नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूट सकता है. बसपा प्रमुख मायावती ने इसके संकेत दे दिए हैं. लोकसभा चनाव में मिली हार के बाद पार्टी की समीक्षा बैठक में इस ओर इशारा किया गया. सूत्रों का कहना है कि मायावती ने इसके लिए अखिलेश यादव को जिम्मेवार ठहराया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मायावती ने कहा कि अखिलेश अपनी पत्नी को भी नहीं जीता पाए. वे यादव वोट को एकजुट रखने में समर्थ नहीं हुए. हालांकि, महागठबंधन पर बसपा ने कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
वैसे, एजेंसी के अनुसार इस बैठक में गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं की गई है.
मायावती ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बैठक में कहा कि बसपा को जिन सीटों पर कामयाबी मिली, उसमें सिर्फ पार्टी के परंपरागत वोटबैंक का ही योगदान रहा. सूत्रों के अनुसार बसपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद बसपा के पक्ष में यादव वोट स्थानांतरित नहीं होने की भी बात कही है.
उन्होंने विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में किये गये गठबंधन से उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिलने का हवाला देते हुये कहा कि अब बसपा अपना संगठन मजबूत कर खुद अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी.
सूत्रों के अनुसार दिल्ली स्थित बसपा कार्यालय में हुई बैठक में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष आर एस कुशवाहा, राज्य में पार्टी के सभी विधायक, नवनिर्वाचित सांसद, प्रदेश के सभी जोनल कोऑर्डिनेटर के अलावा सभी जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया था.
समीक्षा बैठक में मायावती ने लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिये गठित की गयी भाईचारा समितियों को आगे भी काम करते रहने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि बसपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज और पिछड़े वर्गों को चुनाव में एकजुट करने के लिये इन समितियों का गठन किया था. बसपा अध्यक्ष ने पार्टी के संगठन में पिछड़े वर्गों की भागीदारी और जिम्मेदारी बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है. पार्टी प्रमुख ने मंडल स्तर पर कुछ बसपा कोऑर्डीनेटरों की जिम्मेदारियों में फेरबदल किया है.