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सिर्फ छूने से जल उठता है यह 'मैजिक बल्ब', देखें वीडियो - ईटीवी भारत झारखंड

कहते हैं हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरत है उसे सही दिशा देने की. लेकिन इस कहानी में बल्ब बॉय कहे जाने वाले रामदेव ने बिना किसी सुविधा और मार्गदर्शन के बिजली की समस्या का हल निकाला है. रामदेव ने हाथ से छूने के बाद जल उठने वाले बल्बों का अविष्कार किया हैं. पढ़ें पूरी खबर.

बल्बों का अविष्कार करने वाले रामदेव
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Published : Jul 28, 2019, 10:34 AM IST

जमशेदपुरः एक ऐसा शख्स जिसके पास ना कोई विशेष तकनीकी ज्ञान हैं और न ही कोई विशेष सुविधा. इसके बावजूद भी इसने अपने सपनों को साकार किया और बल्ब ब्वॉय के नाम से मशहूर हो गया.

'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

पश्चिम सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा से 40 किलोमीटर सुदूर गांव के रामदेव को सभी बल्ब आविष्कारक के रूप में जानते हैं. ग्रामीणों के लिए यह बल्ब किसी वरदान से कम नहीं है. कभी दिये की रोशनी में पढ़ाई करने वाले रामदेव ने देश के कई मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने पर मजबूर कर दिया है.

रामदेव ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. प्रतिभावान रामदेव घरों में जाकर इमरजेंसी लाइट बेचते थे. रामदेव ने एक नया आविष्कार करते हुए हाथ के छूने से जलने वाला बल्ब बना डाला.

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'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

रिमोट से भी जल उठते हैं सारे बल्ब
एक बल्ब से ही तीन वाट, नौ वाट, और 12 वाट की रोशनी जलती हैं. इतना ही नहीं एक छोटे से कमरे में लगी सभी बल्ब रिमोट से भी जल उठती है.

इस बारे में रामदेव कहते हैं अब तक 50 हजार से ज्यादा बल्ब बनाए हैं. बल्ब ब्वॉय ने इसका नाम मैजिक बल्ब रखा है. लाइट जाने के बाद भी मैजिक बल्ब 3 घंटे तक रोशनी देती है. यह एक बैट्री से संचालित होती है. एक बल्ब की कीमत 60 रूपए है.

ये भी पढ़ें- विज्ञान मेला बच्चों ने दिखाई प्रतिभा, 120 मॉडल किए प्रस्तुत

रामदेव की पत्नी पॉली ने बताया कि रामदेव काम करते वक्त का हिसाब नहीं रखते. जब तक काम खत्म ना हो जाए तब तक लगे रहते हैं. पूरी लगन से काम करते हैं. काम पूरा करने के बाद ही चैन की सांस लेते हैं. वह बताती हैं कि पहले गांव में बिजली नहीं रहने से पढ़ाई में दिक्कत होती थी, जिसके बाद रामदेव ने कुछ अलग करने का सोचा.

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'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

वहीं, रामदेव सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि ग्रामीण सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बल्ब का वितरण किया जाए, जिससे लोगों को भरपूर फायदा पहुंचे. रामदेव चाहते हैं कि सरकार खुद इस बल्ब को कम पैसों में गरीबों को मुहैया करवाएं.

जमशेदपुरः एक ऐसा शख्स जिसके पास ना कोई विशेष तकनीकी ज्ञान हैं और न ही कोई विशेष सुविधा. इसके बावजूद भी इसने अपने सपनों को साकार किया और बल्ब ब्वॉय के नाम से मशहूर हो गया.

'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

पश्चिम सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा से 40 किलोमीटर सुदूर गांव के रामदेव को सभी बल्ब आविष्कारक के रूप में जानते हैं. ग्रामीणों के लिए यह बल्ब किसी वरदान से कम नहीं है. कभी दिये की रोशनी में पढ़ाई करने वाले रामदेव ने देश के कई मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने पर मजबूर कर दिया है.

रामदेव ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. प्रतिभावान रामदेव घरों में जाकर इमरजेंसी लाइट बेचते थे. रामदेव ने एक नया आविष्कार करते हुए हाथ के छूने से जलने वाला बल्ब बना डाला.

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'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

रिमोट से भी जल उठते हैं सारे बल्ब
एक बल्ब से ही तीन वाट, नौ वाट, और 12 वाट की रोशनी जलती हैं. इतना ही नहीं एक छोटे से कमरे में लगी सभी बल्ब रिमोट से भी जल उठती है.

इस बारे में रामदेव कहते हैं अब तक 50 हजार से ज्यादा बल्ब बनाए हैं. बल्ब ब्वॉय ने इसका नाम मैजिक बल्ब रखा है. लाइट जाने के बाद भी मैजिक बल्ब 3 घंटे तक रोशनी देती है. यह एक बैट्री से संचालित होती है. एक बल्ब की कीमत 60 रूपए है.

ये भी पढ़ें- विज्ञान मेला बच्चों ने दिखाई प्रतिभा, 120 मॉडल किए प्रस्तुत

रामदेव की पत्नी पॉली ने बताया कि रामदेव काम करते वक्त का हिसाब नहीं रखते. जब तक काम खत्म ना हो जाए तब तक लगे रहते हैं. पूरी लगन से काम करते हैं. काम पूरा करने के बाद ही चैन की सांस लेते हैं. वह बताती हैं कि पहले गांव में बिजली नहीं रहने से पढ़ाई में दिक्कत होती थी, जिसके बाद रामदेव ने कुछ अलग करने का सोचा.

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'मैजिक बल्ब' का अविष्कार करने वाले रामदेव

वहीं, रामदेव सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि ग्रामीण सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बल्ब का वितरण किया जाए, जिससे लोगों को भरपूर फायदा पहुंचे. रामदेव चाहते हैं कि सरकार खुद इस बल्ब को कम पैसों में गरीबों को मुहैया करवाएं.

Intro:एंकर--एक ऐसा गुदरी का लाल जिसे ना कोई विशेषाधिकार और ना ही तकनीकी ज्ञान और ना ही जन्मजात लाभ प्राप्त है. ऐसे में सामान्य से सपने को साकार किया बल्ब बॉय रामदेव पान ने.जी हाँ अलादीन के चिराग के जैसा ही छूने से जलती है बल्ब.कभी नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले पूर्वी सिंहभूम जिला के बहरागोड़ा से चालीस किलोमीटर सुदूर गावँ के लड़के को लोग बल्ब के आविष्कार के रूप में जानते हैं.ग्रामीण इलाकों के लिए यह बल्ब किसी वरदान से कम नहीं है.देखिए एक रिपोर्ट।


Body:वीओ1-- कहते हैं अंधेरे घर में ही दीपक की लौ से रोशनी मिलती है. तभी तो कभी दिए कि रौशनी में पढ़ाई करने वाले युवक ने वर्तमान समय में देश के कई मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने पर मजबूर कर दिया है. प्रतिभावान छात्र रामदेव घरों में जाकर इमरजेंसी लाइट बेचते थें. पर किसे पता था यह छात्र एक नया आविष्कार करेगा जो हाँथ से छूने पर बल्ब जल उठती है.एक बल्ब से ही तीन वाट,नव वाट, और बारह वाट की रोशनी जला देते है.इतना ही नहीं एक छोटे से कमरे में लगे सभी बल्ब रिमोट से जला देते हैं.रामदेव कहते हैं अब तक पचास हज़ार से ज़्यादा बल्ब बनाया है.बल्ब बॉय ने इसका नाम मैजिक बल्ब रखा है.लाइट जाने के बाद भी मैजिक बल्ब तीन घंटे तक रौशनी देती है.यह एक बैट्री के द्वारा संचालित है.
बाइट--रामदेव पान(बल्ब बॉय आविष्कारक)रामदेव
वीओ2--समय के अनुरूप रामदेव नहीं चलते है.कभी समय नहीं देखते है.काम जितना भी हो उसे पहले खत्म करते हैं.गाँव में बिजली कटने के बाद पढ़ाई में परेशानी होती थी.तभी से रामदेव ने सोंचा कुछ अलग करने की.रामदेव की अर्धांगिनी ने बताया अपनी मातृभूमि लौहनगरी में सभी लोग इन्हें जाने.
बाइट-- पॉली (रामदेव-अर्धांगिनी)






Conclusion:ऐसे में छात्र रामदेव सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि ग्रामीण सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बल्ब की वितरण की जाए. जिससे लोगों को भरपूर फायदा पहुंचे. रामदेव चाहते हैं कि सरकार खुद इस बल्ब को कम पैसों में गरीबों को मुहैया करवाए।
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