सूखे की मार झेल रहा है. लेकिन ना ही सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना, ना ही विपक्षी पार्टियां कांग्रेस-NCP और ना ही प्रकाश अंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ इस मुद्दे पर कोई बात कर रही है.'
राज्य में पानी का संकट
सत्तारूढ़ देवेंद्र फडणवीस सरकार की आलोचना करते हुए वेंकटेश ने राज्य भर के कई नगर निगमों में पानी की तीव्र कमी का जिक्र किया. उन्होंने बिजली के बिलों में वृद्धि के बारे में भी बात की, क्योंकि राज्य के कई बिजली आपूर्तिकर्ता टैरिफ वृद्धि की मांग कर रहे हैं.
चुनाव में असर डालेंगे कुछ मुद्दे
आगामी चुनावों में संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि भीमा कोरेगांव और मराठा आरक्षण जैसे मुद्दे आगामी चुनावों पर अच्छा खासा असर डाल सकते हैं.