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महबूबा बोलीं- 35 ए हटाया, तो छोड़ देंगे तिरंगा ...

सुप्रीम कोर्ट में 26 से 28 फरवरी के बीच जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35 ए पर सुनवाई होनी है. सुनवाई से पहले महबूबा मुफ्ती ने धमकी भरा बयान दिया है.

महबूबा मुफ्ती
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Published : Feb 25, 2019, 8:26 PM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर: पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई से पहले बड़ा बयान दिया है. महबूबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि आग से मत खेलिए नहीं, तो अंजाम बहुत भयानक होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आर्टिकल 35ए से छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई, तो कश्मीर में पूरा देश वो देखेगा, जो 1947 से आज तक नहीं देखा होगा.

महबूबा ने ट्वीट कर कहा, ‘अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर और भारतीय संघ के बीच संवैधानिक संपर्क है. ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने वाला दस्तावेज) अनुच्छेद 370 पर निर्भर करता है, जो अनुच्छेद 35-ए से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है. इसमें किसी छेड़छाड़ से ‘ट्रीटी ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने के लिए की गई संधि) अमान्य हो जाएगी.’

उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 35-ए को लेकर तरह-तरह की अटकलों का बाजार गर्म है.

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महबूबा ने कहा, ‘कोई भी फैसला करने से पहले भारत सरकार को इस बात पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य है जिसने विभाजन के दौरान पाकिस्तान की बजाय धर्मनिरपेक्ष भारत के साथ जाने का रास्ता चुना.’

पढ़ें-इस्लामिक देशों की शरण में पाक, कश्मीर पर बुलाई बैठक

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने आगाह किया कि यदि विशेष प्रावधान को रद्द किया जाता है तो घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘आक्रोशित होकर बोलने वाले और इसे (अनुच्छेद 370 को) रद्द करने की मांग करने वालों को जल्दबाजी में लिए गए फैसले के बाद की घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.’

बता दें, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 26-28 फरवरी के बीच सुनवाई होनी है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार आम चुनाव से पहले अनुच्छेद 35ए पर कड़ा स्टैंड अपना सकती है. भाजपा राज्य में अनुच्छेद 370 के खिलाफ है.

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क्या है अनुच्छेद 35 ए
अनुच्छेद 35 ए राज्य के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है. इसके अनुसार जो कोई भी 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक था या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वही यहां का नागरिक माना जाएगा. इस दौरान जिसने संपत्ति भी खरीदी हो, उसे भी मान्यता मिलती रहेगी.

इसके अलावा किसी बाहरी को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का हक नहीं है. यदि कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी करती है, तो उसके अधिकार खत्म हो जाते हैं. उनके बच्चों के भी संपत्ति के अधिकार नहीं मिलेंगे.

इसे राष्ट्रपति (डॉ राजेन्द्र प्रसाद) ने अपने एक आदेश के तहत पारित किया था. उसके बाद इसे धारा 370 का हिस्सा बना दिया गया. इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया. अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है.

नई दिल्ली/श्रीनगर: पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई से पहले बड़ा बयान दिया है. महबूबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि आग से मत खेलिए नहीं, तो अंजाम बहुत भयानक होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आर्टिकल 35ए से छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई, तो कश्मीर में पूरा देश वो देखेगा, जो 1947 से आज तक नहीं देखा होगा.

महबूबा ने ट्वीट कर कहा, ‘अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर और भारतीय संघ के बीच संवैधानिक संपर्क है. ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने वाला दस्तावेज) अनुच्छेद 370 पर निर्भर करता है, जो अनुच्छेद 35-ए से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है. इसमें किसी छेड़छाड़ से ‘ट्रीटी ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने के लिए की गई संधि) अमान्य हो जाएगी.’

उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 35-ए को लेकर तरह-तरह की अटकलों का बाजार गर्म है.

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महबूबा ने कहा, ‘कोई भी फैसला करने से पहले भारत सरकार को इस बात पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य है जिसने विभाजन के दौरान पाकिस्तान की बजाय धर्मनिरपेक्ष भारत के साथ जाने का रास्ता चुना.’

पढ़ें-इस्लामिक देशों की शरण में पाक, कश्मीर पर बुलाई बैठक

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने आगाह किया कि यदि विशेष प्रावधान को रद्द किया जाता है तो घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘आक्रोशित होकर बोलने वाले और इसे (अनुच्छेद 370 को) रद्द करने की मांग करने वालों को जल्दबाजी में लिए गए फैसले के बाद की घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.’

बता दें, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 26-28 फरवरी के बीच सुनवाई होनी है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार आम चुनाव से पहले अनुच्छेद 35ए पर कड़ा स्टैंड अपना सकती है. भाजपा राज्य में अनुच्छेद 370 के खिलाफ है.

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क्या है अनुच्छेद 35 ए
अनुच्छेद 35 ए राज्य के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है. इसके अनुसार जो कोई भी 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक था या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वही यहां का नागरिक माना जाएगा. इस दौरान जिसने संपत्ति भी खरीदी हो, उसे भी मान्यता मिलती रहेगी.

इसके अलावा किसी बाहरी को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का हक नहीं है. यदि कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी करती है, तो उसके अधिकार खत्म हो जाते हैं. उनके बच्चों के भी संपत्ति के अधिकार नहीं मिलेंगे.

इसे राष्ट्रपति (डॉ राजेन्द्र प्रसाद) ने अपने एक आदेश के तहत पारित किया था. उसके बाद इसे धारा 370 का हिस्सा बना दिया गया. इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया. अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है.

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नई दिल्ली/श्रीनगर: पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद-35ए पर सुनवाई से पहले बड़ा बयान दिया है. महबूबा ने चेतावनी देते हुए कहा कि आग से मत खेलिए नहीं, तो अंजाम बहुत भयानक होगा.



पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आर्टिकल 35ए से छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई, तो कश्मीर में पूरा देश वो देखेगा, जो 1947 से आज तक नहीं देखा होगा.



महबूबा ने ट्वीट कर कहा, ‘अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर और भारतीय संघ के बीच संवैधानिक संपर्क है. ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने वाला दस्तावेज) अनुच्छेद 370 पर निर्भर करता है, जो अनुच्छेद 35-ए से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है. इसमें किसी छेड़छाड़ से ‘ट्रीटी ऑफ एक्सेशन’ (जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग बनाने के लिए की गई संधि) अमान्य हो जाएगी.’



उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 35-ए को लेकर तरह-तरह की अटकलों का बाजार गर्म है.



महबूबा ने कहा, ‘कोई भी फैसला करने से पहले भारत सरकार को इस बात पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य है जिसने विभाजन के दौरान पाकिस्तान की बजाय धर्मनिरपेक्ष भारत के साथ जाने का रास्ता चुना.’ 



जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने आगाह किया कि यदि विशेष प्रावधान को रद्द किया जाता है तो घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.



उन्होंने कहा, ‘आक्रोशित होकर बोलने वाले और इसे (अनुच्छेद 370 को) रद्द करने की मांग करने वालों को जल्दबाजी में लिए गए फैसले के बाद की घटनाओं के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं करार देना चाहिए.’



बता दें, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 26-28 फरवरी के बीच सुनवाई होनी है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार आम चुनाव से पहले अनुच्छेद 35ए पर कड़ा स्टैंड अपना सकती है. भाजपा राज्य में अनुच्छेद 370 के खिलाफ है. 



क्या है अनुच्छेद 35 ए

अनुच्छेद 35 ए राज्य के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है. इसके अनुसार जो कोई भी 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक था या उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वही यहां का नागरिक माना जाएगा. इस दौरान जिसने संपत्ति भी खरीदी हो, उसे भी मान्यता मिलती रहेगी.



इसके अलावा किसी बाहरी को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का हक नहीं है. यदि कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी करती है, तो उसके अधिकार खत्म हो जाते हैं. उनके बच्चों के भी संपत्ति के अधिकार नहीं मिलेंगे.



इसे राष्ट्रपति (डॉ राजेन्द्र प्रसाद) ने अपने एक आदेश के तहत पारित किया था. उसके बाद इसे धारा 370 का हिस्सा बना दिया गया. इस आदेश के राष्ट्रपति द्वारा पारित किए जाने के बाद भारत के संविधान में इसे जोड़ दिया गया. अनुच्छेद 35A धारा 370 का हिस्सा है.


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