ETV Bharat / bharat

कोयला धुलाई की मांग के लिए जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री को लिखी चिट्ठी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा प्रस्तावित अधिसूचना के अनुसार, थर्मल प्लांटों के लिए कोयले की अनिवार्य धुलाई को खत्म कर दिया गया है. इसे कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने 'इलाज से भी बदतर' करार दिया है.

Breaking News
author img

By

Published : Jun 14, 2020, 2:22 PM IST

नई दिल्ली : पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा प्रस्तावित अधिसूचना के अनुसार, थर्मल प्लांटों के लिए कोयले की अनिवार्य धुलाई को खत्म कर दिया गया है. इसे कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने 'इलाज से भी बदतर' करार दिया है.

कांग्रेस नेता ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि 'कोयला आधारित बिजलीघरों के प्रदूषण भार को कम करने में अब तक जो भी प्रगति हुई है यह अधिसूचना उस प्रगति को खत्म कर देगी. यह संसद में कोयला और इस्पात पर स्थाई समिति को दिय गए आश्यवासनों का भी उल्लंघन करता है. साथ ही पर्यावरण मसलों पर यह भारत द्वारा पेरिस में हुए समझौते का भी उल्लंघन करता है.'

jairam-ramesh-write-letter-to-environment-minister-demanding-washing-of-coal
जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री को लिखी चिट्ठी

21 मई को जारी एक राजपत्रित अधिसूचना में मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया, जिसके तहत तापीय संयंत्रों को दिए गए कोयलों को अनिवार्य रूप धोना नहीं पड़ेगा. हालांकि इस सेक्टर के विशेषज्ञों ने इस कदम के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है.

2015 में अपनी जलवायु-परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में सरकार ने उत्सर्जन नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करते हुए. कोयला खदान से 500 किमी से अधिक सभी थर्मल इकाइयों को आपूर्ति के लिए कोयले की धुलाई अनिवार्य कर दी थी. जयराम रमेश ने उल्लेख किया कि धुले हुए कोयले के उपयोग से उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है और कोयले के दहनशील मूल्य में वृद्धि होती है.

हमारे थर्मल पावर प्लांट बार-बार उत्सर्जन मानदंडों का पालन तय समय सीमा में नहीं कर पाते. भारत के कोयले की राख सामग्री एक बहुत ही गंभीर समस्या रही है और इससे निपटने के लिए कोयला धोने के लिए अलग व्यवस्था की जरूरत है. अब हमें केवल कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की ही चिंता नहीं बल्कि सल्फर डाइऑक्साइड के बारे में भी सोचना होगा क्योंकि भारत इसका सबसे बड़ा उत्सर्जक है और इसे हमने अभी तक स्वीकार नहीं किया है और इसके बारे में बहुत कम प्रयास किए हैं.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि कोल इंडिया ने योजनाबद्ध तरीके से धुले हुए कोयले मुहैया कराने में काफी ढिलाई बरती है और बिजली संयंत्रों को गुणवत्ता वाले धुले कोयले की आपूर्ति करने में विफल रही.

उन्होंने आगे सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में कोयला धुलाई की व्यवस्था को स्थापित करने के लिए कोल इंडिया के प्रयास काफी धीमे रहे हैं लेकिन ये कारण नहीं हो सकता कि कोयला धोने की प्रक्रिया को ही हटा दिया जाए और उनके दबाव में आ जाए, जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं और जिन्हें प्रधानमंत्री की पसंदीदा भाषा में चार पी कहा जाता है यानि कि पॉलिटिकल पावरफुल पावर प्रोड्यूसर (political powerful power producers.)

इसलिए जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से तुरंत इस अधिसूचना को रद करने का अनुरोध किया और आगे के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर और भारत के थर्मल पावर स्टेशनों से उत्सर्जन सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाएं.

नई दिल्ली : पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा प्रस्तावित अधिसूचना के अनुसार, थर्मल प्लांटों के लिए कोयले की अनिवार्य धुलाई को खत्म कर दिया गया है. इसे कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने 'इलाज से भी बदतर' करार दिया है.

कांग्रेस नेता ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि 'कोयला आधारित बिजलीघरों के प्रदूषण भार को कम करने में अब तक जो भी प्रगति हुई है यह अधिसूचना उस प्रगति को खत्म कर देगी. यह संसद में कोयला और इस्पात पर स्थाई समिति को दिय गए आश्यवासनों का भी उल्लंघन करता है. साथ ही पर्यावरण मसलों पर यह भारत द्वारा पेरिस में हुए समझौते का भी उल्लंघन करता है.'

jairam-ramesh-write-letter-to-environment-minister-demanding-washing-of-coal
जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री को लिखी चिट्ठी

21 मई को जारी एक राजपत्रित अधिसूचना में मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया, जिसके तहत तापीय संयंत्रों को दिए गए कोयलों को अनिवार्य रूप धोना नहीं पड़ेगा. हालांकि इस सेक्टर के विशेषज्ञों ने इस कदम के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है.

2015 में अपनी जलवायु-परिवर्तन प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में सरकार ने उत्सर्जन नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करते हुए. कोयला खदान से 500 किमी से अधिक सभी थर्मल इकाइयों को आपूर्ति के लिए कोयले की धुलाई अनिवार्य कर दी थी. जयराम रमेश ने उल्लेख किया कि धुले हुए कोयले के उपयोग से उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है और कोयले के दहनशील मूल्य में वृद्धि होती है.

हमारे थर्मल पावर प्लांट बार-बार उत्सर्जन मानदंडों का पालन तय समय सीमा में नहीं कर पाते. भारत के कोयले की राख सामग्री एक बहुत ही गंभीर समस्या रही है और इससे निपटने के लिए कोयला धोने के लिए अलग व्यवस्था की जरूरत है. अब हमें केवल कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की ही चिंता नहीं बल्कि सल्फर डाइऑक्साइड के बारे में भी सोचना होगा क्योंकि भारत इसका सबसे बड़ा उत्सर्जक है और इसे हमने अभी तक स्वीकार नहीं किया है और इसके बारे में बहुत कम प्रयास किए हैं.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि कोल इंडिया ने योजनाबद्ध तरीके से धुले हुए कोयले मुहैया कराने में काफी ढिलाई बरती है और बिजली संयंत्रों को गुणवत्ता वाले धुले कोयले की आपूर्ति करने में विफल रही.

उन्होंने आगे सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले छह वर्षों में कोयला धुलाई की व्यवस्था को स्थापित करने के लिए कोल इंडिया के प्रयास काफी धीमे रहे हैं लेकिन ये कारण नहीं हो सकता कि कोयला धोने की प्रक्रिया को ही हटा दिया जाए और उनके दबाव में आ जाए, जिनके अपने निहित स्वार्थ हैं और जिन्हें प्रधानमंत्री की पसंदीदा भाषा में चार पी कहा जाता है यानि कि पॉलिटिकल पावरफुल पावर प्रोड्यूसर (political powerful power producers.)

इसलिए जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से तुरंत इस अधिसूचना को रद करने का अनुरोध किया और आगे के लिए विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर और भारत के थर्मल पावर स्टेशनों से उत्सर्जन सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.